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दास ने पिछली तारीख से कराधान को समाप्त करने के सरकार के कदम को सराहा - RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास

RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने कराधान समाप्त करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है. दास ने इसे सही समय पर उठाया गया सही कदम करार दिया.

RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास
RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास
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Published : Aug 6, 2021, 4:51 PM IST

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने सरकार के पिछली तारीख से कराधान को समाप्त करने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सही समय पर उठाया गया सही कदम करार दिया.

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने महामारी की वजह से पैदा हुए संकट पर सरकार के रुख को दूरदर्शी और सोच-समझकर उठाया गया कदम बताया. सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश कर कंपनियों पर पिछली तारीख से सभी कर मांग वापस लेने की घोषणा की. सरकार ने कहा है कि वह केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों पर इस तरह की कर मांग को वापस लेगी और उनसे जुटाए गए करीब 8,100 करोड़ रुपये लौटाएगी.

द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के बाद शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में गवर्नर ने कहा, 'यह मेरा आकलन है. मैं राजस्व सचिव और आर्थिक मामलों का सचिव रहा हूं. पिछली तारीख से कराधान लंबे समय से लंबित मुद्दा है. यह विधेयक एक अच्छा कदम है. निश्चित रूप से यह स्वागतयोग्य कदम है.'

'चित मैं जीता, पट तुम हारे'

इस बारे में एक सवाल पर दास ने कहा कि सरकार इसमें यदि कोई कार्रवाई नहीं करती, तो हम उसे दोष देते हैं. यदि कोई कार्रवाई करती है, तो इसे दबाव में उठाया गया कदम बताते हैं. दास ने कहा, 'यह ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है, जिसमें आप कहते हैं कि 'चित मैं जीता, पट तुम हारे'.

गौरतलब है कि सरकार ने 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021' को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 के जरिये की गयी मांगों को वापस लिया जाएगा. इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021' को चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद संबंधित कानून में संशोधन किया गया जिससे पूर्व की तिथि से कर लगाया जा सकता था.

विधेयक में कहा गया है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन 'पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है.'

कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार और रोजगार को बढ़ावा देने में विदेशी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है.

पढ़ें- लोकसभा ने कराधान कानून संशोधन विधेयक 2021 पारित किया

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास (Shaktikanta Das) ने सरकार के पिछली तारीख से कराधान को समाप्त करने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सही समय पर उठाया गया सही कदम करार दिया.

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने महामारी की वजह से पैदा हुए संकट पर सरकार के रुख को दूरदर्शी और सोच-समझकर उठाया गया कदम बताया. सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश कर कंपनियों पर पिछली तारीख से सभी कर मांग वापस लेने की घोषणा की. सरकार ने कहा है कि वह केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों पर इस तरह की कर मांग को वापस लेगी और उनसे जुटाए गए करीब 8,100 करोड़ रुपये लौटाएगी.

द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के बाद शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत में गवर्नर ने कहा, 'यह मेरा आकलन है. मैं राजस्व सचिव और आर्थिक मामलों का सचिव रहा हूं. पिछली तारीख से कराधान लंबे समय से लंबित मुद्दा है. यह विधेयक एक अच्छा कदम है. निश्चित रूप से यह स्वागतयोग्य कदम है.'

'चित मैं जीता, पट तुम हारे'

इस बारे में एक सवाल पर दास ने कहा कि सरकार इसमें यदि कोई कार्रवाई नहीं करती, तो हम उसे दोष देते हैं. यदि कोई कार्रवाई करती है, तो इसे दबाव में उठाया गया कदम बताते हैं. दास ने कहा, 'यह ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है, जिसमें आप कहते हैं कि 'चित मैं जीता, पट तुम हारे'.

गौरतलब है कि सरकार ने 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021' को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 के जरिये की गयी मांगों को वापस लिया जाएगा. इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच 'कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021' को चर्चा एवं पारित होने के लिए पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद संबंधित कानून में संशोधन किया गया जिससे पूर्व की तिथि से कर लगाया जा सकता था.

विधेयक में कहा गया है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन 'पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है.'

कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार और रोजगार को बढ़ावा देने में विदेशी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका है.

पढ़ें- लोकसभा ने कराधान कानून संशोधन विधेयक 2021 पारित किया

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