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Watch Video: जल पुरुष राजेंद्र सिंह बोले, 'दिल्ली में आई बाढ़ प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित आपदा' - बाढ़ की त्रासदी

देश कई राज्य इन दिनों बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली भी इससे नहीं बची है. राजधानी में एक बार फिर से यमुना का स्तर बढ़ने लगा है. इसे मुद्दे पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने जल पुरुष कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे अवार्ड्स सम्मानित राजेंद्र सिंह से खास बातचीत की.

Water man Rajendra Singh
जल पुरुष राजेंद्र सिंह
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Published : Jul 23, 2023, 10:17 PM IST

जल पुरुष राजेंद्र सिंह से खास बातचीत

नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ की विभीषिका ने कोहराम मचा रखा है. संकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. यहां तक कि इस बार देश की राजधानी दिल्ली को भी प्रशासनिक लापरवाही की वजह से बाढ़ का दंश झेलना पड़ा है. देश में आ रही बाढ़ को क्या मात्र प्राकृतिक आपदा मान लेना लेना चाहिए या फिर कोई समाधान हो सकता है? इन सभी सवालों के जवाब भारत में रेमन मैग्सेसे अवार्ड्स सम्मानित और जल पुरुष के नाम से जाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने दिए.

जल पुरुष यानी राजेंद्र सिंह का कहना है कि ये जो बाढ़ की त्रासदी है, नहीं होती. इस आपदा को रोका जा सकता था. लेकिन हमारे जो कैनाल सिस्टम हैं, उनमें एक बूंद भी पानी नहीं खोला गया. सब बंद हैं. जब बाढ़ आ रही थी, उसी समय जगह-जगह जो कैनाल हैं, उन्हें खोल दिया जाता तो बाढ़ इतनी तबाही नहीं मचाती. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बाढ़ आने के बाद भी गुरुग्राम में जो कैनाल सिस्टम है, उसे खोला नहीं गया.

राजेंद्र सिंह ने कहा कि यदि उसे खोल दिया जाता तो दिल्ली में इतना पानी नहीं आ पता. उन्होंने कहा कि ये बहुत पुराने जमाने का सिस्टम है. हरियाणा से गुरुग्राम कैनाल में पानी आता है और फिर उसे छोड़ा जाता है और उसे अभी तक अपग्रेड नहीं किया गया और बाढ़ को आमंत्रित किया गया. जल पुरुष का मानना है कि इस बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानना गलत है. ये तो मानव निर्मित आपदा है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में 11 विभाग हैं और सभी बाढ़ से जुड़े हैं और जो विभाग बाढ़ के लिए हैं. उनका काम है कि जून के महीने में जितने भी बैराज हैं, उनको खोल दें. उनकी ऑयलिंग और ग्रीसिंग की जाए, मगर विभागों ने कुछ तैयारी नहीं की और यही वजह है कि मुखर्जी नगर पूरा बाढ़ में डूब गया और वो पानी राजघाट से होता हुआ, सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा, या यूं कहें आधी दिल्ली डूब गई.

मगर ये सिर्फ बारिश के कारण नहीं डूबी, ये लापरवाही के कारण डूबी है. ये इन विभागों के स्वंभू होने के कारण डूबी है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से इस बार दिल्ली डूबी है. इसे प्राकृतिक बाढ़ कहना अनर्थ होगा. ये मानव निर्मित बाढ़ थी. वाटरमैन के नाम से जाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने कहा कि अभी भी अगर सरकार नहीं चेती तो आगे भी ऐसी समस्या आ सकती है.

उन्होंने कहा कि यदि देश की राजधानी दिल्ली को बाढ़ से बचना है तो विभागों को यहां के ड्रेनेज सिस्टम का अध्ययन करना होगा, क्योंकि ये सब सिस्टम रिकॉर्ड में हैं और उसके बाद मास्टरप्लैन तैयार करना होगा.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह से खास बातचीत

नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ की विभीषिका ने कोहराम मचा रखा है. संकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. यहां तक कि इस बार देश की राजधानी दिल्ली को भी प्रशासनिक लापरवाही की वजह से बाढ़ का दंश झेलना पड़ा है. देश में आ रही बाढ़ को क्या मात्र प्राकृतिक आपदा मान लेना लेना चाहिए या फिर कोई समाधान हो सकता है? इन सभी सवालों के जवाब भारत में रेमन मैग्सेसे अवार्ड्स सम्मानित और जल पुरुष के नाम से जाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने दिए.

जल पुरुष यानी राजेंद्र सिंह का कहना है कि ये जो बाढ़ की त्रासदी है, नहीं होती. इस आपदा को रोका जा सकता था. लेकिन हमारे जो कैनाल सिस्टम हैं, उनमें एक बूंद भी पानी नहीं खोला गया. सब बंद हैं. जब बाढ़ आ रही थी, उसी समय जगह-जगह जो कैनाल हैं, उन्हें खोल दिया जाता तो बाढ़ इतनी तबाही नहीं मचाती. उन्होंने कहा कि दिल्ली में बाढ़ आने के बाद भी गुरुग्राम में जो कैनाल सिस्टम है, उसे खोला नहीं गया.

राजेंद्र सिंह ने कहा कि यदि उसे खोल दिया जाता तो दिल्ली में इतना पानी नहीं आ पता. उन्होंने कहा कि ये बहुत पुराने जमाने का सिस्टम है. हरियाणा से गुरुग्राम कैनाल में पानी आता है और फिर उसे छोड़ा जाता है और उसे अभी तक अपग्रेड नहीं किया गया और बाढ़ को आमंत्रित किया गया. जल पुरुष का मानना है कि इस बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानना गलत है. ये तो मानव निर्मित आपदा है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में 11 विभाग हैं और सभी बाढ़ से जुड़े हैं और जो विभाग बाढ़ के लिए हैं. उनका काम है कि जून के महीने में जितने भी बैराज हैं, उनको खोल दें. उनकी ऑयलिंग और ग्रीसिंग की जाए, मगर विभागों ने कुछ तैयारी नहीं की और यही वजह है कि मुखर्जी नगर पूरा बाढ़ में डूब गया और वो पानी राजघाट से होता हुआ, सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा, या यूं कहें आधी दिल्ली डूब गई.

मगर ये सिर्फ बारिश के कारण नहीं डूबी, ये लापरवाही के कारण डूबी है. ये इन विभागों के स्वंभू होने के कारण डूबी है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से इस बार दिल्ली डूबी है. इसे प्राकृतिक बाढ़ कहना अनर्थ होगा. ये मानव निर्मित बाढ़ थी. वाटरमैन के नाम से जाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने कहा कि अभी भी अगर सरकार नहीं चेती तो आगे भी ऐसी समस्या आ सकती है.

उन्होंने कहा कि यदि देश की राजधानी दिल्ली को बाढ़ से बचना है तो विभागों को यहां के ड्रेनेज सिस्टम का अध्ययन करना होगा, क्योंकि ये सब सिस्टम रिकॉर्ड में हैं और उसके बाद मास्टरप्लैन तैयार करना होगा.

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