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गुजरात : रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल छठे दिन भी जारी, लौटाएंगे कोविड योद्धा का प्रमाण पत्र

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Published : Aug 10, 2021, 2:42 AM IST

गुजरात में पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने निर्णय किया कि वे 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटा देंगे. इस बीच मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिकित्सकों से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर दें.

रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल
रेजिडेंट डॉक्टर की हड़ताल

अहमदाबाद : गुजरात में पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को निर्णय किया कि वे 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटा देंगे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने उनसे छात्रावास खाली करने के लिए कहा है और उनके बिजली एवं पानी का कनेक्शन काट दिया है. वहीं मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने चिकित्सकों से अपील की है कि हड़ताल खत्म करें और अनुबंध का सम्मान करें.

करीब दो हजार रेजिडेंट डॉक्टर अनुबंध सेवा समय अवधि के मुद्दे और सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन की मांग करते हुए चार अगस्त की शाम से हड़ताल पर चले गए। इनमें से अधिकतर ने हाल में परास्नातक पाठ्यक्रम को पूरा किया है. ये डॉक्टर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के हैं.

गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल इस हड़ताल को 'अवैध' करार चुके हैं और चेतावनी दी थी कि अगर चिकित्सक काम पर नहीं लौटे तो उन पर महामारी रोग कानून लगाया जाएगा.

राजकोट में एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, 'कुछ दिनों पहले जब हम गांधीनगर शीर्ष अधिकारियों से मिलने गए, तो हमसे कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान काम का सबूत दिखाइए. सरकार द्वारा दिया गया यह 'कोविड योद्धा' प्रमाण पत्र इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि हमने अपने बारे में सोचे बगैर रोगियों के लिए दिन-रात काम किया.'

उन्होंने कहा, 'अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से कहा है कि छात्रावास खाली करें. पानी एवं बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए. महिला चिकित्सकों को बाहर रात बिताने के लिए मजबूर किया गया. यह अपमान है. इसलिए कई चिकित्सकों ने 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटाने का निर्णय किया है.'

इस बीच मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिकित्सकों से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर दें. रूपाणी ने नर्मदा जिले में संवाददाताओं से कहा, 'वर्तमान में अस्पतालों में शायद ही कोरोना वायरस का कोई मामला है. जब मामले उच्चतम स्तर पर थे, तो हमने एक योजना शुरू की थी, जहां एक दिन की कोविड ड्यूटी को अनुबंध सेवा के दो दिनों के बराबर माना. अब चूंकि कोरोना वायरस का कोई मामला नहीं है तो चिकित्सकों को अनुबंध समझौते का सम्मान करना चाहिए. मैं उनसे अपील करता हूं कि हड़ताल समाप्त करें और अनुबंध के मुताबिक ड्यूटी करें.'

उपमुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि चिकित्सकों को व्यावहारिक होना चाहिए और समझौता करने से पहले ड्यूटी शुरू कर देनी चाहिए.

गुजरात में सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को एक बांड पर दस्तखत करने की जरूरत होती है, जिसके तहत उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद एक वर्ष के लिए ग्रामीण इलाकों में सेवा देना जरूरी है. हाल में राज्य सरकार ने अनुबंध नियमों के तहत इस तरह के चिकित्सकों के लिए ड्यूटी आदेश जारी किए थे.

पढ़ें - MP: लापरवाही ने ली मासूम की जान ! हंसते-हंसते पहुंचा अस्पताल, एनेस्थीसिया के ओवर डोज ने ली जान

चिकित्सक 40 लाख रुपये का भुगतान कर इस अनुबंध को तोड़ सकते हैं. इस वर्ष अप्रैल में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि एक दिन कोविड-19 की ड्यूटी को दो दिनों के अनुबंध ड्यूटी के समतुल्य माना जाएगा, जिसका मतलब है कि कोविड-19 वार्ड में छह महीने काम करने को अनुबंध समय अवधि के एक वर्ष के बराबर माना जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

अहमदाबाद : गुजरात में पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे कई रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को निर्णय किया कि वे 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटा देंगे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने उनसे छात्रावास खाली करने के लिए कहा है और उनके बिजली एवं पानी का कनेक्शन काट दिया है. वहीं मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने चिकित्सकों से अपील की है कि हड़ताल खत्म करें और अनुबंध का सम्मान करें.

करीब दो हजार रेजिडेंट डॉक्टर अनुबंध सेवा समय अवधि के मुद्दे और सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन की मांग करते हुए चार अगस्त की शाम से हड़ताल पर चले गए। इनमें से अधिकतर ने हाल में परास्नातक पाठ्यक्रम को पूरा किया है. ये डॉक्टर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के हैं.

गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल इस हड़ताल को 'अवैध' करार चुके हैं और चेतावनी दी थी कि अगर चिकित्सक काम पर नहीं लौटे तो उन पर महामारी रोग कानून लगाया जाएगा.

राजकोट में एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक ने कहा, 'कुछ दिनों पहले जब हम गांधीनगर शीर्ष अधिकारियों से मिलने गए, तो हमसे कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान काम का सबूत दिखाइए. सरकार द्वारा दिया गया यह 'कोविड योद्धा' प्रमाण पत्र इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि हमने अपने बारे में सोचे बगैर रोगियों के लिए दिन-रात काम किया.'

उन्होंने कहा, 'अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से कहा है कि छात्रावास खाली करें. पानी एवं बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए. महिला चिकित्सकों को बाहर रात बिताने के लिए मजबूर किया गया. यह अपमान है. इसलिए कई चिकित्सकों ने 'कोविड योद्धा' का प्रमाण पत्र लौटाने का निर्णय किया है.'

इस बीच मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिकित्सकों से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर दें. रूपाणी ने नर्मदा जिले में संवाददाताओं से कहा, 'वर्तमान में अस्पतालों में शायद ही कोरोना वायरस का कोई मामला है. जब मामले उच्चतम स्तर पर थे, तो हमने एक योजना शुरू की थी, जहां एक दिन की कोविड ड्यूटी को अनुबंध सेवा के दो दिनों के बराबर माना. अब चूंकि कोरोना वायरस का कोई मामला नहीं है तो चिकित्सकों को अनुबंध समझौते का सम्मान करना चाहिए. मैं उनसे अपील करता हूं कि हड़ताल समाप्त करें और अनुबंध के मुताबिक ड्यूटी करें.'

उपमुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि चिकित्सकों को व्यावहारिक होना चाहिए और समझौता करने से पहले ड्यूटी शुरू कर देनी चाहिए.

गुजरात में सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को एक बांड पर दस्तखत करने की जरूरत होती है, जिसके तहत उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद एक वर्ष के लिए ग्रामीण इलाकों में सेवा देना जरूरी है. हाल में राज्य सरकार ने अनुबंध नियमों के तहत इस तरह के चिकित्सकों के लिए ड्यूटी आदेश जारी किए थे.

पढ़ें - MP: लापरवाही ने ली मासूम की जान ! हंसते-हंसते पहुंचा अस्पताल, एनेस्थीसिया के ओवर डोज ने ली जान

चिकित्सक 40 लाख रुपये का भुगतान कर इस अनुबंध को तोड़ सकते हैं. इस वर्ष अप्रैल में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि एक दिन कोविड-19 की ड्यूटी को दो दिनों के अनुबंध ड्यूटी के समतुल्य माना जाएगा, जिसका मतलब है कि कोविड-19 वार्ड में छह महीने काम करने को अनुबंध समय अवधि के एक वर्ष के बराबर माना जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

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