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सरकार 'बेशर्म' हो जाए, किसानों की न सुने तो क्या कर सकते हैं, आंदोलन नहीं रुकेगा: राकेश टिकैत

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Published : Jul 23, 2021, 8:51 PM IST

दिल्ली में किसान कानून रद्द किए जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे राकेश टिकैत से बात की दिल्ली स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत ने ...26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं . संसद सत्र चलने तक जंतर-मंतर पर किसान संसद का ऐलान कर राकेश टिकैत फिर सुर्खियों में हैं .

rakesh tikait exclusive interview with etv bharat, kisan sansad jantar mantar update
राकेश टिकैत

बीते आठ महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में डटे किसान अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान ससंद चला रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी एक बैनर के तले विभिन्न किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से हुंकार भरी है. किसान संसद और संयुक्त किसान मोर्चा की भविष्य की योजनाओं के बारे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से विस्तार से हुई बातचीत के पेश हैं प्रमुख अंश...

संसद के जारी सत्र तक चलेगी किसान संसद

मांगों से जुड़े सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं कि देश में लोकतांत्रिक सिस्टम है. पिछले आठ महीने से दिल्ली के चारों तरफ हम बैठे हुए हैं, हमने हर तरह से प्रदर्शन करके देख लिया. ये भी (किसान संसद) उसी योजना का हिस्सा है कि पार्लियामेंट का जब सेशन चल रहा हो, तो उसके समानांतर kisan sansad के माध्यम से हम अपनी बात को रखें.

जब तक संसद का सेशन चलता रहेगा तब तक किसानों की संसद भी चलती रहेगी. केंद्र सरकार को 6 महीने में झुकने को मजबूर कर देने वाले बयान पर राकेश टिकैत ने ​प्रतिक्रिया दी कि अगर सरकार बेशर्म हो जाए और किसानों की आवाज को नहीं सुने तो क्या कर सकते हैं. हमारा आंदोलन जारी रहेगा. किसान न कमजोर था न है और न रहेगा.

राकेश टिकैत का इंटरव्यू

...तो क्या आम जनता सड़क पर उतरेगी तो मानेंगे आंदोलन

अपनी मांगों को लेकर दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में देश के अन्य हिस्सों से किस तरह से मिल रहे समर्थन के सवाल का जवाब देते हुए टिकैत बताते हैं कि क्या आम जनता सड़कों पर आए तभी उसे आंदोलन कहेंगे? जब किसान अपनी फसलें आधी रेट में बेच रहा है, तो उसको आंदोलन न माना जाए. बिजली के रेट महंगे हो रहे हैं तो उसको आंदोलन न माना जाए. युवाओं को रोजगार की बात कही और अब वो बेरोजगारी झेल रहे हैं, ये आंदोलन नहीं है ? कहा कि जब-जब आह्वान करते हैं पूरा देश इस विचारधारा के साथ जुड़ता है और जब जरूरत पड़ेगी तो फिर से ट्रैक्टर यात्रा निकाली जाएगी. फिर विरोध-प्रदर्शन होंगे. हमारी वैचारिक क्रांति है. विचार से उत्पन्न क्रांति परिवर्तन लाती है.

पढ़ें:26 जुलाई और 9 अगस्त को महिलाएं करेंगी किसान संसद का संचालन

आंदोलन नहीं हुआ है कमजोर

आंदोलन के कमजोर होने से जुड़े सवाल पर राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन कमजोर नहीं हुआ है. हम पूरे देश में जाएंगे. 16 राज्यों में पहले गए, अब बाकी में भी जाएंगे और अपनी बात जनता के बीच में रखेंगे. मंडियों को और सरकार द्वारा सशक्त बनाने के लिए जारी बजट पर राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार पूरी तरह से झूठ बोलती है. ये जो एक लाख करोड़ रुपये देने की बात कही गई है ये किस-किस मद में जाएगा ये बताए. ये प्राइवेट मंडियों को मजबूत करेंगे.

