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Farm Law : पीएम ने किया वापसी का एलान, कानून नहीं समझा पाने का कृषि मंत्री को मलाल, जानें किसने क्या कहा - farm laws

केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त (Farm Law Repeal) करेगी. पीएम मोदी के इस एलान का किसान संगठनों और राजनेताओं ने स्वागत किया है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. सभी किसानों को इसका स्वागत करना चाहिए, अब उन्हें अपने धरने समाप्त कर देने चाहिए. आइए जानते हैं कि केंद्र के इस निर्णय पर किसान संगठनों और राजनेताओं ने कैसी प्रतिक्रिया दी.

पीएम मोदी
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Published : Nov 19, 2021, 10:12 AM IST

Updated : Nov 19, 2021, 10:34 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसानों के हित में एक बड़ा एलान कर दिया है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को रद्द (Farm Law Repeal) करने का फैसला किया है. उन्होंने इसकी घोषणा करने के साथ आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर और खेतों की तरफ लौटने की अपील की. पीएम मोदी के इस एलान का किसान संगठनों और राजनेताओं ने स्वागत किया है.

केंद्र सरकार के फैसले का पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने किया स्वागत
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. इन कानूनों के खिलाफ किसान एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं. जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख ने एक ट्वीट में कहा कि मैं तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले का स्वागत करता हूं. कानूनों के खिलाफ लोकतांत्रिक रूप से विरोध करने वाले सभी किसानों को मेरा सलाम. उन्होंने कहा कि संसदीय ढांचे में बहस और चर्चा महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने सितंबर 2020 में राज्यसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ दिये गये अपने भाषण की प्रति भी पोस्ट की. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे बड़े सुधारों को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी करने से, जो लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, एक गलत संदेश गया है.

केंद्र को इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए :उद्धव ठाकरे
विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के कुछ घंटों बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को भविष्य में इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अब से अन्य दलों को विश्वास में लेने की सलाह दी. ठाकरे ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा देश में आम आदमी की ताकत को रेखांकित करता है. केंद्र सरकार को आज जैसी शर्मिंदगी से बचने के लिए बातचीत करनी चाहिए और अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की वास्तविक प्रक्रिया जल्द पूरी होगी.

हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित : हेमा मालिनी
मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि ये जो कानून था वो किसानों के लिए बहुत अच्छा था, लेकिन कुछ किसान लोग नहीं चाह रहे थे. इसलिए केंद्र की सरकार ने आज तीनों कानूनों को रद्द किया है. हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित है.

चंद्रबाबू नायडू ने PM के फैसले का स्वागत किया
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. नायडू ने कहा कि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के लगातार विरोध प्रदर्शन के जवाब में प्रधानमंत्री ने सही फैसला किया है. नायडू ने एक बयान में कहा कि इसी तरह के कदम के चलते आंध्र प्रदेश सरकार को भी किसानों के हित में तीन राज्यों की राजधानियों के फैसले को वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमरावती के किसानों और पूरे राज्य के बहुप्रतीक्षित सपने को पूरा किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये अमरावती राज्य के लिए धन और रोजगार के अवसर पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाएगा.

यह किसानों के हित में : नवीन पटनायक
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया. पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) किसानों का समर्थन जारी रखेगी.उन्होंने ट्वीट किया कि देश और उसके किसानों के हित में सभी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत है. आपके खेत और परिवार लंबे समय से आपका इंतजार कर रहे हैं और वो आपका स्वागत कर खुश होंगे. बीजद ओडिशा किसानों के साथ खड़ी रहेगी.

किसानों की जीत हुई : चन्नी

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि 'काले' कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला पंजाब के किसानों द्वारा किए गए लोगों के सबसे लंबे शांतिपूर्ण संघर्ष की जीत है.

किसानों का संघर्ष सफल हुआ : अकाली दल

तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व पर परमात्मा की बड़ी कृपा बरसी कि आज किसानों का संघर्ष सफल हुआ है मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं.

वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इन तीन काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ1.5 साल की लड़ाई के बाद किसानों को जीत मिली है. आज उन 800 किसानों को याद करने का दिन है, जिन्होंने इन कानूनों की वापसी के लिए अपनी जान गंवाई. हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे.

धरना खत्म कर दें किसान : खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जो कृषि कानून बिल पास किया गया था, वो किसानों के हित में था, लेकिन कुछ किसान नेताओं ने ऐतराज जताया. इसलिए आज पीएम मोदी ने बड़े हृदय से उन कानूनों को वापस लिया है और जैसे ही लोकसभा का सत्र शुरू होगा, वैसे ही इसे विधिवत तौर पर संसद में रखकर वापस लिया जाएगा.

खट्टर ने कहा कि हमने किसानों से अपील की कि वो अपने धरने को समाप्त कर बॉर्डर को खाली कर दें. जहां तक एमएसपी की बात है तो इसके लिए भी पीएम मोदी ने पहल करके कहा है कि एक कमेटी बनाई जाएगी और इस कमेटी में केंद्र और प्रदेश सरकार के लोग, कृषि वैज्ञानिक आदि लोग इस पर सार्थक निर्णय लेंगे.

