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ADR रिपोर्ट : सिक्किम के सालाना बजट का आधा केवल सात राजनीतिक दलों को चंदे से मिला

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Published : Oct 11, 2021, 4:04 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 4:42 PM IST

राजनीतिक दलों को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह रकम उन्हें चंदे, कूपन, इलेक्ट्रोरल बॉन्ड आदि से मिलती है. मगर यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अपनी कुल आय 877.957 करोड़ रुपये घोषित की है.

डिजाइन फोटो
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हैदराबाद : राजनीतिक दलों को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह रकम उन्हें चंदे, कूपन, इलेक्ट्रोरल बॉन्ड आदि से मिलती है. मगर यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत के 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को साल 2019-20 में करीब 4758.206 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह रकम सिक्किम जैसे राज्य के वार्षिक बजट का आधा है. 2019-20 में सिक्किम का बजट मात्र 8,665 करोड़ रुपये था. भारत सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम के लिए वर्ष 2020-21 के बजट में 890.42 करोड़ रूपये आवंटित किए थे. वहीं, चंदा लेने के मामले में क्षेत्रीय पार्टियां भी पीछे नहीं हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अपनी कुल आय 877.957 करोड़ रुपये घोषित की है.

भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India) ने 19 नवंबर, 2014 को सभी राजनीतिक दलों को हर साल आय-व्यय का लेखा-जोखा देने को कहा था.

फाइनैंशियल ईयर 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 30 जून 2021 की अंतिम तारीख तय की गई थी, मगर कोविड-19 के कारण इस तारीख में बदलाव किया गया. एडीआर के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आय-व्यय के बारे में जानकारी दे दी है.

भारत निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र दिनांक 19 नवंबर,'14 में संबोधित करते हुए सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों/महासचिवों को बताया कि पार्टियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपनी ऑडिट रिपोर्ट का विवरण आयोग को प्रस्तुत करें.

यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 4 क्षेत्रीय दलों द्वारा पूरे भारत में किए गए कुल आय और व्यय का विश्लेषण करती है, जैसा कि पार्टियों द्वारा आयोग को सबमिट किए गए आईटी रिटर्न में घोषित किया गया है.

क्षेत्रीय दलों में बीजद, टीडीपी, एसएचएस, डीएमके, एसपी, आप, वाईएसआर-सी, अन्नाद्रमुक, जेडीएस, टीआरएस, शिअद, जेडीयू, आजसू, राजद, जेवीएम-पी, आईयूएमएल, पीएमके, झामुमो, एसडीएफ, लोजपा, इनेलो रालोद, जजपा, एनडीपीपी, एसकेएम, डीएमडीके, एआईएमआईएम, एमजीपी, एआईयूडीएफ, जीएफपी, एआईएफबी, एमएनएफ, एनपीएफ, जेकेपीडीपी, केसी-एम, एजीपी, जेडएनपी, आईपीएफटी, पीडीए, एआईएनआरसी, एमपीसी और आरएलपी शामिल हैं.

इन दलों को फाइनैंशियल ईयर 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 30 जून 2021 की अंतिम तारीख तय की गई थी.

37 पार्टियों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट समय पर जमा कर दी थी, जबकि 5 पार्टियों (एनपीएफ, आईयूएमएल, जेडएनपी, आईपीएफटी और केसी-एम) ने अपनी प्रस्तुति में कई दिनों की देरी की.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए शेष 11 क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. इनमें कुछ प्रमुख राजनीतिक दल जैसे मनसे, जेकेएनपीपी, आरएलएसपी, बीपीएफ, जेकेएनसी और पीपीए आदि शामिल हैं. इसलिए, यह रिपोर्ट 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की आय और व्यय का विश्लेषण करती है, जिनकी ऑडिट रिपोर्ट वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित कुल आय 877.957 करोड़ रुपये है.

सबसे अधिक आय वाले क्षेत्रीय दल

⦁ टीआरएस ने सबसे अधिक 130.46 करोड़ रुपये की आय की सूचना दी, जो विश्लेषण किए गए सभी दलों की कुल आय का 14.86% है.

⦁ इसके बाद शिवसेना की आय 111.403 करोड़ रुपये है, जो कुल आय का12.69% है.

⦁ वाईएसआर-सी की आय 92.739 करोड़ रुपये यानि कुल इनकम का10.56 प्रतिशत थी.

जानकारी के अनुसार शीर्ष पांच दलों की कुल आय 516.482 करोड़ रुपये है, जो विश्लेषण किए गए राजनीतिक दलों की कुल आय का 58.83 प्रतिशत हिस्सा है.