ये मंडियों से लोगों को कर्ज देंगे. हमको मंडियों के रूप में प्लेटफॉर्म चाहिए. 2022 में आमदनी दोगुनी करने की बात कही गई थी और 2022 भी आ गया. हमारी फसलें सरकार खरीद लें और 2022 में दोगुने रेट के चैक किसानों को दे दे. आज तो एमएसपी पर खरीद भी नहीं हो रही है और खरीद में भी घोटाला हो रहा है. 60 प्रतिशत तक तो व्यापारी किसान के नाम पर अपना माल बेच देते हैं, सरकार इसकी जांच करवा दे. आज देश में कोई ऐसी एजेंसी नहीं रह गई है, जो ठीक से जांच कर सके.

हर उपाय करेंगे

किसान आंदोलन को चुनावों से जोड़ने के सवाल पर राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया दी कि ऐसा नहीं है. चुनाव होंगे तो चुनाव को भी देखेंगे. जिस मर्ज को जो दवा काम करेंगे. अगर ये चुनाव से ठीक होंगे, तो इनको चुनावी दवाई से ठीक करेंगे. आंदोलन से ठीक होंगे तो आंदोलन से ठीक करेंगे. 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा पर राकेश टिकैत का कहना है कि हमने तो कहा है कि 26 जनवरी की घटना की जांच ठीक तरीके से जांच हो. हम तो ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सड़कों पर उतरे थे.

पढ़ें:मीनाक्षी लेखी के बयान पर टिकैत बोले- किसान मवाली नहीं, धरती के हैं अन्नदाता

हम पर एनजीटी ने कार्रवाई भी की. लाल किले पर लोगों को सरकार लेकर गई. अगर हमको जाना होता तो हम पार्लियामेंट जाते. आंदोलन की अगुवाई के सवाल पर टिकैत कहते हैं कि आंदोलन की अगुवाई तो आडवाणी भी कर रहे थे अयोध्या में. हमारे साथ तो 25 लाख की भीड़ थी. भीड़ के आगे हम क्या करें और सरकार ने तो भीड़ को भड़काया भी था. इसलिए हम कह रहे हैं कि इसकी ठीक तरह से जांच करवाए, नहीं तो हम इसे लेकर देश से बाहर भी जाएंगे.

पार्लियामेंट को प्राइवेट कंपनियां चलाए ये बर्दाश्त नहीं

कानून वापसी पर टिकैत ने कहा कि हम यह चाहते हैं कि सरकार ने जो कानून पास किया है वह वापस हो. पार्लियामेंट को प्राइवेट कंपनियां चलाए ये बर्दाश्त नहीं होगा. नए कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा. एमएसपी पर गारंटी कानून बने. उसके बाद कमेटी बने, जिसमें भारत सरकार के लोग और देश के किसान शामिल हो. भविष्य में राजनीति में आने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि न भारतीय किसान यूनियन चुनाव लड़ेगा और न राकेश टिकैत चुनाव लड़ेगा. आजादी का आंदोलन देश में 90 वर्ष चला. ये भी किसान की आजादी की लड़ाई है. ये आंदोलन चलेगा. एक विचराधारा तक आंदोलन पूर्ण रूप से चलेगा.

ये वैचारिक क्रांति है

केंद्र सरकार कह रही है कि किसान उनके साथ है इस पर राकेश टिकैत कहते हैं कि कोई बात नहीं बता देंगे. समय आने दो, बताएंगे सब चीज आ जाने दो. अभी कोई उम्र खत्म थोड़ी बीत गई है. हमारी एक विचारधारा है कि कानून खत्म हों. ये वैचारिक क्रांति है. और वैचारिक क्रांति कभी खत्म नहीं हो सकती. फिर से सरकार के साथ बातचीत शुरू करने पर टिकैत कहते हैं कि हमने सरकार को चिठ्ठी लिखी है सरकार को कहा है कि बातचीच शुरू करो.

