नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम की सिवनी-मालवा तहसील के छोटे से गांव बिसोनी कला से निकलकर रणजी में पहुंचे तेज गेंदबाज गौरव यादव जिन्होंने रणजी ट्राफी जीतने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने टेनिस बाल से क्रिकेट जीवन की शुरुआत की थी, कई समस्याएं भी आई पर गौरव रुके नहीं और आगे बढ़ते गए. आज मध्यप्रदेश के गौरव को बढ़ाया.
टीम ने रचा इतिहास: मध्यप्रदेश की क्रिकेट टीम ने बैंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मुंबई की टीम को मात देते हुए ट्रॉफी पर अपना कब्जा जमा लिया है, रणजी ट्रॉफी के इतिहास में मध्यप्रदेश ने पहली बार जीत हासिल कर आखिर कार 23 साल का सूखा खत्म कर दिया है और इस चमचमाती ट्रॉफी पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिख दिया हैं. प्रदेश की इस बड़ी जीत में कोचिंग स्टाफ से लेकर सभी खिलाड़ियों का योगदान रहा. प्रदेश की इस विजयी टीम के गेंदबाज़ों में विकेट लेने की भूख पूरे टूर्नामेंट में नज़र आई, वहीं बल्लेबाज़ों ने भी रनों की बौछार की और दोनों के बेहतरीन तालमेल से इस टीम ने इतिहास रच दिया.
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गांव के गौरव ने किया प्रदेश को गौरवान्वित: मध्यप्रदेश की इस जीत में वैसे तो पूरी टीम का योगदान जबरदस्त रहा, लेकिन मध्यम गति के तेज गेंदबाज गौरव यादव ने अपनी गेंदबाज़ी से मुंबई के दिग्गज बल्लेबाजों को पटखनी दे दी और इस जीत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भुमिका निभाई. गौरव यादव ने इस मैच में दोनों पारियां मिला कर कुल 6 विकेट लिए और वे टीम के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी भी बने. गौरव यादव 30 साल के है और मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील के छोटे से गांव बिसोनी कला के रहने वाले हैं, उनकी इस जीत पर गांव एवं पूरे परिवार में खुशी का माहौल है.