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USCIRF Report : अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पल्ला झाड़ा, कहा- संस्था स्वतंत्र, जिन्हें शिकायत हो सीधे संपर्क करें

अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने भारत में सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों को धार्मिक स्वतंत्रता के 'गंभीर उल्लंघन' के लिए जिम्मेदार ठहराया है. जिसपर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि हम आयोग की सिफारिशों को मानें.

USCIRF Report
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : May 3, 2023, 8:00 AM IST

नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट पर अमेरिका की ओर से सफाई आ गई है. मंगलवार को स्थानीय समय के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल पटेल ने इस रिपोर्ट पर अमेरिकी सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत नहीं है. अमेरिका इस रिपोर्ट को निर्णायक नहीं मान रहा है. बता दें कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाये गये हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता का 'गंभीर उल्लंघन' हो रहा है. रिपोर्ट ने सिफारिश गई है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को उन देशों की सूची में डाले जिनके बारे में अमेरिका मानता है कि वहां धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है. रिपोर्ट में भारत को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर 'विशेष चिंता वाले देश' की सूची में डालने की सिफारिश की गई है. इस रिपोर्ट के आने के बाद भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में रिपोर्ट को पक्षपात पूर्ण और दुर्भावना से प्रेरित बताया है.

भारत की प्रतिक्रिया : भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत सरकार की ओर से रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में भारत से जुड़े तथ्यों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट से यूएससीआईआरएफ की साख दुनिया में खराब होगी. अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसा लगता है कि यूएससीआईआरएफ के रिपोर्ट लेखकों को भारत और इसकी अनेकता की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है.

यूएससीआईआरएफ की समझ की सीमा : यूएससीआईआरएफ को भारत के बारे में अपनी समझ और विकसित करनी चाहिए. यूएससीआईआरएफ लगातार भारत के बारे में ऐसी बातें कहता रहा है. ये टिप्पणियां पक्षपातपूर्ण और प्रेरित दुर्भावना से प्रेरित मालूम होती है. भारत की इस प्रतिक्रिया के बाद अमेरिकी विदेश विभाग की प्रतिक्रिया आयी. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेसवर्ता में इस रिपोर्ट पर अमेरिकी सरकार का पक्ष रखा.

अमेरिका ने पल्ला झाड़ा : अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि यह जरूर है कि रिपोर्ट की कुछ बातें (जो अन्य देशों से संबंधित हैं) अमेरिकी सरकार की नीतियों से मेल खाती हैं लेकिन यह रिपोर्ट पूरी तरह से निर्णायक नहीं है. रिपोर्ट में भारत के बारे में की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यूएससीआईआरएफ अमेरिका की एक स्वतंत्र संस्था है. इसका काम धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में राष्ट्रपति, राज्य सचिव और अमेरिकी कांग्रेस को नीतिगत सिफारिशें देना है.

भारत के लिए अच्छे संकेत : अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि इसका अमेरिका के विदेश मंत्रालय या उसकी नीतियों से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि किसी देश की सरकार को इस रिपोर्ट पर आपत्ति है तो वह सीधे यूएससीआईआरएफ से संपर्क कर सकता है. उन्होंने कहा कि जहां तक अमेरिकी विदेश मंत्रालय का सवाल है इसके लिए यूएससीआईआरएफ की सिफारिशों को मानना अनिवार्य नहीं है.

अमेरिका को है भारत की जरूरत : मामले के जानकार विषेशज्ञों का मानना है कि पिछले तीन वर्षों की तरह इस साल भी यूएससीआईआरएफ की भारत संबंधी सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा. क्योंकि अमेरिका को इस समय चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के साथ की जरूरत है.

यूएससीआईआरएफ को है भारत की आलोचना की आदत : बता दें कि यूएससीआईआरएफ की यह लगातार चौथी रिपोर्ट है जिसें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई गई है. सबसे पहले साल 2020 में यूएससीआईआरएफ ने भारत के बारे में कहा था कि यहां सरकार आलोचनात्मक आवाजों, विशेषकर मुसलमानों को दबा रही है. इस बीच, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद ने लगातार चौथे वर्ष यूएससीआईआरएफ के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में चिह्ननित करने की सिफारिश का स्वागत किया है.