कृषि कानूनों वापस होना किसानों के संघर्ष का परिणाम : येचुरी
सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमारे किसानों और उनके बहादुर संघर्ष को सलाम जिसने मोदी के तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है. हमें इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले 750 से अधिक किसानों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए, वे हमारे शहीद हैं.

उन्होंने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की तलाश जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए.

एमके स्टालिन ने पीएम के फैसले का स्वागत किया

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, स्टालिन ने ट्वीट किया कि लोकतंत्र में लोगों का, उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. स्टालिन ने ट्वीट किया, 'मैं पूरे दिल से, माननीय प्रधानमंत्री के किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करता हूं. इतिहास ने हमें सिखाया है कि लोकतंत्र में जनता का सम्मान किया जाना चाहिए. मैं किसानों को बधाई देता हूं और गांधीवादी तरीकों से इसे हासिल करने के उनके दृढ़ संकल्प को नमन करता हूं.'

भाजपा सरकार अपने लिए हालात बिगड़ते देख प्रतिक्रिया देती है : उमर अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर किसी को भी लगता है कि सरकार ने कृषि कानूनों को बड़प्पन दिखाते हुए निरस्त किया तो यह उसकी गलतफहमी है. अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार 'अपने लिए हालात बिगड़ते देख' प्रतिक्रिया देती है.

उन्होंने ट्वीट किया, 'किसी को भी अगर यह लगता है कि सरकार ने बड़प्पन दिखाते हुए कृषि कानूनों को रद्द किया है तो यह उसकी गलतफहमी है. यह सरकार केवल अपने खिलाफ स्थिति जाते देख प्रतिक्रिया देती है - उपचुनावों में मिले झटके के बाद जैसे ईंधन के दाम कर दिए गए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावी गणित गड़बड़ाने के साथ ही कृषि कानून निरस्त कर दिए गए.'

किसानों को बधाई, वे भाजपा की क्रूरता से विचलित नहीं हुए : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अथक संघर्ष करने के लिए बधाई दी और कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस 'क्रूरता' से व्यवहार किया, उससे वे विचलित नहीं हुए. बनर्जी ने ट्वीट किया, 'हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए. यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया.'

कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत : नड्डा
भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय ने साबित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के खास दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा का भाजपा ह्रदय से स्वागत करती है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुनः साबित किया है कि वह किसान भाइयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस फैसले से पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा.'

शाह ने कृषि कानून निरस्त करने के पीएम के फैसले का स्वागत किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'राजनेता की तरह' लिए गए फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री के लिए प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई विचार बड़ा नहीं है.

उन्होंने ट्वीट किया, 'कृषि कानूनों से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा स्वागत योग्य और एक राजनेता की तरह उठाया गया कदम है. जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार हमारे किसानों की सेवा करती रहेगी और उनके प्रयासों का हमेशा समर्थन करेगी.'

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बारे में अनोखी बात यह है कि उन्होंने इस घोषणा के लिए गुरु परब का विशेष दिन चुना. शाह ने कहा, 'इससे यह भी जाहिर होता है कि उनके मन में प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई दूसरा विचार नहीं है. उन्होंने उल्लेखनीय उत्कृष्टता दिखाई है.'

कृषि सुधार की दृष्टि से आए गए थे कृषि कानून

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि कानून लेकर आए. मुझे दुख है कि इन कृषि कानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए. हमने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए.

तोमर ने कहा कि समिति का गठन कृषि के प्रति प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ-साथ किसानों के प्रति उनकी संवेदनशीलता का भी संकेत है. एक वीडियो संदेश में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार तीन नए कृषि कानून लाकर कृषक समुदाय की दिक्कतों को दूर करना चाहती थी. उन्होंने कहा कि पिछले साल संसद द्वारा पारित किए गए ये कानून निश्चित रूप से किसानों को लाभान्वित करते. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के पीछे प्रधानमंत्री का मंतव्य किसानों के जीवन में 'क्रांतिकारी बदलाव' लाना था.

तोमर ने कहा, 'मुझे दुख है कि हम कुछ किसानों को इन कानूनों के लाभ के बारे में समझाने में सफल नहीं हुए.' प्रधानमंत्री ने हमेशा इन कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश की. लेकिन ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि कुछ किसानों को इन कानूनों से दिक्कतें हुईं. उन्होंने कहा कि सरकार ने तार्किक रूप से चर्चा करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया.

उन्होंने कहा, 'हमने समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हुए.' उन्होंने कहा कि सरकार पिछले सात वर्षों से कृषि और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

तोमर ने वर्ष 2014 से कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का फैसला किया है, इससे खरीद दोगुनी हो गई है.

केंद्र ने फैसला लेने में देरी की : मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता.

मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी(BSP) की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी जरूर दें.

भूपेंद्र हुड्डा ने पीएम का आभार जताया

कृषि क़ानूनों के रद्द होने पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देर से ही सही पर दुरस्त आए हैं. प्रधानमंत्री का आभार है और किसानों को बधाई है. यह किसानों के संघर्ष के कारण हुआ है. बाकी बातें भी हैं, बैठकर उसका भी समाधान निकालना चाहिए.

