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यूपी के इस गांव में 300 साल से किसी ने नहीं बंधवाई राखी, इस वजह से डरते हैं भाई

रक्षाबंधन के मौके पर पूरे देश में बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और धूमधाम से इस त्योहार का मनाया जाता है लेकिन, यूपी में एक ऐसा गांव है, जहां 300 साल से राखी का त्याहोर ही नहीं मनाया गया. गांव के लोग इस त्योहार को मनाने से डरते हैं लेकिन क्या है इसकी वजह, चलिए आपको बताते हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 31, 2023, 10:56 AM IST

यूपी के इस गांव में 300 साल में किसी भाई ने नहीं बंधवाई राखी.

संभलः पूरे देश में भाई और बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. माना जाता है कि राखी भाइयों की रक्षा करती है. लेकिन, यूपी के संभल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां इस त्योहार को मनाने से लोग डरते है. भाई-बहन के प्यार का पावन पर्व रक्षाबंधन गांव में नहीं मनाया जाता है. इसकी वजह भी बहद चौंकाने वाली है. चलिए आपको बताते है.

संभल शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर आदमपुर रोड स्थित बेनीपुर चक गांव हैं. लेकिन, यहां रक्षाबंधन नहीं मनाने की परंपरा करीब 300 साल से कायम है. भाईयों की कलाई पर बहन रेशम के धागे के रूप में उनकी रक्षा और विश्वास का प्रतीक बांधती हैं लेकिन बेनीपुर चक गांव में हर साल इस त्योहार को लेकर डर का माहौल बना रहता है.

दरअसल, इस गांव में एक बड़ी आबादी यादव जाति है. गांव के लोगों के पूर्वज मूलरूप से अलीगढ़ जिले के सिमरई गांव में रहते थे. बुजुर्गों के अनुसार, गांव में ठाकुर और यादव जाति के लोग बड़े ही प्रेम से रहते थे. कहा जाता है कि रक्षाबंधन पर यादव जाति की लड़की ने अपने रिश्ते के मुंहबोले भाई एक ठाकुर लड़के को राखी बांधी और उपहार में घोड़ा ले लिया.

इसके बाद गांव की एक ठाकुर लड़की ने एक यादव लड़के को राखी बांधी और उपहार स्वरूप पूरा सिमरई गांव मांग लिया. यादव लड़के ने अपनी जमींदारी का पूरा गांव राखी बांधने वाली मुंहबोली बहन उपहार स्वरूप दे दिया. अब उपहार में दी चीज पर अपना कोई हक नहीं बचता. इसके बाद सिमरई गांव के यह सभी लोग बेनीपुर चक गांव में आकर बस गए. इसके बाद से ही इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता.

ये भी पढ़ेंः राखी बंधाकर CM योगी आदित्यनाथ ने दिया बड़ा तोहफा, जानिये कितनी बढ़ेगी कन्या सुमंगला योजना की राशि

ग्रामीणों के अनुसार, गांव में राखी का त्योहार 300 साल से नहीं मनाया गया. लोगों को डर रहता है कि अगर उन्होंने अपनी बहन से राखी बंधवा ली और उसने उपहार स्वरूप संपत्ति आदि मांग ली, तो उनका क्या होगा. बस इसी वजह से गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता. राखी बांधने के बदले कोई भी भाई अपनी बहन को संपत्ति नहीं देना चाहता. इतना ही नहीं इस गांव में शादी के बाद दूसरे गांव से आई युवती भी अपने भाई को राखी बांधने मायके नहीं जाती है. हालांकि गांव की युवतियों का कहना है कि राखी का त्योहार मनाने का उनका मन करता है. लेकिन बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाना अब उनकी मजबूरी है.

ये भी पढ़ेंः Raksha Bandhan : इस रंग की राखी से मिलेगा सुख-सौभाग्य, जानिए रक्षाबंधन 2023 का शास्त्र सम्मत मुहूर्त

यूपी के इस गांव में 300 साल में किसी भाई ने नहीं बंधवाई राखी.

संभलः पूरे देश में भाई और बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. माना जाता है कि राखी भाइयों की रक्षा करती है. लेकिन, यूपी के संभल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां इस त्योहार को मनाने से लोग डरते है. भाई-बहन के प्यार का पावन पर्व रक्षाबंधन गांव में नहीं मनाया जाता है. इसकी वजह भी बहद चौंकाने वाली है. चलिए आपको बताते है.

संभल शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर आदमपुर रोड स्थित बेनीपुर चक गांव हैं. लेकिन, यहां रक्षाबंधन नहीं मनाने की परंपरा करीब 300 साल से कायम है. भाईयों की कलाई पर बहन रेशम के धागे के रूप में उनकी रक्षा और विश्वास का प्रतीक बांधती हैं लेकिन बेनीपुर चक गांव में हर साल इस त्योहार को लेकर डर का माहौल बना रहता है.

दरअसल, इस गांव में एक बड़ी आबादी यादव जाति है. गांव के लोगों के पूर्वज मूलरूप से अलीगढ़ जिले के सिमरई गांव में रहते थे. बुजुर्गों के अनुसार, गांव में ठाकुर और यादव जाति के लोग बड़े ही प्रेम से रहते थे. कहा जाता है कि रक्षाबंधन पर यादव जाति की लड़की ने अपने रिश्ते के मुंहबोले भाई एक ठाकुर लड़के को राखी बांधी और उपहार में घोड़ा ले लिया.

इसके बाद गांव की एक ठाकुर लड़की ने एक यादव लड़के को राखी बांधी और उपहार स्वरूप पूरा सिमरई गांव मांग लिया. यादव लड़के ने अपनी जमींदारी का पूरा गांव राखी बांधने वाली मुंहबोली बहन उपहार स्वरूप दे दिया. अब उपहार में दी चीज पर अपना कोई हक नहीं बचता. इसके बाद सिमरई गांव के यह सभी लोग बेनीपुर चक गांव में आकर बस गए. इसके बाद से ही इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता.

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ग्रामीणों के अनुसार, गांव में राखी का त्योहार 300 साल से नहीं मनाया गया. लोगों को डर रहता है कि अगर उन्होंने अपनी बहन से राखी बंधवा ली और उसने उपहार स्वरूप संपत्ति आदि मांग ली, तो उनका क्या होगा. बस इसी वजह से गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता. राखी बांधने के बदले कोई भी भाई अपनी बहन को संपत्ति नहीं देना चाहता. इतना ही नहीं इस गांव में शादी के बाद दूसरे गांव से आई युवती भी अपने भाई को राखी बांधने मायके नहीं जाती है. हालांकि गांव की युवतियों का कहना है कि राखी का त्योहार मनाने का उनका मन करता है. लेकिन बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाना अब उनकी मजबूरी है.

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