सरकार का कहना है कानून वापसी नहीं होंगे और बात कर लो. कंडीशनल हम कोई बात नहीं करेंगे. बगैर कंडीशन के बात होगी. जो भी बात होगी हाउस के अंदर बैठकर होगी. जहां पर मीटिंग होती है. सरकार को कोई बात कहनी है तो वो वहां पर कहें. अपने सम​र्थकों को आंदोलन की भविष्य की गतिविधि बताने के सवाल पर राकेश टिकैत ने जवाब दिया कि बता दिया सब लोग साथ में है पूरे देश का किसान साथ में है. पूरे देश का किसान साथ में है समय आता रहेगा बताते रहेंगे. आने दो समय.

बीते आठ महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में डटे किसान अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान ससंद चला रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी एक बैनर के तले विभिन्न किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से हुंकार भरी है. किसान संसद और संयुक्त किसान मोर्चा की भविष्य की योजनाओं के बारे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से विस्तार से हुई बातचीत के पेश हैं प्रमुख अंश...

संसद के जारी सत्र तक चलेगी किसान संसद

मांगों से जुड़े सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं कि देश में लोकतांत्रिक सिस्टम है. पिछले आठ महीने से दिल्ली के चारों तरफ हम बैठे हुए हैं, हमने हर तरह से प्रदर्शन करके देख लिया. ये भी (किसान संसद) उसी योजना का हिस्सा है कि पार्लियामेंट का जब सेशन चल रहा हो, तो उसके समानांतर kisan sansad के माध्यम से हम अपनी बात को रखें.

जब तक संसद का सेशन चलता रहेगा तब तक किसानों की संसद भी चलती रहेगी. केंद्र सरकार को 6 महीने में झुकने को मजबूर कर देने वाले बयान पर राकेश टिकैत ने ​प्रतिक्रिया दी कि अगर सरकार बेशर्म हो जाए और किसानों की आवाज को नहीं सुने तो क्या कर सकते हैं. हमारा आंदोलन जारी रहेगा. किसान न कमजोर था न है और न रहेगा.

राकेश टिकैत का इंटरव्यू

...तो क्या आम जनता सड़क पर उतरेगी तो मानेंगे आंदोलन

अपनी मांगों को लेकर दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में देश के अन्य हिस्सों से किस तरह से मिल रहे समर्थन के सवाल का जवाब देते हुए टिकैत बताते हैं कि क्या आम जनता सड़कों पर आए तभी उसे आंदोलन कहेंगे? जब किसान अपनी फसलें आधी रेट में बेच रहा है, तो उसको आंदोलन न माना जाए. बिजली के रेट महंगे हो रहे हैं तो उसको आंदोलन न माना जाए. युवाओं को रोजगार की बात कही और अब वो बेरोजगारी झेल रहे हैं, ये आंदोलन नहीं है ? कहा कि जब-जब आह्वान करते हैं पूरा देश इस विचारधारा के साथ जुड़ता है और जब जरूरत पड़ेगी तो फिर से ट्रैक्टर यात्रा निकाली जाएगी. फिर विरोध-प्रदर्शन होंगे. हमारी वैचारिक क्रांति है. विचार से उत्पन्न क्रांति परिवर्तन लाती है.

पढ़ें:26 जुलाई और 9 अगस्त को महिलाएं करेंगी किसान संसद का संचालन

आंदोलन नहीं हुआ है कमजोर

आंदोलन के कमजोर होने से जुड़े सवाल पर राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन कमजोर नहीं हुआ है. हम पूरे देश में जाएंगे. 16 राज्यों में पहले गए, अब बाकी में भी जाएंगे और अपनी बात जनता के बीच में रखेंगे. मंडियों को और सरकार द्वारा सशक्त बनाने के लिए जारी बजट पर राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार पूरी तरह से झूठ बोलती है. ये जो एक लाख करोड़ रुपये देने की बात कही गई है ये किस-किस मद में जाएगा ये बताए. ये प्राइवेट मंडियों को मजबूत करेंगे.