अखिलेश यादव ने सरकार की मंशा पर उठाया सवाल
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार चुनाव से डर गई और वोट के लिए कृषि कानूनों वापस ले ली. हो सकता है कि सरकार चुनाव के बाद फिर से ऐसा कोई कानून लेकर आए. यह भरोसा कौन दिलाएगा कि भविष्य में ऐसे कानून नहीं आएंगे जिससे किसान संकट में आए?

चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया : ओवैसी

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला देरी से लिया है. यह किसान आंदोलन और किसानों की सफलता है. चुनाव में जाना था, इसलिए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. वह दिन भी दूर नहीं है, जब मोदी सरकार नागरिक संशोधन कानून (सीएए) का कानून भी वापस लेगी.

किसानों को धरना समाप्त करना चाहिए : विज
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. सभी किसानों को इसका स्वागत करना चाहिए, अब उन्हें अपने धरने समाप्त कर देने चाहिए. गृह मंत्री अनिल विज ने एक वीडियो भी जारी किया है.

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी के फैसले पर ट्वीट कर इस फैसले पर कहा कि अन्याय के खिलाफ जीत हुई है. उन्होंने लिखा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!जय हिंद, जय हिंद का किसान!

  • देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
    अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!

    जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtest https://t.co/enrWm6f3Sq

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने अपने ट्वीट में फार्म्स प्रोटेस्ट का हैशटैग का इस्तेमाल किया है.

कृषि कानून रद्द होने पर उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि कानून चाहें जैसे भी रहे हों लेकिन अगर कहीं से भी आवाज निकली है, तो लोकतंत्र में संवाद की अनसुनी नहीं कर सकते. जब कहीं से आवाज उठी है तो उसकी भी सुनवाई होगी. बातचीत से, संवाद से हम इन समस्याओं का समाधान करेंगे.

उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ

उन्होंने कहा कि जब किसान संगठन तीन कृषि कानून के विरोध में आए थे, तब सरकार ने हर स्तर पर संवाद का प्रयास किया. हो सकता है कि हमारे स्तर पर कमी रही हो कि हमने अपनी बात उन किसानों को समझाने में कहीं न कहीं विफल रहे, जिसके कारण उनको आंदोलन का रास्ता लेना पड़ा.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश के किसान जीते हैं और नरेंद्र मोदी का अंहकार हारा है. भाजपा नेताओं द्वारा किसानों को कभी ठग, अंहकारी, कभी चीनी, पाकिस्तानी समर्थक क्या-क्या उनके लिए नहीं कहा गया. प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं को देश और किसानों से माफी मांगनी चाहिए.

केंद्र सरकार खुद ही लाई, अब वापस भी ले ली : सीएम नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कृषि कानूनों को केंद्र सरकार लेकर आई थी. पीएम मोदी ने वापस लेने का निर्णय लिया है. इस पर हम क्या प्रतिक्रिया दे सकते हैं. केंद्र सरकार लेकर आई व केंद्र सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय कुछ सोच समझ कर ही लिया गया होगा.

उन्होंने कहा कि विपक्ष का कहना है कि किसान आंदोलन से डरकर केंद्र ने कानून वापस लिया. विपक्ष ऐसा कह सकती है, क्योंकि उनका काम ही है बयानबाजी करना.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने इसके विपक्ष में प्रतिक्रिया देते हुए इस ऐलान को चुनाव के हार के डर का नतीजा बताया है. उन्होंने कहा कि आज से तीनों कृषि कानून इस देश में नहीं रहेंगे. एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है. चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का वापस लिया है. किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है.

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारी किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गुरुपर्व पर दिए गए तोहफे के तौर पर देखा जाना चाहिए.

अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. उन्होंने ट्वीट किया कि नरेंद्र मोदी जी किसानों की मांग स्वीकारने और तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए शुक्रिया. गुरु नानक जंयती के मौके पर यह अच्छा फैसला लिया गया है. मुझे पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार किसानों के लिए विकास करने का काम जारी रखेगी.

पढ़ें : सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि किसानों के जीवंत आंदोलन के कारण केंद्र सरकार को अपने फैसले को पलटना पड़ा. तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया. यह किसान आंदोलन की जीत है. किसान आंदोलन के सामने केंद्र सरकार को झुकना पड़ा.

राजद सांसद मनोज झा

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पता चल गया कि संसद में अंहकार में कोई भी कानून पास तो करवा लीजिएगा, लेकिन जनता उसको स्वीकार जबतक नहीं करेगी तब तक आप की जीत नहीं होगी. कृषि कानूनों को जनता, किसान ने स्वीकार नहीं किया. केंद्र सरकार की कार्यशैली में लोकतांत्रिक मूल्य एवं जनसरोकार रहना चाहिए.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत

पीएम मोदी के ऐलान के बाद जहां किसान संगठनों ने उनके फैसले का स्वागत किया तो वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन तत्काल वापस नहीं लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.

मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सात सौ से ज्यादा किसानों की मौत के बाद अगर ये सरकार कृषि कानून वापस लेती है, तो इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है. साल भर से जो किसान और आम जनता का नुकसान हुआ है. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने किसानों को जीत की बधाई दी. उन्होंने कि ये मोदी के अन्याय पर किसान आंदोलन की जीत ढेरों बधाई. भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैंकड़ों किसानो की शहादत हुई. अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया. इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी? देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनो काला कानून वापस हुआ.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह

'काले' कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में उठाया गया कदम : सिद्धू

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा को 'सही दिशा में उठाया गया कदम' करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के बलिदान का लाभ मिला है.

