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सभी काेराेना मरीजाें के लिए कारगर नहीं रेमडेसिवीर इंजेक्शन, जानें कैसे - chandigarh pgi doctor

देश में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की अचानक डिमांड बढ़ने के बाद इसकी कालाबाजारी भी खूब होने लगी है. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी से बात की और यह जाने की कोशिश की कि इस इंजेक्शन में आखिर क्या है और यह काेराेना में किस हद तक कारगर है.

इंजेक्शन
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Published : Apr 26, 2021, 2:08 PM IST

चंडीगढ़: देश में कोरोना के केस फिर से बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. यह इंजेक्शन लोगों को काफी मुश्किल से मिल रहा है और देश में इसकी कालाबाजारी की भी काफी खबरें आ रही हैं.

जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत करीब चार हजार रुपये है, लेकिन यह अपनी कीमत से कई गुणा ज्यादा दाम पर बेचा जा रहा है और लोग तब भी इसे खरीदना चाहते हैं. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी से बात की और यह जाने की कोशिश की कि इस इंजेक्शन में आखिर क्या है और यह काेराेना में किस हद तक कारगर है.

रेमडेसिविर इंजेक्शन में आखिर क्या खास है?

रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी ने बताया कि यह एक एंटी वायरल ड्रग है, जिसे कुछ साल पहले इबोला वायरस के लिए बनाया गया था. यह इंजेक्शन कोरोना के मरीजों को भी दिया जा रहा है.

इंजेक्शन के बाद यह देखा गया है कि मरीजों की रिकवरी तेज हुई है, लेकिन इससे मृत्यु दर में कमी आएगी. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है. इंजेक्शन के बाद इसकी रिकवरी में 10 से 15 फीसदी की तेजी देखी गई है, लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि यह गंभीर तौर पर बीमार मरीजों की जान बचा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना होने पर शरीर में कम हो रहा है ऑक्सीजन लेवल? चंडीगढ़ PGI के डीन से जानिए उपाय

किन मरीजों को दिया जा सकता है रेमडेसिविर इंजेक्शन?

डॉक्टर पुरी ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों को कोरोना होने के बाद शुरुआती दिनों में दिया जा सकता है, लेकिन उस वक्त यह कोई काम कर नहीं करेगा जब मरीज ज्यादा बीमार है या उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. यह उन मरीजों को दिया जाता है जो मरीज कोरोना होने के पहले 10 दिन के भीतर अस्पताल आएं हो. उसका उस दिन का स्तर कम हो.

अफवाहों की वजह से बढ़ी रेमडेसिविर की डिमांड

चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉ. जीडी पुरी का कहना है कि इस दवाई को लेकर गलत अफवाहें फैल रही हैं. जिस वजह से इस दवाई की कमी हो रही है और कालाबाजारी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर हर रोज करीब तीन लाख मरीज सामने आ रहे हैं और उनमें से एक लाख मरीज यह दवाई लेना चाहते हैं तो इससे दवाई की कमी तो होगी ही. ऐसा होने से जिन 3-4% मरीजों को यह दवाई चाहिए उन्हें भी नहीं मिल पा रही.

ये भी पढ़ें- गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक, स्त्री रोग विशेषज्ञ से जानिए सुरक्षा के ये खास उपाय

जान बचाने की गारंटी नहीं है रेमडेसिविर इंजेक्शन

डॉक्टर पुरी ने कहा कि यह इंजेक्शन इस बात की गारंटी नहीं है कि इसको देने के बाद मरीज की जान बच जाएगी. यह इंजेक्शन सिर्फ मरीज की रिकवरी को तेज कर सकता है. यह किसी की जान बचाने की गारंटी नहीं है.

