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बंगाल चुनाव के बाद हिंसा के खिलाफ पीड़ितों ने किया SC का रुख, SIT जांच की मांग की

पश्चिम बंगाल (west bengal) में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और एसआईटी जांच की मांग की है. पीड़ितों का कहना है कि जांच के मामले में बंगाल सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 14, 2021, 4:24 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (west bengal assembly elections) बाद हुई हिंसा को लेकर दो पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) का रुख किया है. इसके साथ ही महिलाओं ने एसआईटी जांच (SIt) की मांग की है.

पीड़ितों का कहना है कि जांच में बंगाल सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसलिए इस मामले की जांच एसआईटी को हस्तांतरित किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि टीएमसी समर्थकों (TMC supporters) ने कथित तौर पर नाबालिग के साथ बलात्कार किया था, जब वह अपनी दादी के घर से एक दोस्त के साथ अपने घर लौट रही थी.

नाबालिग पीड़िता ने कोर्ट को बताई आपबीती

इसके अलावा 60 वर्षीय महिला के साथ उसके ही घर में जबरदस्ती घुसकर कथित तौर पर टीएसमी समर्थकों ने दुष्कर्म को अंजाम दिया था. नाबालिग पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि टीएमसी समर्थकों ने उससे कहा,' वह एक ....बेटी है....हमारी पार्टी चुनाव जीत गई है, अब सबक सिखाएं. अब हम आपको भाजपा का समर्थन करने के लिए सबक सिखाएंगे. आपके परिवारवालों को पता होना चाहिए कि यह हमारी नेता ममता बनर्जी के विरोध का नतीजा है.

नाबालिग का दावा है कि अगली सुबह टीएमसी समर्थक आए और धमकी दी. कहा कि अगर इस मामले को आगे बढ़ाया तो वे उनके खेतों को जला देंगे. नाबालिग के माता-पिता को भी उससे मिलने नहीं दिया जा रहा है. इतना ही नहीं पुलिस ने धमकी दी है कि आपके घर में एक बेटी है, अगर कल उसके साथ बलात्कार होता है तो मदद के लिए हमारे पास दौड़कर न आएं.

'बंगाल सरकार आरोपियों को बचाने में जुटी'

इस मामले के लिए एसआईटी की मांग करते हुए, पीड़िता ने कहा है कि बंगाल सरकार निष्पक्ष जांच करने और उसके साथ सहानुभूति रखने के बजाय, आरोपी को बचाने में लगी हुई है. उसके परिवार को धमकी मिल रही है. 60 वर्षीय पीड़िता ने अदालत को बताया है कि 3 मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद उसके घर को 100-200 लोगों की भीड़ ने घेर लिया था, जिसमें टीएमसी समर्थक शामिल थे, जिन्होंने परिवार को घर छोड़ने या परिणाम भुगतने की धमकी दी थी.

इसके अलावा टीएमसी समर्थकों ने महिला के बहू के साथ मारपीट की थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. अगले दिन लगभग 12:30 पूर्वाह्न पांच टीएमसी समर्थकों ने घर में घुसकर उसे थप्पड़ मारे, हथकड़ी लगाई और उसे बिस्तर से बांध दिया. इसके अलावा टीएमसी समर्थकों ने जेवर, नकद व अन्य कीमती सामान भी लूट कर ले गए.

यह भी पढ़ें- Ram Mandir Scam: चंपत राय का पलटवार, बोले- आरोप भ्रामक और राजनीति से प्रेरित

इस मामलों को लेकर जब महिला का दमाद प्राथमिकी दर्ज करवाने थाने पहुंचा तो पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया. हालांकि, बाद में काफी मशक्कत करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. पीड़ित महिला खेजुरी में रहती है, जहां से भाजपा ने चुनाव जीता है. जीत से नाराज टीएमसी समर्थकों ने भाजपा समर्थकों का घर जलाया, बम फेंके, जिससे उसको चोट पहुंची और आभूषण और कीमती सामान लूट लिये.

