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स्वच्छ पेयजल तक लाेगाें की पहुंच काेराेना से प्रभावित

वर्ष 2020 में लाेगाें तक स्वच्छ पेयजल की पहुंच काे लेकर चलाया जा रहा अभियान काफी हद तक प्रभावित हुआ है. स्वच्छ पानी तक सार्वभौमिक पहुंच कैसे प्रभावित हुई, देखें इस रिपोर्ट में

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Published : Jun 8, 2021, 7:27 AM IST

हैदराबाद : काेराेना महामारी के मद्देनजर दुनिया भर में उत्पन्न स्थितियाें पर विकासशील देशों में पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता के लिए फाइनांस करने वाले लोगाें ने चिंता जताई है. ग्राहकों ने अपने पानी के बिलों का भुगतान करना बंद कर दिया.

न केवल ऐसे लोगों की प्राथमिकताएं बदल गईं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना महामारी को देखते हुए राष्ट्राध्यक्षों ने अपना ध्यान वायरस से संबंधित अन्य आपात स्थितियों की ओर लगाया.

स्वच्छ जल तक सार्वभौमिक पहुंच पर COVID-19 का प्रभाव

COVID-19 स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच की गति को प्रभावित किया है - जिसे WASH के रूप में जाना जाता है. दिसंबर 2020 में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने बताया कि महामारी के कारण, 2020 की पहली तीन तिमाहियों में पानी, स्वच्छता और स्वच्छता में अंतर्राष्ट्रीय निवेश 70% गिर गया.

शुरुआती संकेत बताते हैं कि भारत और घाना में कार्यक्रमों के साथ न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संस्था सेफ वाटर नेटवर्क के अनुसार, छोटे जल प्रदाताओं ने महामारी से मुकाबला किया.

पिछली आधी सदी में WASH क्षेत्र विकासशील दुनिया को स्वच्छ पानी, और स्वच्छता प्रदान करने के एक उद्देश्य के लिए समर्पित परियोजनाओं, कार्यक्रमों, विभागों, विचार केंद्रों, उपयोगिताओं, सेवा कंपनियों, अनुसंधान समूहों और परामर्शों के लिए विकसित हुआ है.

1970 के बाद से विकासशील देशों में आधिकारिक विकास सहायता, आधिकारिक विकास वित्त, सरकारी सहायता, ऋण और परोपकारी अनुदान पर $400 बिलियन से अधिक खर्च किए गए हैं.

यूएन वाटर ग्लोबल एनालिसिस एंड असेसमेंट ऑफ सेनिटेशन एंड ड्रिंकिंग वाटर (c) के अनुसार, यह महामारी से पहले के पांच वर्षों में WASH में सालाना निवेश लगभग 20 बिलियन डॉलर से अधिक किए गए हैं.

रिपाेर्ट के मुताबकि दूषित पेयजल, स्वच्छता के अभाव के कारण होने वाले दस्त से हर दिन 700 से अधिक बच्चे मर जाते हैं. इसके मुताबिक, लगभग 700 मिलियन लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं और लगभग 400 मिलियन बच्चे बिना स्वच्छता सुविधाओं वाले स्कूलों में जाते हैं.

2000 और 2017 के बीच 4.5 अरब लोगों को हाथ धोने की बुनियादी सुविधाएं मिल पाई हैं, वहीं 1.8 अरब लोगों ने सुरक्षित जल आपूर्ति तक पहुंच प्राप्त की है, जबकि 2.1 अरब लोगों ने बेहतर स्वच्छता तक पहुंच प्राप्त की है.

स्वच्छ जल तक सार्वभौमिक पहुंच

2015 में संयुक्त राष्ट्र की उस पहल के लिए उसकी प्रशंसा की गई जिसके तहत 2030 तक पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पानी, स्वच्छता और हाथ धोने की सुविधा प्रदान करने के लिए सतत विकास लक्ष्य 6 ( सस्टैनेबल डेवलपमेंट गोल 6 ) स्थापित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र के 2017 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की 88% आबादी, या लगभग 7 बिलियन लोगों के पास अपने घरों में और 15 मिनट की पैदल दूरी पर साफ पानी उपलब्ध है. 2000 से 2017 तक लगभग 1.8 बिलियन लोगों ने बुनियादी जल आपूर्ति तक पहुंच प्राप्त की.