सिद्धू ने कहा कि काले कानून को निरस्त किया जाना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है. किसान मोर्चा के सत्याग्रह को ऐतिहासिक सफलता मिली है. आपके बलिदान का लाभ मिला है. पंजाब में कृषि क्षेत्र के पुनरूद्धार की रूपरेखा पंजाब सरकार की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए...बधाई.

कृषि कानून वापस लिया जाना लोकतंत्र की जीत: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की घोषणा को लोकतंत्र की जीत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अहंकार की हार बताया. गहलोत ने कहा कि यह आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के बलिदान की जीत है.

गहलोत ने ट्वीट किया कि तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है. यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है.

गहलोत ने कहा कि देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं. यह उनके बलिदान की जीत है.

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी इस घोषणा को किसानों की जीत बताया है. मील ने ट्वीट किया कि सरकार द्वारा काले कानून वापस ले लिए गए. किसानों की जीत हुई है. किसानों का संघर्ष रंग लाया. किसानों की एकता जिंदाबाद.

भादरा से विधायक एवं किसान सभा के संयुक्त सचिव बलवान पूनियां ने ट्वीट किया कि किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की शुक्रवार को घोषणा कर दी. तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि लोकतांत्रिक रूप से विरोध कर जो हासिल नहीं किया जा सकता है, वह चुनावों के डर से हासिल किया जा सकता है! तीन कृषि कानूनों को वापस लेने पर पीएम की घोषणा नीति परिवर्तन या हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव के डर से प्रेरित है.

  • If there is fear of losing the next election, the PM
    will:

    Admit that demonetisation was a Himalayan blunder.

    Admit that Chinese troops have intruded into Indian territory and occupied our land.

    Admit that the CAA is a patently discriminatory law.

    — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • वैसे भी, यह किसानों के लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी।

    — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने पीएम मोदी के फैसले को कांग्रेस की जीत बताते हुए कहा कि किसानों और कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने पीएम मोदी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मैं पूरे भारत और खासकर पंजाब के दृढ़ निश्चयी, मजबूत और साहसी किसानों को बधाई देता हूं, जो पिछले एक साल से दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत हैं. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मौत का जिक्र करते हुए ट्वीट किया कि पीएम मोदी का फैसला स्वागत योग्य कदम है. यूपी चुनाव की वजह से पीएम मोदी के चेतना का उदय. अगर यह फैसले पहले लिया जाता तो, कई जानें बचाई जा सकती थी.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने इस मामले पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि आखिरकार हमारे किसानों की बड़ी जीत हुई. लंगर ने 'लाठी' को हराया, किसानों के इच्छाशक्ति के आगे भाजपा सरकार के अहंकार को झुकना पड़ा. भाजपा सरकार के अहंकार को तोड़ने के प्रयास में सात सौ किसानों को बलिदान देना पड़ा. पीएम को शोक संतप्त परिवारों से हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए. भाजपा द्वारा किए गए अन्याय को देश नहीं भूलेगा.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल

कांग्रेस महासचिव प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने एक ट्वीट में कहा कि हमारे अन्नदाता अंत में विजयी हुए हैं!

पीएम मोदी के ऐलान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों को बधाई दी. अरविंद केजरीवाल ने गुरु पर्व के मौके पर रकाबगंज गुरुद्वारे आए थे. उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतना बड़ा आंदोलन हुआ, जिसकी वजह से सरकार को कानून वापस लेना पड़ा. अगर ये फैसला जल्दी ले लिया जाता तो शायद 700 किसानों की जान बच सकती थी. किसानों की ये सफलता बहुत बड़ी है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

उन्होंने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास में 26 जनवरी और 15 अगस्त की तरह लिखा जाएगा. केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और तीनों काले कानून वापस लेने पड़े. आज किसानों ने सभी सरकारों को बता दिया कि जनतंत्र में सरकारों को हमेशा जनता की बात सुननी पड़ेगी.

प्रधानमंत्री मोदी के फैसले की केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि कुछ किसान थे जो इस कानून का विरोध कर रहे थे. हमारी सरकार उन्हें समझाने में सफल नहीं हो सकी. लेकिन अब निर्णय सभी किसानों के हित में ध्यान में रखते हुए लिया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में निर्णय लेगी. देश के सभी किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं.

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की बात कहते ही गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल बढ़ गई है. यहां पर किसान जीत की खुशी में नारेबाजी कर रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि बॉर्डर खाली होगा या नहीं इस पर निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा लेगा. फिलहाल राकेश टिकैत महाराष्ट्र में एक महापंचायत में शिरकत करने के लिए गए हुए हैं. किसान राकेश टिकैत के आने का इंतजार करेंगे. उसके बाद जो भी निर्यण लिया जाएगा उसका पालन किया जाएगा.