पढ़ें : अमेरिकी आयोग ने धार्मिक स्वतंत्रता के 'उल्लंघन' को लेकर भारतीय एजेंसियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की

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पढ़ें : दिल्ली हिंसा पर अमेरिकी संगठन की प्रतिक्रिया राजनीति से प्रेरित : विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट पर अमेरिका की ओर से सफाई आ गई है. मंगलवार को स्थानीय समय के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल पटेल ने इस रिपोर्ट पर अमेरिकी सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत नहीं है. अमेरिका इस रिपोर्ट को निर्णायक नहीं मान रहा है. बता दें कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाये गये हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता का 'गंभीर उल्लंघन' हो रहा है. रिपोर्ट ने सिफारिश गई है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को उन देशों की सूची में डाले जिनके बारे में अमेरिका मानता है कि वहां धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है. रिपोर्ट में भारत को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर 'विशेष चिंता वाले देश' की सूची में डालने की सिफारिश की गई है. इस रिपोर्ट के आने के बाद भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में रिपोर्ट को पक्षपात पूर्ण और दुर्भावना से प्रेरित बताया है.

भारत की प्रतिक्रिया : भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत सरकार की ओर से रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में भारत से जुड़े तथ्यों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट से यूएससीआईआरएफ की साख दुनिया में खराब होगी. अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसा लगता है कि यूएससीआईआरएफ के रिपोर्ट लेखकों को भारत और इसकी अनेकता की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है.

यूएससीआईआरएफ की समझ की सीमा : यूएससीआईआरएफ को भारत के बारे में अपनी समझ और विकसित करनी चाहिए. यूएससीआईआरएफ लगातार भारत के बारे में ऐसी बातें कहता रहा है. ये टिप्पणियां पक्षपातपूर्ण और प्रेरित दुर्भावना से प्रेरित मालूम होती है. भारत की इस प्रतिक्रिया के बाद अमेरिकी विदेश विभाग की प्रतिक्रिया आयी. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेसवर्ता में इस रिपोर्ट पर अमेरिकी सरकार का पक्ष रखा.

अमेरिका ने पल्ला झाड़ा : अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि यह जरूर है कि रिपोर्ट की कुछ बातें (जो अन्य देशों से संबंधित हैं) अमेरिकी सरकार की नीतियों से मेल खाती हैं लेकिन यह रिपोर्ट पूरी तरह से निर्णायक नहीं है. रिपोर्ट में भारत के बारे में की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यूएससीआईआरएफ अमेरिका की एक स्वतंत्र संस्था है. इसका काम धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में राष्ट्रपति, राज्य सचिव और अमेरिकी कांग्रेस को नीतिगत सिफारिशें देना है.

भारत के लिए अच्छे संकेत : अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि इसका अमेरिका के विदेश मंत्रालय या उसकी नीतियों से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि किसी देश की सरकार को इस रिपोर्ट पर आपत्ति है तो वह सीधे यूएससीआईआरएफ से संपर्क कर सकता है. उन्होंने कहा कि जहां तक अमेरिकी विदेश मंत्रालय का सवाल है इसके लिए यूएससीआईआरएफ की सिफारिशों को मानना अनिवार्य नहीं है.

अमेरिका को है भारत की जरूरत : मामले के जानकार विषेशज्ञों का मानना है कि पिछले तीन वर्षों की तरह इस साल भी यूएससीआईआरएफ की भारत संबंधी सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा. क्योंकि अमेरिका को इस समय चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के साथ की जरूरत है.

यूएससीआईआरएफ को है भारत की आलोचना की आदत : बता दें कि यूएससीआईआरएफ की यह लगातार चौथी रिपोर्ट है जिसें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई गई है. सबसे पहले साल 2020 में यूएससीआईआरएफ ने भारत के बारे में कहा था कि यहां सरकार आलोचनात्मक आवाजों, विशेषकर मुसलमानों को दबा रही है. इस बीच, भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद ने लगातार चौथे वर्ष यूएससीआईआरएफ के मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए भारत को विशेष चिंता वाले देश के रूप में चिह्ननित करने की सिफारिश का स्वागत किया है.

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