42 राजनीतिक दलों में से कुल 39 दल, जिनके डेटा दो वर्षों से उपलब्ध हैं. उनमें से 23 दलों ने वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2019-20 तक अपनी आय में वृद्धि दिखाई है, जबकि 16 दलों ने अपनी आय में गिरावट दिखाई है. इस तरह इन 39 दलों की कुल आय वित्त वर्ष 2018-19 में 1087.206 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2019-20 में 874.467 करोड़ रुपये हो गई.

AIADMK ने अपनी आय में सबसे अधिक 61.506 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की, जिसके बाद DMK और AAP ने 38.557 करोड़ रुपये की कुल वृद्धि की घोषणा की.

वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच क्रमशः क्षेत्रीय दलों की खर्च नहीं की गई आय 30.337 करोड़ थी. आंकड़ों के मुताबिक 24 क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपनी आय का एक हिस्सा अव्ययित घोषित किया, जबकि 18 राजनीतिक दलों ने वर्ष के दौरान एकत्रित आय से अधिक खर्च किया.

टीआरएस की कुल आय का 83.76% हिस्सा खर्च नहीं हुआ है, जबकि एआईएडीएमके और जेजेपी के पास क्रमशः 67.82% और 64% राशि शेष है.

टीडीपी, बीजेडी, डीएमके, एसपी, जेडीएस, आजसू, जेवीएम-पी, इनेलो, पीएमके, एमजीपी, जीएफपी, एसडीएफ, एमएनएफ, एआईएफबी, एनपीएफ, जेकेपीडीपी, आईपीएफटी और एमपीसी 18 क्षेत्रीय दल हैं, जिन्होंने अपनी आय से अधिक खर्च करने की घोषणा की.

पढ़ें - नेशनल पार्टियों को इतना तगड़ा डोनेशन मिला, जिससे 'खेलो इंडिया' जैसी 6 योजनाएं चल सकती हैं

क्षेत्रीय दलों द्वारा किया गया कुल व्यय

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 42 क्षेत्रीय दलों का कुल घोषित व्यय 742.535 करोड़ रुपये था.

शीर्ष 3 दलों द्वारा किया गया कुल खर्च 393.35 करोड़ रुपये है, जो 42 राजनीतिक दलों द्वारा बताए गए कुल खर्च का 52.97 प्रतिशत है.

सबसे अधिक खर्चा करने वाले क्षेत्रीय दल

सबसे अधिक खर्च करने वाली शीर्ष पार्टी बीजद है, जिसने 186.13 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, इसके बाद टीडीपी ने 108.84 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं शिवसेना ने 98.379 करोड़ रुपये, DMK ने 71.038 करोड़ रुपये खर्च किए और सपा ने 55.692 करोड़ रुपये खर्च किया.

क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित आय के स्रोत

⦁ वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 42 क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान (दान और योगदान और चुनावी बांड सहित) से अपनी कुल आय का 676.326 करोड़ रुपये या एकत्र किया.

⦁ स्वैच्छिक योगदान के तहत, राजनीतिक दलों ने अपनी आय के 50.97% यानि 447.498 करोड़ रुपये चुनावी बांड के माध्यम से एकत्र किए, जबकि अन्य दान से 228.828 करोड़ रुपये की राशि इकठ्ठा की.

⦁ जिन 42 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 14 ने चुनावी बांड के माध्यम से 447.498 करोड़ रुपये का दान घोषित किया.

⦁ वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 42 क्षेत्रीय दलों द्वारा ब्याज आय एफडीआर के माध्यम से कुल आय का 12.96% यानि 113.761 करोड़ रुपये जेनरेट किया गया था.

एडीआर का ऑब्जर्वेशन

⦁ पांच पार्टियों (एनपीएफ, आईयूएमएल, जेडएनपी, आईपीएफटी और केसी-एम) की ऑडिट रिपोर्ट 27 दिनों से 77 दिनों की देरी के बाद ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी

⦁ 11 क्षेत्रीय दलों की आयकर रिटर्न/ऑडिट रिपोर्ट अंतिम तारीख के 103 दिनों के बाद भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थी.

⦁ दानदाताओं गोपयीनता को देखते हुए, यह देखा गया है कि चुनावी बांड वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय तरीका बनकर उभरा है. इस माध्यम से राजनीतिक दलों को कुल आय का 50.97% हिस्सा प्राप्त हुआ.

⦁ वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए विश्लेषण किए गए 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की आय (447.498 करोड़ रुपये) चुनावी बांड के माध्यम से दान से प्राप्त हुई.

⦁ 2019-20 में क्षेत्रीय दलों के लिए खर्च की सबसे लोकप्रिय आइटम चुनाव खर्च/सामान्य प्रचार और प्रशासनिक/सामान्य खर्च हैं.

⦁ जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने वित्त वर्ष 2019-20 में अनुदान/दान/अंशदान के तहत सदस्यता शुल्क और अन्य शुल्क की घोषणा की.

