कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार पहले से ही शिक्षा क्षेत्र में भर्ती अनियमितताओं से संबंधित कई घोटालों से जूझ रही है. सोमवार को सरकार को एक और झटका लगा, जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अग्निशमन विभाग की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार व अनियमितता के आरोप के चलते रोक लगाने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति हरीश टंडन की खंडपीठ ने राज्य अग्निशमन सेवा विभाग में 1500 दमकल कर्मियों की नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगा दी है. 11 जुलाई को मामले की फिर से सुनवाई होगी.
याचिकाकर्ताओं ने सामान्य श्रेणी में फायरमैन की भर्ती में भारी अनियमितता का आरोप लगाया था. मुख्य आरोप यह था कि लिखित परीक्षा में समान अंक प्राप्त करने वालों के साक्षात्कार में अनियमितताएं थीं. यह भी आरोप लगाया गया था कि लिखित परीक्षा में गलत प्रश्नों का इस्तेमाल किया गया था. लिखित परीक्षा के बाद, साक्षात्कार के लिए कुल 5,375 व्यक्तियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. परिणाम घोषित होने के बाद, कुछ उम्मीदवारों ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) का दरवाजा खटखटाया.
हालांकि, सैट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. राज्य के अग्निशमन सेवा मंत्री सुजीत बोस ने कहा कि जब भर्तियां की गई थीं, तब वह अग्निशमन विभाग के प्रभारी नहीं थे. उन्होंने कहा, हालांकि, मैंने तब कार्यभार संभाला जब एसएटी में भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी, जिसे राज्य सरकार के पक्ष में आदेश दिया गया था. अब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भर्तियों पर रोक लगा दी है और मैं अदालत के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि 2011 में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से राज्य सरकार के किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के बिना कोई भर्ती नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग से लेकर अग्निशमन विभाग तक, वन विभाग से लेकर सिंचाई विभाग तक सभी भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) द्वारा शिक्षकों और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की जांच कर रहा है.
(आईएएनएस)