लिवर-किडनी के मरीजों को हाे सकता है नुकसान

डॉक्टर पुरी ने लोगों से अपील की है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के पीछे भागने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सभी के लिए कारगर नहीं है. अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो वह अपनी मर्जी से इस इंजेक्शन को बिल्कुल नहीं लें. क्योंकि जिन मरीजों के लिवर या किडनी में दिक्कत है उन मरीजों को यह नहीं दिया जा सकता. इससे उन मरीजों को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है.

चंडीगढ़: देश में कोरोना के केस फिर से बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. ऐसे में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. यह इंजेक्शन लोगों को काफी मुश्किल से मिल रहा है और देश में इसकी कालाबाजारी की भी काफी खबरें आ रही हैं.

जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत करीब चार हजार रुपये है, लेकिन यह अपनी कीमत से कई गुणा ज्यादा दाम पर बेचा जा रहा है और लोग तब भी इसे खरीदना चाहते हैं. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी से बात की और यह जाने की कोशिश की कि इस इंजेक्शन में आखिर क्या है और यह काेराेना में किस हद तक कारगर है.

रेमडेसिविर इंजेक्शन में आखिर क्या खास है?

रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉक्टर जीडी पुरी ने बताया कि यह एक एंटी वायरल ड्रग है, जिसे कुछ साल पहले इबोला वायरस के लिए बनाया गया था. यह इंजेक्शन कोरोना के मरीजों को भी दिया जा रहा है.

इंजेक्शन के बाद यह देखा गया है कि मरीजों की रिकवरी तेज हुई है, लेकिन इससे मृत्यु दर में कमी आएगी. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है. इंजेक्शन के बाद इसकी रिकवरी में 10 से 15 फीसदी की तेजी देखी गई है, लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि यह गंभीर तौर पर बीमार मरीजों की जान बचा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना होने पर शरीर में कम हो रहा है ऑक्सीजन लेवल? चंडीगढ़ PGI के डीन से जानिए उपाय

किन मरीजों को दिया जा सकता है रेमडेसिविर इंजेक्शन?

डॉक्टर पुरी ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीजों को कोरोना होने के बाद शुरुआती दिनों में दिया जा सकता है, लेकिन उस वक्त यह कोई काम कर नहीं करेगा जब मरीज ज्यादा बीमार है या उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. यह उन मरीजों को दिया जाता है जो मरीज कोरोना होने के पहले 10 दिन के भीतर अस्पताल आएं हो. उसका उस दिन का स्तर कम हो.

अफवाहों की वजह से बढ़ी रेमडेसिविर की डिमांड

चंडीगढ़ पीजीआई के डीन डॉ. जीडी पुरी का कहना है कि इस दवाई को लेकर गलत अफवाहें फैल रही हैं. जिस वजह से इस दवाई की कमी हो रही है और कालाबाजारी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर हर रोज करीब तीन लाख मरीज सामने आ रहे हैं और उनमें से एक लाख मरीज यह दवाई लेना चाहते हैं तो इससे दवाई की कमी तो होगी ही. ऐसा होने से जिन 3-4% मरीजों को यह दवाई चाहिए उन्हें भी नहीं मिल पा रही.

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जान बचाने की गारंटी नहीं है रेमडेसिविर इंजेक्शन

डॉक्टर पुरी ने कहा कि यह इंजेक्शन इस बात की गारंटी नहीं है कि इसको देने के बाद मरीज की जान बच जाएगी. यह इंजेक्शन सिर्फ मरीज की रिकवरी को तेज कर सकता है. यह किसी की जान बचाने की गारंटी नहीं है.

लिवर-किडनी के मरीजों को हाे सकता है नुकसान

डॉक्टर पुरी ने लोगों से अपील की है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के पीछे भागने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सभी के लिए कारगर नहीं है. अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो वह अपनी मर्जी से इस इंजेक्शन को बिल्कुल नहीं लें. क्योंकि जिन मरीजों के लिवर या किडनी में दिक्कत है उन मरीजों को यह नहीं दिया जा सकता. इससे उन मरीजों को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है.

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