आईयूएमएल पार्टी ने 2019-20 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2018-19 के शीर्षक के तहत आय और व्यय विवरण घोषित किया है. यह राजनीतिक दल और चुनाव आयोग दोनों की ओर से खुलासे/रिपोर्टिंग के प्रति उदासीन रवैया दिखाता है.

हैदराबाद : राजनीतिक दलों को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह रकम उन्हें चंदे, कूपन, इलेक्ट्रोरल बॉन्ड आदि से मिलती है. मगर यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत के 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को साल 2019-20 में करीब 4758.206 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह रकम सिक्किम जैसे राज्य के वार्षिक बजट का आधा है. 2019-20 में सिक्किम का बजट मात्र 8,665 करोड़ रुपये था. भारत सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम के लिए वर्ष 2020-21 के बजट में 890.42 करोड़ रूपये आवंटित किए थे. वहीं, चंदा लेने के मामले में क्षेत्रीय पार्टियां भी पीछे नहीं हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने अपनी कुल आय 877.957 करोड़ रुपये घोषित की है.

भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India) ने 19 नवंबर, 2014 को सभी राजनीतिक दलों को हर साल आय-व्यय का लेखा-जोखा देने को कहा था.

फाइनैंशियल ईयर 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 30 जून 2021 की अंतिम तारीख तय की गई थी, मगर कोविड-19 के कारण इस तारीख में बदलाव किया गया. एडीआर के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आय-व्यय के बारे में जानकारी दे दी है.

भारत निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र दिनांक 19 नवंबर,'14 में संबोधित करते हुए सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों/महासचिवों को बताया कि पार्टियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपनी ऑडिट रिपोर्ट का विवरण आयोग को प्रस्तुत करें.

यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 4 क्षेत्रीय दलों द्वारा पूरे भारत में किए गए कुल आय और व्यय का विश्लेषण करती है, जैसा कि पार्टियों द्वारा आयोग को सबमिट किए गए आईटी रिटर्न में घोषित किया गया है.

क्षेत्रीय दलों में बीजद, टीडीपी, एसएचएस, डीएमके, एसपी, आप, वाईएसआर-सी, अन्नाद्रमुक, जेडीएस, टीआरएस, शिअद, जेडीयू, आजसू, राजद, जेवीएम-पी, आईयूएमएल, पीएमके, झामुमो, एसडीएफ, लोजपा, इनेलो रालोद, जजपा, एनडीपीपी, एसकेएम, डीएमडीके, एआईएमआईएम, एमजीपी, एआईयूडीएफ, जीएफपी, एआईएफबी, एमएनएफ, एनपीएफ, जेकेपीडीपी, केसी-एम, एजीपी, जेडएनपी, आईपीएफटी, पीडीए, एआईएनआरसी, एमपीसी और आरएलपी शामिल हैं.

इन दलों को फाइनैंशियल ईयर 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 30 जून 2021 की अंतिम तारीख तय की गई थी.

37 पार्टियों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट समय पर जमा कर दी थी, जबकि 5 पार्टियों (एनपीएफ, आईयूएमएल, जेडएनपी, आईपीएफटी और केसी-एम) ने अपनी प्रस्तुति में कई दिनों की देरी की.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए शेष 11 क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. इनमें कुछ प्रमुख राजनीतिक दल जैसे मनसे, जेकेएनपीपी, आरएलएसपी, बीपीएफ, जेकेएनसी और पीपीए आदि शामिल हैं. इसलिए, यह रिपोर्ट 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की आय और व्यय का विश्लेषण करती है, जिनकी ऑडिट रिपोर्ट वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित कुल आय 877.957 करोड़ रुपये है.

सबसे अधिक आय वाले क्षेत्रीय दल

⦁ टीआरएस ने सबसे अधिक 130.46 करोड़ रुपये की आय की सूचना दी, जो विश्लेषण किए गए सभी दलों की कुल आय का 14.86% है.

⦁ इसके बाद शिवसेना की आय 111.403 करोड़ रुपये है, जो कुल आय का12.69% है.

⦁ वाईएसआर-सी की आय 92.739 करोड़ रुपये यानि कुल इनकम का10.56 प्रतिशत थी.

जानकारी के अनुसार शीर्ष पांच दलों की कुल आय 516.482 करोड़ रुपये है, जो विश्लेषण किए गए राजनीतिक दलों की कुल आय का 58.83 प्रतिशत हिस्सा है.

42 राजनीतिक दलों में से कुल 39 दल, जिनके डेटा दो वर्षों से उपलब्ध हैं. उनमें से 23 दलों ने वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2019-20 तक अपनी आय में वृद्धि दिखाई है, जबकि 16 दलों ने अपनी आय में गिरावट दिखाई है. इस तरह इन 39 दलों की कुल आय वित्त वर्ष 2018-19 में 1087.206 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2019-20 में 874.467 करोड़ रुपये हो गई.

