लखनऊ : उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण में अब तक कुल 3467 परियोजनाएं पंजीकृत हो चुकी हैं. एनसीआर यानी दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ और बुलंदहशहर क्षेत्र में कुल 1598 और नॉन एनसीआर क्षेत्र यानी बाकी यूपी में कुल 1869 परियोजना पंजीकृत हुई हैं. प्रदेश में पंजीकृत कुल 3467 परियोजनाओं में से 1411 परियोजनाएं ऐसी हैं जो कि नई हैं और 2056 का काम अभी जारी है.
![UP RERA : पंजीकरण बहुत कम, मगर आवासीय काॅलोनियां कई गुना ज्यादा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/up-luc-02-lda-7210474_29082023121442_2908f_1693291482_29.jpg)
![c](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/19385349_reranhd4.jpg)
![c](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/up-luc-02-lda-7210474_29082023121442_2908f_1693291482_675.jpg)
इसके अलावा नॉन एनसीआर क्षेत्र में पंजीकृत कुल 1869 परियोजनाओं में से 882 नई शुरू हो चुकी हैं. 987 स्कीम ऐसी हैं जिनका कार्य प्रगति पर है. एनसीआर क्षेत्र में पंजीकृत कुल 1598 परियोजनाओं में 529 योजना शुरू हो चुकी हैं और 1069 का कार्य प्रगति पर है. केवल गौतम बुद्ध नगर यानी नोएडा में कुल 962 परियोजनाएँ पंजीकृत हो चुकी हैं जिनमें से 671 का कार्य प्रगति पर है और 291 नई परियोजनाएं हैं. गाजियाबाद में कुल 428 परियोजनाएं पंजीकृत हो चुकी हैं. जिनमें से 268 का कार्य प्रगति पर है और 160 नई पंजीकृत परियोजनाएं हैं. राजधानी लखनऊ में कुल 719 परियोजनाएं पंजीकृत हो चुकी हैं. जिनमें से 320 नई हैं और 399 का कार्य प्रगति पर है.
![उत्तर प्रदेश रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी .](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/up-luc-02-lda-7210474_29082023121442_2908f_1693291482_137.jpg)
![UP RERA : पंजीकरण बहुत कम, मगर आवासीय काॅलोनियां कई गुना ज्यादा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/19385349_reranhd2.jpg)
![UP RERA : पंजीकरण बहुत कम, मगर आवासीय काॅलोनियां कई गुना ज्यादा.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2023/up-luc-02-lda-7210474_29082023121442_2908f_1693291482_124.jpg)
रेरा पंजीकरण का फायदा
रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी से पंजीकरण कराने पर बिल्डर को संबंधित अथॉरिटी से मानचित्र या लेआउट जरूर पास करना पड़ता है. जिस जमीन पर आवासीय परियोजना बन रही होती है उसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं होती है. भूमि का लैंडयूज़ पूरी तरह से वही होता है जो बताकर जमीन बेची जा रही है. इसके बावजूद अगर बिल्डर आवँटी को उसकी जमीन या मकान नहीं दे रहा है तो रेरा उसको कानूनी रूप से बात करके कब्जा दिलवाती है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की वेबसाइट पर जाकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि जिस कॉलोनी में संपत्ति की खरीद फरोख्त हो रही है. वह रेरा में पंजीकृत है या नहीं.