इसे भी पढ़ें : भारत ने UNGA के 76वें सत्र का अध्यक्ष चुने जाने पर अब्दुल्ला को दी बधाई

2017 के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि एशिया, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अफ्रीका के विकासशील देश 2030 तक सार्वभौमिक पहुंच लक्ष्यों को पूरा करने के करीब पहुंच रहे हैं.

हैदराबाद : काेराेना महामारी के मद्देनजर दुनिया भर में उत्पन्न स्थितियाें पर विकासशील देशों में पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता के लिए फाइनांस करने वाले लोगाें ने चिंता जताई है. ग्राहकों ने अपने पानी के बिलों का भुगतान करना बंद कर दिया.

न केवल ऐसे लोगों की प्राथमिकताएं बदल गईं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना महामारी को देखते हुए राष्ट्राध्यक्षों ने अपना ध्यान वायरस से संबंधित अन्य आपात स्थितियों की ओर लगाया.

स्वच्छ जल तक सार्वभौमिक पहुंच पर COVID-19 का प्रभाव

COVID-19 स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुंच की गति को प्रभावित किया है - जिसे WASH के रूप में जाना जाता है. दिसंबर 2020 में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने बताया कि महामारी के कारण, 2020 की पहली तीन तिमाहियों में पानी, स्वच्छता और स्वच्छता में अंतर्राष्ट्रीय निवेश 70% गिर गया.

शुरुआती संकेत बताते हैं कि भारत और घाना में कार्यक्रमों के साथ न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संस्था सेफ वाटर नेटवर्क के अनुसार, छोटे जल प्रदाताओं ने महामारी से मुकाबला किया.

पिछली आधी सदी में WASH क्षेत्र विकासशील दुनिया को स्वच्छ पानी, और स्वच्छता प्रदान करने के एक उद्देश्य के लिए समर्पित परियोजनाओं, कार्यक्रमों, विभागों, विचार केंद्रों, उपयोगिताओं, सेवा कंपनियों, अनुसंधान समूहों और परामर्शों के लिए विकसित हुआ है.

1970 के बाद से विकासशील देशों में आधिकारिक विकास सहायता, आधिकारिक विकास वित्त, सरकारी सहायता, ऋण और परोपकारी अनुदान पर $400 बिलियन से अधिक खर्च किए गए हैं.

यूएन वाटर ग्लोबल एनालिसिस एंड असेसमेंट ऑफ सेनिटेशन एंड ड्रिंकिंग वाटर (c) के अनुसार, यह महामारी से पहले के पांच वर्षों में WASH में सालाना निवेश लगभग 20 बिलियन डॉलर से अधिक किए गए हैं.

रिपाेर्ट के मुताबकि दूषित पेयजल, स्वच्छता के अभाव के कारण होने वाले दस्त से हर दिन 700 से अधिक बच्चे मर जाते हैं. इसके मुताबिक, लगभग 700 मिलियन लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं और लगभग 400 मिलियन बच्चे बिना स्वच्छता सुविधाओं वाले स्कूलों में जाते हैं.

2000 और 2017 के बीच 4.5 अरब लोगों को हाथ धोने की बुनियादी सुविधाएं मिल पाई हैं, वहीं 1.8 अरब लोगों ने सुरक्षित जल आपूर्ति तक पहुंच प्राप्त की है, जबकि 2.1 अरब लोगों ने बेहतर स्वच्छता तक पहुंच प्राप्त की है.

स्वच्छ जल तक सार्वभौमिक पहुंच

2015 में संयुक्त राष्ट्र की उस पहल के लिए उसकी प्रशंसा की गई जिसके तहत 2030 तक पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पानी, स्वच्छता और हाथ धोने की सुविधा प्रदान करने के लिए सतत विकास लक्ष्य 6 ( सस्टैनेबल डेवलपमेंट गोल 6 ) स्थापित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र के 2017 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की 88% आबादी, या लगभग 7 बिलियन लोगों के पास अपने घरों में और 15 मिनट की पैदल दूरी पर साफ पानी उपलब्ध है. 2000 से 2017 तक लगभग 1.8 बिलियन लोगों ने बुनियादी जल आपूर्ति तक पहुंच प्राप्त की.

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2017 के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि एशिया, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अफ्रीका के विकासशील देश 2030 तक सार्वभौमिक पहुंच लक्ष्यों को पूरा करने के करीब पहुंच रहे हैं.

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