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Sant Ravidas Jayanti 2023: आज मनाई जा रही है रविदास जयंती, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

माघ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास जयंती मनाई जाती (Guru Ravidas Jayanti is celebrated in Magha month) है. यह सिखों के लिए एक वार्षिक उत्सव है जो रविदासिया संप्रदाय से संबंधित हैं. संत रविदास एक महान संत होने के साथ- साथ कवि, समाज सुधारक, दर्शनशास्त्र के ज्ञाता और ईश्वर के अनुयायी थे.

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Published : Feb 5, 2023, 12:07 AM IST

Sant Ravidas Jayanti 2023
आज मनाई जा रही है रविदास जयंती, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व

Sant Ravidas Jayanti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. इस साल 5 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी. यह दिन प्रसिद्ध भक्ति आंदोलन संत के जन्म का स्मरण करता है. इस वर्ष महान कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शख्सियत के जन्म की 646वीं वर्षगांठ है. आधुनिक उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में उन्हें गुरु के रूप में पूजा जाता है. द्रिक पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा के दिन माघ पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

गुरु रविदास जयंती का महत्व
गुरु रविदास, जिन्हें रैदास, रोहिदास और रुहिदास के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म 1377 सीई में मंडुवाधे, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. उनके भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर एक अमिट छाप छोड़ी. हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था. परिणामस्वरूप माघ पूर्णिमा को जयंती मनाई जाती है. अभिलेखों के अनुसार, रविदास की सही जन्म तिथि के बारे में कुछ असहमति है, कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म वर्ष 1399 में हुआ था.

रविदास संत कबीर के शिष्य और रविदासिया धर्म के संस्थापक थे. मीराबाई उनकी शिष्या थीं. उनका जन्म स्थान अब श्री गुरु रविदास जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है, और यह गुरु रविदास के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. सिख धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में उनके इकतालीस भक्ति गीत और कविताएं हैं.

गुरु रविदास जयंती 2023 समारोह
इस पावन अवसर पर भक्त पवित्र नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर अनुष्ठान करते हैं. इसे एक वार्षिक कार्यक्रम माना जाता है, जिसके दौरान रविदासिया बड़ी संख्या में वाराणसी आते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार 5 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 4 फरवरी 2023 को रात 9 बजकर 29 मिनट परऔर रात 11:58 बजे समाप्त होगा. 5 फरवरी, 2023 को। लोग अपने महान गुरु और सर्वकालिक संत को याद करने के लिए गुरु रविदास के चित्र के साथ जुलूस भी निकालते हैं.

ये भी पढ़ें: संत रविदास जयंती के अवसर पर PM मोदी बजाया मंजीरा

Sant Ravidas Jayanti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. इस साल 5 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी. यह दिन प्रसिद्ध भक्ति आंदोलन संत के जन्म का स्मरण करता है. इस वर्ष महान कवि, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शख्सियत के जन्म की 646वीं वर्षगांठ है. आधुनिक उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में उन्हें गुरु के रूप में पूजा जाता है. द्रिक पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा के दिन माघ पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

गुरु रविदास जयंती का महत्व
गुरु रविदास, जिन्हें रैदास, रोहिदास और रुहिदास के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म 1377 सीई में मंडुवाधे, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. उनके भक्ति गीतों और छंदों ने भक्ति आंदोलन पर एक अमिट छाप छोड़ी. हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था. परिणामस्वरूप माघ पूर्णिमा को जयंती मनाई जाती है. अभिलेखों के अनुसार, रविदास की सही जन्म तिथि के बारे में कुछ असहमति है, कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म वर्ष 1399 में हुआ था.

रविदास संत कबीर के शिष्य और रविदासिया धर्म के संस्थापक थे. मीराबाई उनकी शिष्या थीं. उनका जन्म स्थान अब श्री गुरु रविदास जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है, और यह गुरु रविदास के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. सिख धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में उनके इकतालीस भक्ति गीत और कविताएं हैं.

गुरु रविदास जयंती 2023 समारोह
इस पावन अवसर पर भक्त पवित्र नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर अनुष्ठान करते हैं. इसे एक वार्षिक कार्यक्रम माना जाता है, जिसके दौरान रविदासिया बड़ी संख्या में वाराणसी आते हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार 5 फरवरी को गुरु रविदास जयंती मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 4 फरवरी 2023 को रात 9 बजकर 29 मिनट परऔर रात 11:58 बजे समाप्त होगा. 5 फरवरी, 2023 को। लोग अपने महान गुरु और सर्वकालिक संत को याद करने के लिए गुरु रविदास के चित्र के साथ जुलूस भी निकालते हैं.

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