जयपुर : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) के विरोध में दिल्ली की तर्ज पर आज जयपुर में किसानों की संसद (Farmers' Parliament in Jaipur) बुलाई गई. अंतराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस (international democracy day) पर हुई इस किसान संसद में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को बहुमत के साथ पास किया गया. साथ ही किसान संसद में तीनों कृषि बिल वापस ले लिए गए. अब इसी तर्ज पर किसान संसद प्रदेश के हर जिले में बुलाई जाएगी.
जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम (Jaipur Birla Auditorium) में किसान संसद का विशेष सत्र (special session of farmers' parliament) बुलाया गया. किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए यह संसद रखी गई है, जिसमें देश की सरकार को बताया गया कि देश का किसान भी संसद चला सकता है.
ख़ास बात ये है कि किसान संसद का आयोजन ठीक संसद सत्र की तर्ज़ पर हुआ. किसान संसद में बाकायदा लोकसभा अध्यक्ष चुना गया और उनकी अध्यक्षता में किसान संसद का सत्र हुआ. सदन में मौजूद छाया सांसदों ने तीनों कृषि बिलों पर बारी-बारी अपना जवाब दिया और बताया कि तरह से यह कानून किसानों को नुकसान देने वाला है.
किसान नेता हिम्मत सिंह (Farmer leader Himmat Singh) ने कहा कि किसान संसद के माध्यम से केन्द्र की सरकार को यह बताया जा रहा है कि किसान भी संसद चला सकते हैं. यह भी बताया कि कैसे संसद में मर्यादित रूप से चर्चा हो सकती है. जयपुर के सफल आयोजन के बाद अब हर जिले में भी किसान संसद बुलाई जाएगी और केन्द्र सरकार पर तीनों कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रही इस किसान संसद में कई राज्यों के किसान नेता और विभिन्न किसान संगठनों से प्रतिनिधि मौजूद रहे.
किसान संसद में प्रश्नकाल और शून्य काल
किसान संसद की कार्यवाही ठीक संसद सत्र की तरह चली. इसमें प्रश्न काल से लेकर शून्य काल सहित संसद की तरह विभिन्न सत्र आयोजित किये गये. बारी बारी छाया सांसदों ने अपने अपने प्रश्न भी सदन के समक्ष रखे. छाया सांसदों ने एक-एक कर केन्द्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों से किसानों को होने वाले नुकसान के बारे में बताया.
'हां और ना पक्ष भी बनाया
किसान संसद में संसद की तर्ज पर दो लॉबी भी बनाई गई. यहां हां पक्ष और ना पक्ष आकर्षण का केंद्र रहे. हालांकि संसद में पहुंचे किसान सांसदों में सभी कृषि कानून के खिलाफ ही बोलने वाले थे. किसान नेता रणजीत सिंह राजू (Farmer leader Ranjit Singh Raju) ने कहा कि हमने ओपन सत्र रखा था. इसमे ऐसा नहीं था कि जिसे आमंत्रित किया वो ही शामिल होगा. बीजेपी, आरएएस या जो भी कृषि कानून के पक्ष में बात रखना चाहे उनका भी स्वागत किया गया था. लेकिन कोई नहीं आया. इस किसान संसद के जरिये यही संदेश दिया गया कि जो कानून किसानों पर थोपे जा रहे हैं, उन्हें वापस लिया जाए. आज की किसान संसद में भी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव पास किया गया.
जनहित से जुड़े मुद्दों पर भी हुई चर्चा
किसान संसद में बढ़ती महंगाई और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण (privatization of public undertakings) सहित जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों पर भी चर्चा की गई. इन सभी मुद्दों पर किसान सांसदों ने अपने पक्ष रखे. सुबह दस बजे से शुरू हुई संसद की कार्यवाही विभिन्न सत्रों के माध्यम से 8 घंटे यानि शाम 6 बजे तक चलने का कार्यक्रम है.
विभिन्न राज्यों से जुटे किसान
किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि जयपुर में आयोजित हो रही किसान संसद में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. हालांकि भारतीय किसान यूनियन (Indian Farmer's Union) के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत (Farmer leader Rakesh Tikait) मौजूद नहीं रहे, लेकिन उनके अलावा किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, डॉ दर्शन पाल सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगेंद्र सिंह उगरहा, गुजरात से पाटीदार नेता अल्पेश कठीरिया और दिनेश बामनिया सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसान प्रतिनिधि संसद में शामिल हुए.
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