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क्षेत्रीय दलों को लोकसभा चुनाव-2024 के लिए राष्ट्रीय मोर्चा बनाना चाहिए : सुखबीर सिंह बादल

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को कहा कि क्षेत्रीय दलों को एकसाथ आना चाहिए. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक राष्ट्रीय मोर्चा बनाना चाहिए.

सुखबीर सिंह बादल
सुखबीर सिंह बादल
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Published : Jul 25, 2021, 8:57 PM IST

नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने रविवार को कहा कि क्षेत्रीय दलों को एकसाथ आना चाहिए. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक राष्ट्रीय मोर्चा बनाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी की कहानी खत्म हो गई है.

बादल ने कहा कि किसानों के मुद्दे अकाली दल की विचारधारा के मूल में हैं और उनकी पार्टी इनपर कभी समझौता नहीं कर सकती है. इसलिए उसने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर भाजपा (Bhartiya Janata Party-BJP) के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया और केंद्र सरकार से बाहर हो गई.

बादल ने एक साक्षात्कार में कहा कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और उनके मुद्दे हमारी विचारधारा के मूल हैं. चाहे कुछ भी हो जाए और हमें जो भी कीमत चुकानी पड़े, हम इन कानूनों को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे. किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

पिछले साल सितंबर में, बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया था.

पढ़ें : फारुख अब्दुल्ला का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, 'दिल जीतने की नहीं की कोशिश'

विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कार्पोरेट की दया पर निर्भर बना देंगे. कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश करने वाली सरकार के साथ उनकी 10 दौर से अधिक की बातचीत दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party-BSP) के साथ अकाली दल के नए गठबंधन के बारे में बादल ने कहा कि दोनों दलों के बीच गठबंधन स्थायी है और भाजपा के साथ अकाली दल की कहानी खत्म हो गई है. पार्टी के भविष्य के कदम पर बादल ने कहा कि अकाली दल विभिन्न क्षेत्रीय दलों से बात कर रहा है ताकि 2024 के आम चुनाव से पहले वे सभी एक मंच पर आ सकें.

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ताकतों (दलों) को एकसाथ आने की जरूरत है. क्षेत्रीय ताकतें जमीन से अधिक जुड़ी हुई हैं और लोगों की बेहतर समझ रखती हैं. हम विभिन्न दलों से बात कर रहे हैं. क्षेत्रीय दलों को एक साथ आना चाहिए और 2024 के आम चुनाव से पहले एक मोर्चा बनाना चाहिए. मुझे विश्वास है कि 2024 से पहले यह मोर्चा बहुत मजबूत ताकत के रूप में उभरेगा.

बादल ने कहा कि यह तीसरे मोर्चे के बजाय दूसरा मोर्चा होगा क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) अब अखिल भारतीय पार्टी नहीं है. नए मोर्चे का मुख्य निशाना भाजपा होगी.

उन्होंने कहा कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में अकाली दल के लिए कृषि कानून मुख्य मुद्दा होगा और यदि पार्टी सत्ता में आती है, तो यह उन सभी किसानों के परिवारों के सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करेगी, जिन्होंने कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाई है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार मृतक किसानों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और कम उम्र में जान गंवानों वालों के माता-पिता को पेंशन प्रदान करेगी.

बादल ने यह भी कहा कि अकाली दल नए और युवा चेहरों पर बड़ा दांव लगाएगी और अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक महिलाओं को मैदान में उतारने की कोशिश करेगी.

पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus Spyware) के जरिए नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों के बारे में पूछे जाने पर बादल ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया और मामले की जांच के लिए एक विपक्षी सांसद की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की.

बादल ने कहा कि यह पूरा जासूसी प्रकरण संविधान, लोकतंत्र और लोगों के अधिकारों पर हमला है. यह पूरी तरह से अनैतिक है और इसकी जांच के लिए एक विपक्षी सांसद की अध्यक्षता में एक जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने रविवार को कहा कि क्षेत्रीय दलों को एकसाथ आना चाहिए. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक राष्ट्रीय मोर्चा बनाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी की कहानी खत्म हो गई है.

बादल ने कहा कि किसानों के मुद्दे अकाली दल की विचारधारा के मूल में हैं और उनकी पार्टी इनपर कभी समझौता नहीं कर सकती है. इसलिए उसने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर भाजपा (Bhartiya Janata Party-BJP) के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया और केंद्र सरकार से बाहर हो गई.

बादल ने एक साक्षात्कार में कहा कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और उनके मुद्दे हमारी विचारधारा के मूल हैं. चाहे कुछ भी हो जाए और हमें जो भी कीमत चुकानी पड़े, हम इन कानूनों को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे. किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

पिछले साल सितंबर में, बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया था.

पढ़ें : फारुख अब्दुल्ला का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, 'दिल जीतने की नहीं की कोशिश'

विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कार्पोरेट की दया पर निर्भर बना देंगे. कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश करने वाली सरकार के साथ उनकी 10 दौर से अधिक की बातचीत दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party-BSP) के साथ अकाली दल के नए गठबंधन के बारे में बादल ने कहा कि दोनों दलों के बीच गठबंधन स्थायी है और भाजपा के साथ अकाली दल की कहानी खत्म हो गई है. पार्टी के भविष्य के कदम पर बादल ने कहा कि अकाली दल विभिन्न क्षेत्रीय दलों से बात कर रहा है ताकि 2024 के आम चुनाव से पहले वे सभी एक मंच पर आ सकें.

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ताकतों (दलों) को एकसाथ आने की जरूरत है. क्षेत्रीय ताकतें जमीन से अधिक जुड़ी हुई हैं और लोगों की बेहतर समझ रखती हैं. हम विभिन्न दलों से बात कर रहे हैं. क्षेत्रीय दलों को एक साथ आना चाहिए और 2024 के आम चुनाव से पहले एक मोर्चा बनाना चाहिए. मुझे विश्वास है कि 2024 से पहले यह मोर्चा बहुत मजबूत ताकत के रूप में उभरेगा.

बादल ने कहा कि यह तीसरे मोर्चे के बजाय दूसरा मोर्चा होगा क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) अब अखिल भारतीय पार्टी नहीं है. नए मोर्चे का मुख्य निशाना भाजपा होगी.

उन्होंने कहा कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में अकाली दल के लिए कृषि कानून मुख्य मुद्दा होगा और यदि पार्टी सत्ता में आती है, तो यह उन सभी किसानों के परिवारों के सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान करेगी, जिन्होंने कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाई है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार मृतक किसानों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और कम उम्र में जान गंवानों वालों के माता-पिता को पेंशन प्रदान करेगी.

बादल ने यह भी कहा कि अकाली दल नए और युवा चेहरों पर बड़ा दांव लगाएगी और अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक महिलाओं को मैदान में उतारने की कोशिश करेगी.

पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus Spyware) के जरिए नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों के बारे में पूछे जाने पर बादल ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया और मामले की जांच के लिए एक विपक्षी सांसद की अध्यक्षता में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की.

बादल ने कहा कि यह पूरा जासूसी प्रकरण संविधान, लोकतंत्र और लोगों के अधिकारों पर हमला है. यह पूरी तरह से अनैतिक है और इसकी जांच के लिए एक विपक्षी सांसद की अध्यक्षता में एक जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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