बता दें कि इससे पूर्व आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसके लिए समुचित विधायी उपाय किए जाएंगे. सैकड़ों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग पर नंवबर 2020 से धरना दिये हुए बैठे थे.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसानों के हित में एक बड़ा एलान कर दिया है. उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को रद्द (Farm Law Repeal) करने का फैसला किया है. उन्होंने इसकी घोषणा करने के साथ आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर और खेतों की तरफ लौटने की अपील की. पीएम मोदी के इस एलान का किसान संगठनों और राजनेताओं ने स्वागत किया है.

केंद्र सरकार के फैसले का पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने किया स्वागत
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. इन कानूनों के खिलाफ किसान एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं. जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख ने एक ट्वीट में कहा कि मैं तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले का स्वागत करता हूं. कानूनों के खिलाफ लोकतांत्रिक रूप से विरोध करने वाले सभी किसानों को मेरा सलाम. उन्होंने कहा कि संसदीय ढांचे में बहस और चर्चा महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने सितंबर 2020 में राज्यसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ दिये गये अपने भाषण की प्रति भी पोस्ट की. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे बड़े सुधारों को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी करने से, जो लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, एक गलत संदेश गया है.

केंद्र को इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए :उद्धव ठाकरे
विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के कुछ घंटों बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को भविष्य में इस तरह की शर्मिंदगी से बचने के लिए अब से अन्य दलों को विश्वास में लेने की सलाह दी. ठाकरे ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा देश में आम आदमी की ताकत को रेखांकित करता है. केंद्र सरकार को आज जैसी शर्मिंदगी से बचने के लिए बातचीत करनी चाहिए और अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की वास्तविक प्रक्रिया जल्द पूरी होगी.

हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित : हेमा मालिनी
मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि ये जो कानून था वो किसानों के लिए बहुत अच्छा था, लेकिन कुछ किसान लोग नहीं चाह रहे थे. इसलिए केंद्र की सरकार ने आज तीनों कानूनों को रद्द किया है. हमारी पार्टी हमेशा किसानों के लिए समर्पित है.

चंद्रबाबू नायडू ने PM के फैसले का स्वागत किया
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया. नायडू ने कहा कि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के लगातार विरोध प्रदर्शन के जवाब में प्रधानमंत्री ने सही फैसला किया है. नायडू ने एक बयान में कहा कि इसी तरह के कदम के चलते आंध्र प्रदेश सरकार को भी किसानों के हित में तीन राज्यों की राजधानियों के फैसले को वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमरावती के किसानों और पूरे राज्य के बहुप्रतीक्षित सपने को पूरा किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये अमरावती राज्य के लिए धन और रोजगार के अवसर पैदा करने में बड़ी भूमिका निभाएगा.

यह किसानों के हित में : नवीन पटनायक
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया. पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) किसानों का समर्थन जारी रखेगी.उन्होंने ट्वीट किया कि देश और उसके किसानों के हित में सभी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत है. आपके खेत और परिवार लंबे समय से आपका इंतजार कर रहे हैं और वो आपका स्वागत कर खुश होंगे. बीजद ओडिशा किसानों के साथ खड़ी रहेगी.

किसानों की जीत हुई : चन्नी

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि 'काले' कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला पंजाब के किसानों द्वारा किए गए लोगों के सबसे लंबे शांतिपूर्ण संघर्ष की जीत है.

किसानों का संघर्ष सफल हुआ : अकाली दल

तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज प्रकाश पर्व पर परमात्मा की बड़ी कृपा बरसी कि आज किसानों का संघर्ष सफल हुआ है मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं.

वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इन तीन काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ1.5 साल की लड़ाई के बाद किसानों को जीत मिली है. आज उन 800 किसानों को याद करने का दिन है, जिन्होंने इन कानूनों की वापसी के लिए अपनी जान गंवाई. हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल पाएंगे.

धरना खत्म कर दें किसान : खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जो कृषि कानून बिल पास किया गया था, वो किसानों के हित में था, लेकिन कुछ किसान नेताओं ने ऐतराज जताया. इसलिए आज पीएम मोदी ने बड़े हृदय से उन कानूनों को वापस लिया है और जैसे ही लोकसभा का सत्र शुरू होगा, वैसे ही इसे विधिवत तौर पर संसद में रखकर वापस लिया जाएगा.

खट्टर ने कहा कि हमने किसानों से अपील की कि वो अपने धरने को समाप्त कर बॉर्डर को खाली कर दें. जहां तक एमएसपी की बात है तो इसके लिए भी पीएम मोदी ने पहल करके कहा है कि एक कमेटी बनाई जाएगी और इस कमेटी में केंद्र और प्रदेश सरकार के लोग, कृषि वैज्ञानिक आदि लोग इस पर सार्थक निर्णय लेंगे.

कृषि कानूनों वापस होना किसानों के संघर्ष का परिणाम : येचुरी
सीपीआईएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमारे किसानों और उनके बहादुर संघर्ष को सलाम जिसने मोदी के तीन काले कृषि कानूनों को रद्द कर दिया है. हमें इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले 750 से अधिक किसानों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए, वे हमारे शहीद हैं.

उन्होंने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की तलाश जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए.

