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₹ 56 लाख में नीलाम हुआ सोने का दुर्लभ सिक्का, जानिए खासियत

कर्नाटक के मशहूर मुद्रा संग्रहण नीलाम घर- मारुधर आर्ट्स ने औरंगजेब के पांचवें बेटे काम बख्श के नाम का 10.9 ग्राम का दुर्लभ स्वर्ण सिक्का 56 लाख रुपये में नीलाम कर दिया है.

auction of rare coin in karnataka
auction of rare coin in karnataka
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Published : Feb 28, 2021, 9:31 AM IST

Updated : Mar 1, 2021, 8:21 PM IST

बेंगलुरु : मुगल शासक औरंगजेब के पांचवें बेटे काम बख्श के नाम का 10.9 ग्राम का दुर्लभ स्वर्ण सिक्का नीलाम कर दिया गया है. मशहूर मुद्रा संग्रहण नीलाम घर- मारुधर आर्ट्स (Marudhar Arts) ने इसे 56 लाख रुपये में इसे नीलाम किया.

मारुधर आर्ट्स के सीईओ राजेंद्र मारू ने बताया कि सोने की मोहर को 56 लाख रुपये में नीलाम किया गया. हालांकि उन्होंने इसके खरीदार के नाम का खुलासा नहीं किया.

राजेंद्र मारू के अनुसार बीजापुर दार-उज-जफर टकसाल के इस स्वर्ण मोहर पर फारसी मुद्रालेख है. उन्होंने कहा, 10.90 ग्राम का यह सिक्का करीब करीब प्रचलन में नहीं था इसलिए यह अनोखा है.

मारुधर आर्ट्स के बयान के अनुसार काम बख्श ने कई लड़ाइयों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उसने 1707 में बीजापुर किला पर कब्जा कर लिया और अपने आप को राजा घोषित कर दिया.

हैदराबाद, गुलबर्गा (अब कलबुर्गी), शाहपुर एवं विकीनखेड़ा को जीतने के साथ धीरे-धीरे उसका दक्कन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा हो गया.

पढ़ें- प.बंगाल में कांग्रेस के गठबंधन पर आनंद शर्मा ने उठाए सवाल, चौधरी ने दिया जवाब

नीलामघर ने कहा कि प्रशासन चलाने में काम बख्श की अकुशलता के चलते उसके साम्राज्य का पतन हो गया. औरंगजेब के बड़े बेटे शाह आलम बहादुर ने जब मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली तब उसने काम बख्श द्वारा अपने नाम के सिक्के छपवाने का गंभीर संज्ञान लिया.

दोनों सेनाओं के बीच भीषण लड़ाई हुई और काम बख्श को पकड़ लिया गया एवं अगले ही दिन युद्ध के जख्म के चलते वह मर गया.

बेंगलुरु : मुगल शासक औरंगजेब के पांचवें बेटे काम बख्श के नाम का 10.9 ग्राम का दुर्लभ स्वर्ण सिक्का नीलाम कर दिया गया है. मशहूर मुद्रा संग्रहण नीलाम घर- मारुधर आर्ट्स (Marudhar Arts) ने इसे 56 लाख रुपये में इसे नीलाम किया.

मारुधर आर्ट्स के सीईओ राजेंद्र मारू ने बताया कि सोने की मोहर को 56 लाख रुपये में नीलाम किया गया. हालांकि उन्होंने इसके खरीदार के नाम का खुलासा नहीं किया.

राजेंद्र मारू के अनुसार बीजापुर दार-उज-जफर टकसाल के इस स्वर्ण मोहर पर फारसी मुद्रालेख है. उन्होंने कहा, 10.90 ग्राम का यह सिक्का करीब करीब प्रचलन में नहीं था इसलिए यह अनोखा है.

मारुधर आर्ट्स के बयान के अनुसार काम बख्श ने कई लड़ाइयों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उसने 1707 में बीजापुर किला पर कब्जा कर लिया और अपने आप को राजा घोषित कर दिया.

हैदराबाद, गुलबर्गा (अब कलबुर्गी), शाहपुर एवं विकीनखेड़ा को जीतने के साथ धीरे-धीरे उसका दक्कन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा हो गया.

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नीलामघर ने कहा कि प्रशासन चलाने में काम बख्श की अकुशलता के चलते उसके साम्राज्य का पतन हो गया. औरंगजेब के बड़े बेटे शाह आलम बहादुर ने जब मुगल साम्राज्य की बागडोर संभाली तब उसने काम बख्श द्वारा अपने नाम के सिक्के छपवाने का गंभीर संज्ञान लिया.

दोनों सेनाओं के बीच भीषण लड़ाई हुई और काम बख्श को पकड़ लिया गया एवं अगले ही दिन युद्ध के जख्म के चलते वह मर गया.

Last Updated : Mar 1, 2021, 8:21 PM IST
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