हालांकि, इतिहास उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहां दुष्कर्म का उपयोग दुश्मनों को आतंकित करने और दुश्मन सैनिकों को हतोत्साहित करने की रणनीति के रूप में होता रहा है, लेकिन कभी भी एक महिला के खिलाफ संविधान द्वारा निर्धारित लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उसके परिवार की भागीदारी के लिए इस तरह के क्रूर अपराध नहीं किए गए हैं.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (west bengal assembly elections) बाद हुई हिंसा को लेकर दो पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) का रुख किया है. इसके साथ ही महिलाओं ने एसआईटी जांच (SIt) की मांग की है.

पीड़ितों का कहना है कि जांच में बंगाल सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसलिए इस मामले की जांच एसआईटी को हस्तांतरित किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि टीएमसी समर्थकों (TMC supporters) ने कथित तौर पर नाबालिग के साथ बलात्कार किया था, जब वह अपनी दादी के घर से एक दोस्त के साथ अपने घर लौट रही थी.

नाबालिग पीड़िता ने कोर्ट को बताई आपबीती

इसके अलावा 60 वर्षीय महिला के साथ उसके ही घर में जबरदस्ती घुसकर कथित तौर पर टीएसमी समर्थकों ने दुष्कर्म को अंजाम दिया था. नाबालिग पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि टीएमसी समर्थकों ने उससे कहा,' वह एक ....बेटी है....हमारी पार्टी चुनाव जीत गई है, अब सबक सिखाएं. अब हम आपको भाजपा का समर्थन करने के लिए सबक सिखाएंगे. आपके परिवारवालों को पता होना चाहिए कि यह हमारी नेता ममता बनर्जी के विरोध का नतीजा है.

नाबालिग का दावा है कि अगली सुबह टीएमसी समर्थक आए और धमकी दी. कहा कि अगर इस मामले को आगे बढ़ाया तो वे उनके खेतों को जला देंगे. नाबालिग के माता-पिता को भी उससे मिलने नहीं दिया जा रहा है. इतना ही नहीं पुलिस ने धमकी दी है कि आपके घर में एक बेटी है, अगर कल उसके साथ बलात्कार होता है तो मदद के लिए हमारे पास दौड़कर न आएं.

'बंगाल सरकार आरोपियों को बचाने में जुटी'

इस मामले के लिए एसआईटी की मांग करते हुए, पीड़िता ने कहा है कि बंगाल सरकार निष्पक्ष जांच करने और उसके साथ सहानुभूति रखने के बजाय, आरोपी को बचाने में लगी हुई है. उसके परिवार को धमकी मिल रही है. 60 वर्षीय पीड़िता ने अदालत को बताया है कि 3 मई को चुनाव के नतीजे आने के बाद उसके घर को 100-200 लोगों की भीड़ ने घेर लिया था, जिसमें टीएमसी समर्थक शामिल थे, जिन्होंने परिवार को घर छोड़ने या परिणाम भुगतने की धमकी दी थी.

इसके अलावा टीएमसी समर्थकों ने महिला के बहू के साथ मारपीट की थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. अगले दिन लगभग 12:30 पूर्वाह्न पांच टीएमसी समर्थकों ने घर में घुसकर उसे थप्पड़ मारे, हथकड़ी लगाई और उसे बिस्तर से बांध दिया. इसके अलावा टीएमसी समर्थकों ने जेवर, नकद व अन्य कीमती सामान भी लूट कर ले गए.

यह भी पढ़ें- Ram Mandir Scam: चंपत राय का पलटवार, बोले- आरोप भ्रामक और राजनीति से प्रेरित

इस मामलों को लेकर जब महिला का दमाद प्राथमिकी दर्ज करवाने थाने पहुंचा तो पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया. हालांकि, बाद में काफी मशक्कत करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. पीड़ित महिला खेजुरी में रहती है, जहां से भाजपा ने चुनाव जीता है. जीत से नाराज टीएमसी समर्थकों ने भाजपा समर्थकों का घर जलाया, बम फेंके, जिससे उसको चोट पहुंची और आभूषण और कीमती सामान लूट लिये.

हालांकि, इतिहास उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहां दुष्कर्म का उपयोग दुश्मनों को आतंकित करने और दुश्मन सैनिकों को हतोत्साहित करने की रणनीति के रूप में होता रहा है, लेकिन कभी भी एक महिला के खिलाफ संविधान द्वारा निर्धारित लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उसके परिवार की भागीदारी के लिए इस तरह के क्रूर अपराध नहीं किए गए हैं.

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