एमके स्टालिन ने पीएम के फैसले का स्वागत किया

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, स्टालिन ने ट्वीट किया कि लोकतंत्र में लोगों का, उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. स्टालिन ने ट्वीट किया, 'मैं पूरे दिल से, माननीय प्रधानमंत्री के किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करता हूं. इतिहास ने हमें सिखाया है कि लोकतंत्र में जनता का सम्मान किया जाना चाहिए. मैं किसानों को बधाई देता हूं और गांधीवादी तरीकों से इसे हासिल करने के उनके दृढ़ संकल्प को नमन करता हूं.'

भाजपा सरकार अपने लिए हालात बिगड़ते देख प्रतिक्रिया देती है : उमर अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर किसी को भी लगता है कि सरकार ने कृषि कानूनों को बड़प्पन दिखाते हुए निरस्त किया तो यह उसकी गलतफहमी है. अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार 'अपने लिए हालात बिगड़ते देख' प्रतिक्रिया देती है.

उन्होंने ट्वीट किया, 'किसी को भी अगर यह लगता है कि सरकार ने बड़प्पन दिखाते हुए कृषि कानूनों को रद्द किया है तो यह उसकी गलतफहमी है. यह सरकार केवल अपने खिलाफ स्थिति जाते देख प्रतिक्रिया देती है - उपचुनावों में मिले झटके के बाद जैसे ईंधन के दाम कर दिए गए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावी गणित गड़बड़ाने के साथ ही कृषि कानून निरस्त कर दिए गए.'

किसानों को बधाई, वे भाजपा की क्रूरता से विचलित नहीं हुए : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अथक संघर्ष करने के लिए बधाई दी और कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस 'क्रूरता' से व्यवहार किया, उससे वे विचलित नहीं हुए. बनर्जी ने ट्वीट किया, 'हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए. यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया.'

कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत : नड्डा
भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय ने साबित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के खास दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा का भाजपा ह्रदय से स्वागत करती है. प्रधानमंत्री मोदी ने पुनः साबित किया है कि वह किसान भाइयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस फैसले से पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा.'

शाह ने कृषि कानून निरस्त करने के पीएम के फैसले का स्वागत किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'राजनेता की तरह' लिए गए फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री के लिए प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई विचार बड़ा नहीं है.

उन्होंने ट्वीट किया, 'कृषि कानूनों से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा स्वागत योग्य और एक राजनेता की तरह उठाया गया कदम है. जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार हमारे किसानों की सेवा करती रहेगी और उनके प्रयासों का हमेशा समर्थन करेगी.'

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बारे में अनोखी बात यह है कि उन्होंने इस घोषणा के लिए गुरु परब का विशेष दिन चुना. शाह ने कहा, 'इससे यह भी जाहिर होता है कि उनके मन में प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई दूसरा विचार नहीं है. उन्होंने उल्लेखनीय उत्कृष्टता दिखाई है.'

कृषि सुधार की दृष्टि से आए गए थे कृषि कानून

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि कानून लेकर आए. मुझे दुख है कि इन कृषि कानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए. हमने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए.

तोमर ने कहा कि समिति का गठन कृषि के प्रति प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ-साथ किसानों के प्रति उनकी संवेदनशीलता का भी संकेत है. एक वीडियो संदेश में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार तीन नए कृषि कानून लाकर कृषक समुदाय की दिक्कतों को दूर करना चाहती थी. उन्होंने कहा कि पिछले साल संसद द्वारा पारित किए गए ये कानून निश्चित रूप से किसानों को लाभान्वित करते. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के पीछे प्रधानमंत्री का मंतव्य किसानों के जीवन में 'क्रांतिकारी बदलाव' लाना था.

तोमर ने कहा, 'मुझे दुख है कि हम कुछ किसानों को इन कानूनों के लाभ के बारे में समझाने में सफल नहीं हुए.' प्रधानमंत्री ने हमेशा इन कानूनों के जरिये कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश की. लेकिन ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि कुछ किसानों को इन कानूनों से दिक्कतें हुईं. उन्होंने कहा कि सरकार ने तार्किक रूप से चर्चा करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया.

उन्होंने कहा, 'हमने समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हुए.' उन्होंने कहा कि सरकार पिछले सात वर्षों से कृषि और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

तोमर ने वर्ष 2014 से कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का फैसला किया है, इससे खरीद दोगुनी हो गई है.

केंद्र ने फैसला लेने में देरी की : मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता.

मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी(BSP) की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी जरूर दें.

भूपेंद्र हुड्डा ने पीएम का आभार जताया

कृषि क़ानूनों के रद्द होने पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देर से ही सही पर दुरस्त आए हैं. प्रधानमंत्री का आभार है और किसानों को बधाई है. यह किसानों के संघर्ष के कारण हुआ है. बाकी बातें भी हैं, बैठकर उसका भी समाधान निकालना चाहिए.

अखिलेश यादव ने सरकार की मंशा पर उठाया सवाल
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार चुनाव से डर गई और वोट के लिए कृषि कानूनों वापस ले ली. हो सकता है कि सरकार चुनाव के बाद फिर से ऐसा कोई कानून लेकर आए. यह भरोसा कौन दिलाएगा कि भविष्य में ऐसे कानून नहीं आएंगे जिससे किसान संकट में आए?

