नई दिल्ली : कपिल सिब्बल के फैसले से कांग्रेस भले ही 'सन्न' हो, लेकिन पार्टी ने इसे बहुत अधिक तवज्जो न देने की बात कही है. दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने ईटीवी भारत से कहा, 'अब यह साबित हो गया है कि सिब्बल अपने निजी हितों की वजह से नेतृत्व पर सवाल उठा रहे थे. यह हम लोगों के दिमाग में भी था कि वह पार्टी छोड़ सकते हैं. दिल्ली ने उन्हें सांसद बनाया. फिर भी उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की. उन्होंने नेतृत्व पर सवाल उठाए.'
यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया, 'कपिल सिब्बल के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस की स्थिति खराब नहीं होगी. एक नेता जो दिल्ली में वोट नहीं हासिल कर सकता है, उससे राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को क्या नुकसान हो सकता है.'
सिब्बल का इस्तीफा हार्दिक पटेल और सुनील जाखड़ जैसे बड़े नेताओं के इस्तीफे के बाद आया है. जाखड़ भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं. हार्दिक भी उसी दिशा में बढ़ रहे हैं. इनसे पहले पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद भी पार्टी छोड़ चुके हैं. जितिन प्रसाद और आरपीएन ने यूपी चुनाव से पहले पार्टी को बाय-बाय कह दिया था. अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से पहले पार्टी छोड़ी थी.
सिब्बल के पार्टी छोड़ने की टाइमिंग भी बहुत महत्वपूर्ण है. एक दिन पहले ही सोनिया गांधी ने पी चिदंबमरम के नेतृत्व में जिस टास्क फोर्स 2024 के गठन की घोषणा की थी, उसकी पहली बैठक थी. इसमें पार्टी ने चुनाव में लगातार हो रही हार पर चर्चा की.
आपको बता दें कि सिब्बल उदयपुर चिंतन शिविर में शामिल नहीं हुए थे. वह जी-23 के मुखर नेताओं में शामिल थे. कांग्रेस के टास्क फोर्स में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा का नाम है. ये दोनों नेता भी जी 23 में शामिल हैं. इन दोनों नेताओं को कांग्रेस के नए पैनल में जगह दी है. इसके ठीक बाद सिब्बल ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी.
सिब्बल का राज्यसभा के लिए नामांकन भरना, वह भी सपा की मदद से, कांग्रेस के लिए सहज नहीं होगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे सपा और कांग्रेस के बीच दूरी और बढ़ेगी. सिब्बल आजम खान की कानूनी पैरवी कर चुके हैं. आजम को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है. हालांकि, सिब्बल ने नामांकन दाखिल करते समय अपने को निर्दलीय उम्मीदवार बताया है.
2020 में सिब्बल जी-23 के उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस संगठन में व्यापक समीक्षा की मांग की थी. उन्होंने कांग्रेस के लिए फुल टाइम अध्यक्ष के चुनाव की भी वकालत की थी. सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस को कई मामलों में बचाव किया है. नेशनल हेराल्ड मामले में भी. नेशनल हेराल्ड की शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने शुरुआत की थी. जब से सिब्बल ने यह कहा कि गांधी परिवार को नए नेतृत्व के लिए रास्ता साफ कर देना चाहिए, वह पार्टी के लिए किरकिरी हो गए थे.
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