AIADMK ने अपनी आय में सबसे अधिक 61.506 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की, जिसके बाद DMK और AAP ने 38.557 करोड़ रुपये की कुल वृद्धि की घोषणा की.

वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच क्रमशः क्षेत्रीय दलों की खर्च नहीं की गई आय 30.337 करोड़ थी. आंकड़ों के मुताबिक 24 क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपनी आय का एक हिस्सा अव्ययित घोषित किया, जबकि 18 राजनीतिक दलों ने वर्ष के दौरान एकत्रित आय से अधिक खर्च किया.

टीआरएस की कुल आय का 83.76% हिस्सा खर्च नहीं हुआ है, जबकि एआईएडीएमके और जेजेपी के पास क्रमशः 67.82% और 64% राशि शेष है.

टीडीपी, बीजेडी, डीएमके, एसपी, जेडीएस, आजसू, जेवीएम-पी, इनेलो, पीएमके, एमजीपी, जीएफपी, एसडीएफ, एमएनएफ, एआईएफबी, एनपीएफ, जेकेपीडीपी, आईपीएफटी और एमपीसी 18 क्षेत्रीय दल हैं, जिन्होंने अपनी आय से अधिक खर्च करने की घोषणा की.

पढ़ें - नेशनल पार्टियों को इतना तगड़ा डोनेशन मिला, जिससे 'खेलो इंडिया' जैसी 6 योजनाएं चल सकती हैं

क्षेत्रीय दलों द्वारा किया गया कुल व्यय

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 42 क्षेत्रीय दलों का कुल घोषित व्यय 742.535 करोड़ रुपये था.

शीर्ष 3 दलों द्वारा किया गया कुल खर्च 393.35 करोड़ रुपये है, जो 42 राजनीतिक दलों द्वारा बताए गए कुल खर्च का 52.97 प्रतिशत है.

सबसे अधिक खर्चा करने वाले क्षेत्रीय दल

सबसे अधिक खर्च करने वाली शीर्ष पार्टी बीजद है, जिसने 186.13 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, इसके बाद टीडीपी ने 108.84 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं शिवसेना ने 98.379 करोड़ रुपये, DMK ने 71.038 करोड़ रुपये खर्च किए और सपा ने 55.692 करोड़ रुपये खर्च किया.

क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित आय के स्रोत

⦁ वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 42 क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान (दान और योगदान और चुनावी बांड सहित) से अपनी कुल आय का 676.326 करोड़ रुपये या एकत्र किया.

⦁ स्वैच्छिक योगदान के तहत, राजनीतिक दलों ने अपनी आय के 50.97% यानि 447.498 करोड़ रुपये चुनावी बांड के माध्यम से एकत्र किए, जबकि अन्य दान से 228.828 करोड़ रुपये की राशि इकठ्ठा की.

⦁ जिन 42 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 14 ने चुनावी बांड के माध्यम से 447.498 करोड़ रुपये का दान घोषित किया.

⦁ वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 42 क्षेत्रीय दलों द्वारा ब्याज आय एफडीआर के माध्यम से कुल आय का 12.96% यानि 113.761 करोड़ रुपये जेनरेट किया गया था.

एडीआर का ऑब्जर्वेशन

⦁ पांच पार्टियों (एनपीएफ, आईयूएमएल, जेडएनपी, आईपीएफटी और केसी-एम) की ऑडिट रिपोर्ट 27 दिनों से 77 दिनों की देरी के बाद ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी

⦁ 11 क्षेत्रीय दलों की आयकर रिटर्न/ऑडिट रिपोर्ट अंतिम तारीख के 103 दिनों के बाद भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थी.

⦁ दानदाताओं गोपयीनता को देखते हुए, यह देखा गया है कि चुनावी बांड वित्तीय वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय तरीका बनकर उभरा है. इस माध्यम से राजनीतिक दलों को कुल आय का 50.97% हिस्सा प्राप्त हुआ.

⦁ वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए विश्लेषण किए गए 42 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की आय (447.498 करोड़ रुपये) चुनावी बांड के माध्यम से दान से प्राप्त हुई.

⦁ 2019-20 में क्षेत्रीय दलों के लिए खर्च की सबसे लोकप्रिय आइटम चुनाव खर्च/सामान्य प्रचार और प्रशासनिक/सामान्य खर्च हैं.

⦁ जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने वित्त वर्ष 2019-20 में अनुदान/दान/अंशदान के तहत सदस्यता शुल्क और अन्य शुल्क की घोषणा की.

आईयूएमएल पार्टी ने 2019-20 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2018-19 के शीर्षक के तहत आय और व्यय विवरण घोषित किया है. यह राजनीतिक दल और चुनाव आयोग दोनों की ओर से खुलासे/रिपोर्टिंग के प्रति उदासीन रवैया दिखाता है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 4:42 PM IST
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