चुनावों को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया : ओवैसी

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला देरी से लिया है. यह किसान आंदोलन और किसानों की सफलता है. चुनाव में जाना था, इसलिए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. वह दिन भी दूर नहीं है, जब मोदी सरकार नागरिक संशोधन कानून (सीएए) का कानून भी वापस लेगी.

किसानों को धरना समाप्त करना चाहिए : विज
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. सभी किसानों को इसका स्वागत करना चाहिए, अब उन्हें अपने धरने समाप्त कर देने चाहिए. गृह मंत्री अनिल विज ने एक वीडियो भी जारी किया है.

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी के फैसले पर ट्वीट कर इस फैसले पर कहा कि अन्याय के खिलाफ जीत हुई है. उन्होंने लिखा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया. अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!जय हिंद, जय हिंद का किसान!

  • देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
    अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!

    जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtest https://t.co/enrWm6f3Sq

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने अपने ट्वीट में फार्म्स प्रोटेस्ट का हैशटैग का इस्तेमाल किया है.

कृषि कानून रद्द होने पर उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि कानून चाहें जैसे भी रहे हों लेकिन अगर कहीं से भी आवाज निकली है, तो लोकतंत्र में संवाद की अनसुनी नहीं कर सकते. जब कहीं से आवाज उठी है तो उसकी भी सुनवाई होगी. बातचीत से, संवाद से हम इन समस्याओं का समाधान करेंगे.

उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ

उन्होंने कहा कि जब किसान संगठन तीन कृषि कानून के विरोध में आए थे, तब सरकार ने हर स्तर पर संवाद का प्रयास किया. हो सकता है कि हमारे स्तर पर कमी रही हो कि हमने अपनी बात उन किसानों को समझाने में कहीं न कहीं विफल रहे, जिसके कारण उनको आंदोलन का रास्ता लेना पड़ा.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश के किसान जीते हैं और नरेंद्र मोदी का अंहकार हारा है. भाजपा नेताओं द्वारा किसानों को कभी ठग, अंहकारी, कभी चीनी, पाकिस्तानी समर्थक क्या-क्या उनके लिए नहीं कहा गया. प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं को देश और किसानों से माफी मांगनी चाहिए.

केंद्र सरकार खुद ही लाई, अब वापस भी ले ली : सीएम नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कृषि कानूनों को केंद्र सरकार लेकर आई थी. पीएम मोदी ने वापस लेने का निर्णय लिया है. इस पर हम क्या प्रतिक्रिया दे सकते हैं. केंद्र सरकार लेकर आई व केंद्र सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय कुछ सोच समझ कर ही लिया गया होगा.

उन्होंने कहा कि विपक्ष का कहना है कि किसान आंदोलन से डरकर केंद्र ने कानून वापस लिया. विपक्ष ऐसा कह सकती है, क्योंकि उनका काम ही है बयानबाजी करना.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने इसके विपक्ष में प्रतिक्रिया देते हुए इस ऐलान को चुनाव के हार के डर का नतीजा बताया है. उन्होंने कहा कि आज से तीनों कृषि कानून इस देश में नहीं रहेंगे. एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है. चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का वापस लिया है. किसानों की जीत देशवासीयों की जीत है.

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारी किसानों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गुरुपर्व पर दिए गए तोहफे के तौर पर देखा जाना चाहिए.

अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. उन्होंने ट्वीट किया कि नरेंद्र मोदी जी किसानों की मांग स्वीकारने और तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए शुक्रिया. गुरु नानक जंयती के मौके पर यह अच्छा फैसला लिया गया है. मुझे पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार किसानों के लिए विकास करने का काम जारी रखेगी.

पढ़ें : सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि किसानों के जीवंत आंदोलन के कारण केंद्र सरकार को अपने फैसले को पलटना पड़ा. तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया. यह किसान आंदोलन की जीत है. किसान आंदोलन के सामने केंद्र सरकार को झुकना पड़ा.

राजद सांसद मनोज झा

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पता चल गया कि संसद में अंहकार में कोई भी कानून पास तो करवा लीजिएगा, लेकिन जनता उसको स्वीकार जबतक नहीं करेगी तब तक आप की जीत नहीं होगी. कृषि कानूनों को जनता, किसान ने स्वीकार नहीं किया. केंद्र सरकार की कार्यशैली में लोकतांत्रिक मूल्य एवं जनसरोकार रहना चाहिए.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत

पीएम मोदी के ऐलान के बाद जहां किसान संगठनों ने उनके फैसले का स्वागत किया तो वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन तत्काल वापस नहीं लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.

मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सात सौ से ज्यादा किसानों की मौत के बाद अगर ये सरकार कृषि कानून वापस लेती है, तो इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है. साल भर से जो किसान और आम जनता का नुकसान हुआ है. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने किसानों को जीत की बधाई दी. उन्होंने कि ये मोदी के अन्याय पर किसान आंदोलन की जीत ढेरों बधाई. भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैंकड़ों किसानो की शहादत हुई. अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया. इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी? देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनो काला कानून वापस हुआ.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह

'काले' कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में उठाया गया कदम : सिद्धू

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा को 'सही दिशा में उठाया गया कदम' करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के बलिदान का लाभ मिला है.

