जलपाईगुड़ी : उत्तर बंगाल के जंगलों में वन्यजीव तस्करी रोकने की मुहिम तेज है. यहां गैंडों के मारे जाने और जलदापारा और गोरुमारा नेशनल पार्कों में उनके सींग कटने की कई घटनाएं हुई हैं. यहां तक कि तस्करों के पास के एके 47 जैसे हथियार भी बरामद हुए हैं. ऐसे में वन विभाग खोजी कुत्तों की भी मदद ले रहा है.
वन्यजीव तस्करी के लिए बदनाम ये रूट
दरअसल पूर्वोत्तर भारत वन्यजीवों और उनके शवों की तस्करी का प्रमुख मार्ग है. यहां से देश और विदेश में जंगली जानवरों के अवशेषों की तस्करी की जाती है. विशेष रूप से तस्कर सिलीगुड़ी को राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के माध्यम से मुख्य तस्करी मार्ग के रूप में उपयोग करते हैं.
असम या भूटान से तस्कर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को पनिगांकी और सिलीगुड़ी के माध्यम से नेपाल सीमा पार करते हैं. कई शिकायतें हैं कि वन्यजीव शवों की तस्करी नेपाल से चीन और इंडोनेशिया सहित अन्य देशों में की जाती है. अधिक मुनाफे के लालच में भूटान के वन्यजीव तस्कर फंटिशिंग, जनागा के माध्यम से भारत में प्रवेश कर रहे हैं.
तेंदुए की खाल, राइफलें, एके47 बरामद की जा चुकी
उत्तर बंगाल में वन्यजीव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है. कुछ वर्षों में वन विभाग ने 100 से अधिक तस्करों के वाहनों को जब्त किया है. 775 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, 2 रॉयल बंगाल टाइगर की खाल बरामद की गई है.
3 राइनो सींग, 4 बंदूकें, 15 तेंदुए की खाल, 362 तेंदुए की हड्डियां, राइफलें भी बरामद हुई हैं. यही नहीं 26 तेंदुए की खाल बरामद की गई. 20 पैंगोलिन, करोड़ों रुपए के सांप का जहर बरामद किया गया है. वन विभाग ने मानस नेशनल पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर को मारने वाले तस्करों को भी गिरफ्तार किया है.
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तस्करी पर अंकुश लगाने की पूरी कोशिश कर रहे
गोरुमारा वन्यजीव विभाग की प्रभागीय वनाधिकारी निशा गोस्वामी ने कहा, 'हम तस्करी पर अंकुश लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हमने गश्त बढ़ाई है. हम वन विभाग के स्निफर डॉग्स की मदद से नाकों की भी जांच कर रहे हैं.