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'रावण' पर कोरोना का ग्रहण, हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं पुतला कारीगर

कोरोना संक्रमण के कारण रावण का पुतला बनाने वाले परेशान हैं. पुतला कारोबार बेजार है. कोरोना संक्रमण में सुरक्षा गाइडलाइन के कारण लगभग सभी स्थानों पर रावण दहन जैसी परंपरा को रोक दिया गया है. जिससे रावण बनाने वाले कारीगरों के साथ काम करने वाले मजदूरों में निराशा का माहौल बना हुआ है.

Ravan effigy
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Published : Oct 12, 2021, 4:34 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 5:16 PM IST

नई दिल्ली : विजयादशमी या दशहरा पर देशभर में रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन कोरोना महामारी और महंगाई का असर पुतला बनाने वाले कलाकारों पर साफ दिख रहा है. पुतले बनाने का काम विजयदशमी से दो-ढाई महीने पहले से शुरू हो जाता है और जगह-जगह सड़कों के किनारे पुतले रखे दिखाई देने लगते हैं. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे हैं.

कोरोना संक्रमण के कारण रावण का पुतला बनाने वाले परेशान हैं. पुतला कारोबार बेजार है. कोरोना संक्रमण में सुरक्षा गाइडलाइन के कारण लगभग सभी स्थानों पर रावण दहन जैसी परंपरा को रोक दिया गया है. जिससे रावण बनाने वाले कारीगरों के साथ काम करने वाले मजदूरों में निराशा का माहौल बना हुआ है.

कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे
कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे

इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ

हर साल विजयादशमी पर्व से पहले रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाते थे. सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे. लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है. कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि जिस तरह से कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा जताया जा रहा था, वैसा कुछ नहीं है. वहीं भारत की एक बड़ी आबादी कोरोना का टीका भी लगवा चुकी है. लेकिन इस बार भी कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा है.

लोग त्योहार में भी बाहर निकलने से बच रहे

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने वाले रामगोपाल का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के डर से लोग त्योहार में भी बाहर निकलने से बच रहे हैं और इस महामारी ने पूरे त्योहारी मौसम का रंग उड़ा दिया है. इस बार दिल्ली से कोई ऑर्डर नहीं है और आस-पास के राज्यों से कुछ ऑर्डर मिल रहे हैं. पहले कस्टमाइज्ड पुतले की मांग थी, लेकिन इस बार नहीं है. कच्चा माल भी महंगा हो गया है.

इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है
इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है

कारोबारियों के अनुसार, दिल्ली में करीब हजारों की संख्या में हर साल रावण का पुतला फूंका जाता रहा है, लेकिन इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है. इस कारण सभी कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं.

कारोबार में नुकसान

पुतला कलाकार रामगोपाल ने बताया कि हम लोग हमेशा 80 से 90 फुट के रावण बनाया करते थे. वहीं छोटे रावण न के बराबर होते थे, क्योंकि उन्हें बनाने में मेहनत व समय दोनों ज्यादा लगता था और मुनाफा भी कम होता था. पर कोरोना महामारी के कारण रामलीला मंचन के लिए अभी सरकार ने कोई दिशानिर्देश तय नहीं किए है और दूसरा पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

पढ़ेंः छठ पूजा पर रोक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे बीजेपी सांसद मनोज तिवारी घायल, सफदरजंग अस्पताल में भर्ती

नई दिल्ली : विजयादशमी या दशहरा पर देशभर में रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन कोरोना महामारी और महंगाई का असर पुतला बनाने वाले कलाकारों पर साफ दिख रहा है. पुतले बनाने का काम विजयदशमी से दो-ढाई महीने पहले से शुरू हो जाता है और जगह-जगह सड़कों के किनारे पुतले रखे दिखाई देने लगते हैं. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे हैं.

कोरोना संक्रमण के कारण रावण का पुतला बनाने वाले परेशान हैं. पुतला कारोबार बेजार है. कोरोना संक्रमण में सुरक्षा गाइडलाइन के कारण लगभग सभी स्थानों पर रावण दहन जैसी परंपरा को रोक दिया गया है. जिससे रावण बनाने वाले कारीगरों के साथ काम करने वाले मजदूरों में निराशा का माहौल बना हुआ है.

कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे
कोरोना महामारी की वजह से लगी पाबंदियों के चलते पुतले नहीं बिक रहे

इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ

हर साल विजयादशमी पर्व से पहले रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनने शुरू हो जाते थे. सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे. लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है. कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी, क्योंकि जिस तरह से कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा जताया जा रहा था, वैसा कुछ नहीं है. वहीं भारत की एक बड़ी आबादी कोरोना का टीका भी लगवा चुकी है. लेकिन इस बार भी कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा है.

लोग त्योहार में भी बाहर निकलने से बच रहे

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने वाले रामगोपाल का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के डर से लोग त्योहार में भी बाहर निकलने से बच रहे हैं और इस महामारी ने पूरे त्योहारी मौसम का रंग उड़ा दिया है. इस बार दिल्ली से कोई ऑर्डर नहीं है और आस-पास के राज्यों से कुछ ऑर्डर मिल रहे हैं. पहले कस्टमाइज्ड पुतले की मांग थी, लेकिन इस बार नहीं है. कच्चा माल भी महंगा हो गया है.

इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है
इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है

कारोबारियों के अनुसार, दिल्ली में करीब हजारों की संख्या में हर साल रावण का पुतला फूंका जाता रहा है, लेकिन इस बार कारोबारियों को एक भी ऑर्डर नहीं मिला है. इस कारण सभी कारीगर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं.

कारोबार में नुकसान

पुतला कलाकार रामगोपाल ने बताया कि हम लोग हमेशा 80 से 90 फुट के रावण बनाया करते थे. वहीं छोटे रावण न के बराबर होते थे, क्योंकि उन्हें बनाने में मेहनत व समय दोनों ज्यादा लगता था और मुनाफा भी कम होता था. पर कोरोना महामारी के कारण रामलीला मंचन के लिए अभी सरकार ने कोई दिशानिर्देश तय नहीं किए है और दूसरा पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

पढ़ेंः छठ पूजा पर रोक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे बीजेपी सांसद मनोज तिवारी घायल, सफदरजंग अस्पताल में भर्ती

Last Updated : Oct 12, 2021, 5:16 PM IST
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