सिद्धू ने कहा कि काले कानून को निरस्त किया जाना सही दिशा में उठाया गया एक कदम है. किसान मोर्चा के सत्याग्रह को ऐतिहासिक सफलता मिली है. आपके बलिदान का लाभ मिला है. पंजाब में कृषि क्षेत्र के पुनरूद्धार की रूपरेखा पंजाब सरकार की शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए...बधाई.

कृषि कानून वापस लिया जाना लोकतंत्र की जीत: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की घोषणा को लोकतंत्र की जीत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के अहंकार की हार बताया. गहलोत ने कहा कि यह आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के बलिदान की जीत है.

गहलोत ने ट्वीट किया कि तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है. यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है.

गहलोत ने कहा कि देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं. यह उनके बलिदान की जीत है.

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी इस घोषणा को किसानों की जीत बताया है. मील ने ट्वीट किया कि सरकार द्वारा काले कानून वापस ले लिए गए. किसानों की जीत हुई है. किसानों का संघर्ष रंग लाया. किसानों की एकता जिंदाबाद.

भादरा से विधायक एवं किसान सभा के संयुक्त सचिव बलवान पूनियां ने ट्वीट किया कि किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले करीब एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की शुक्रवार को घोषणा कर दी. तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा कि लोकतांत्रिक रूप से विरोध कर जो हासिल नहीं किया जा सकता है, वह चुनावों के डर से हासिल किया जा सकता है! तीन कृषि कानूनों को वापस लेने पर पीएम की घोषणा नीति परिवर्तन या हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव के डर से प्रेरित है.

  • If there is fear of losing the next election, the PM
    will:

    Admit that demonetisation was a Himalayan blunder.

    Admit that Chinese troops have intruded into Indian territory and occupied our land.

    Admit that the CAA is a patently discriminatory law.

    — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • वैसे भी, यह किसानों के लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी।

    — P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने पीएम मोदी के फैसले को कांग्रेस की जीत बताते हुए कहा कि किसानों और कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने पीएम मोदी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मैं पूरे भारत और खासकर पंजाब के दृढ़ निश्चयी, मजबूत और साहसी किसानों को बधाई देता हूं, जो पिछले एक साल से दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत हैं. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मौत का जिक्र करते हुए ट्वीट किया कि पीएम मोदी का फैसला स्वागत योग्य कदम है. यूपी चुनाव की वजह से पीएम मोदी के चेतना का उदय. अगर यह फैसले पहले लिया जाता तो, कई जानें बचाई जा सकती थी.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने इस मामले पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि आखिरकार हमारे किसानों की बड़ी जीत हुई. लंगर ने 'लाठी' को हराया, किसानों के इच्छाशक्ति के आगे भाजपा सरकार के अहंकार को झुकना पड़ा. भाजपा सरकार के अहंकार को तोड़ने के प्रयास में सात सौ किसानों को बलिदान देना पड़ा. पीएम को शोक संतप्त परिवारों से हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए. भाजपा द्वारा किए गए अन्याय को देश नहीं भूलेगा.

कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल

कांग्रेस महासचिव प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने एक ट्वीट में कहा कि हमारे अन्नदाता अंत में विजयी हुए हैं!

पीएम मोदी के ऐलान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों को बधाई दी. अरविंद केजरीवाल ने गुरु पर्व के मौके पर रकाबगंज गुरुद्वारे आए थे. उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार इतना बड़ा आंदोलन हुआ, जिसकी वजह से सरकार को कानून वापस लेना पड़ा. अगर ये फैसला जल्दी ले लिया जाता तो शायद 700 किसानों की जान बच सकती थी. किसानों की ये सफलता बहुत बड़ी है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

उन्होंने कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास में 26 जनवरी और 15 अगस्त की तरह लिखा जाएगा. केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और तीनों काले कानून वापस लेने पड़े. आज किसानों ने सभी सरकारों को बता दिया कि जनतंत्र में सरकारों को हमेशा जनता की बात सुननी पड़ेगी.

प्रधानमंत्री मोदी के फैसले की केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि कुछ किसान थे जो इस कानून का विरोध कर रहे थे. हमारी सरकार उन्हें समझाने में सफल नहीं हो सकी. लेकिन अब निर्णय सभी किसानों के हित में ध्यान में रखते हुए लिया गया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में निर्णय लेगी. देश के सभी किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं.

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की बात कहते ही गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल बढ़ गई है. यहां पर किसान जीत की खुशी में नारेबाजी कर रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि बॉर्डर खाली होगा या नहीं इस पर निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा लेगा. फिलहाल राकेश टिकैत महाराष्ट्र में एक महापंचायत में शिरकत करने के लिए गए हुए हैं. किसान राकेश टिकैत के आने का इंतजार करेंगे. उसके बाद जो भी निर्यण लिया जाएगा उसका पालन किया जाएगा.

बता दें कि इससे पूर्व आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसके लिए समुचित विधायी उपाय किए जाएंगे. सैकड़ों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग पर नंवबर 2020 से धरना दिये हुए बैठे थे.

Last Updated : Nov 19, 2021, 10:34 PM IST
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