ये मंडियों से लोगों को कर्ज देंगे. हमको मंडियों के रूप में प्लेटफॉर्म चाहिए. 2022 में आमदनी दोगुनी करने की बात कही गई थी और 2022 भी आ गया. हमारी फसलें सरकार खरीद लें और 2022 में दोगुने रेट के चैक किसानों को दे दे. आज तो एमएसपी पर खरीद भी नहीं हो रही है और खरीद में भी घोटाला हो रहा है. 60 प्रतिशत तक तो व्यापारी किसान के नाम पर अपना माल बेच देते हैं, सरकार इसकी जांच करवा दे. आज देश में कोई ऐसी एजेंसी नहीं रह गई है, जो ठीक से जांच कर सके.

हर उपाय करेंगे

किसान आंदोलन को चुनावों से जोड़ने के सवाल पर राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया दी कि ऐसा नहीं है. चुनाव होंगे तो चुनाव को भी देखेंगे. जिस मर्ज को जो दवा काम करेंगे. अगर ये चुनाव से ठीक होंगे, तो इनको चुनावी दवाई से ठीक करेंगे. आंदोलन से ठीक होंगे तो आंदोलन से ठीक करेंगे. 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा पर राकेश टिकैत का कहना है कि हमने तो कहा है कि 26 जनवरी की घटना की जांच ठीक तरीके से जांच हो. हम तो ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सड़कों पर उतरे थे.

पढ़ें:मीनाक्षी लेखी के बयान पर टिकैत बोले- किसान मवाली नहीं, धरती के हैं अन्नदाता

हम पर एनजीटी ने कार्रवाई भी की. लाल किले पर लोगों को सरकार लेकर गई. अगर हमको जाना होता तो हम पार्लियामेंट जाते. आंदोलन की अगुवाई के सवाल पर टिकैत कहते हैं कि आंदोलन की अगुवाई तो आडवाणी भी कर रहे थे अयोध्या में. हमारे साथ तो 25 लाख की भीड़ थी. भीड़ के आगे हम क्या करें और सरकार ने तो भीड़ को भड़काया भी था. इसलिए हम कह रहे हैं कि इसकी ठीक तरह से जांच करवाए, नहीं तो हम इसे लेकर देश से बाहर भी जाएंगे.

पार्लियामेंट को प्राइवेट कंपनियां चलाए ये बर्दाश्त नहीं

कानून वापसी पर टिकैत ने कहा कि हम यह चाहते हैं कि सरकार ने जो कानून पास किया है वह वापस हो. पार्लियामेंट को प्राइवेट कंपनियां चलाए ये बर्दाश्त नहीं होगा. नए कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा. एमएसपी पर गारंटी कानून बने. उसके बाद कमेटी बने, जिसमें भारत सरकार के लोग और देश के किसान शामिल हो. भविष्य में राजनीति में आने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि न भारतीय किसान यूनियन चुनाव लड़ेगा और न राकेश टिकैत चुनाव लड़ेगा. आजादी का आंदोलन देश में 90 वर्ष चला. ये भी किसान की आजादी की लड़ाई है. ये आंदोलन चलेगा. एक विचराधारा तक आंदोलन पूर्ण रूप से चलेगा.

ये वैचारिक क्रांति है

केंद्र सरकार कह रही है कि किसान उनके साथ है इस पर राकेश टिकैत कहते हैं कि कोई बात नहीं बता देंगे. समय आने दो, बताएंगे सब चीज आ जाने दो. अभी कोई उम्र खत्म थोड़ी बीत गई है. हमारी एक विचारधारा है कि कानून खत्म हों. ये वैचारिक क्रांति है. और वैचारिक क्रांति कभी खत्म नहीं हो सकती. फिर से सरकार के साथ बातचीत शुरू करने पर टिकैत कहते हैं कि हमने सरकार को चिठ्ठी लिखी है सरकार को कहा है कि बातचीच शुरू करो.

सरकार का कहना है कानून वापसी नहीं होंगे और बात कर लो. कंडीशनल हम कोई बात नहीं करेंगे. बगैर कंडीशन के बात होगी. जो भी बात होगी हाउस के अंदर बैठकर होगी. जहां पर मीटिंग होती है. सरकार को कोई बात कहनी है तो वो वहां पर कहें. अपने सम​र्थकों को आंदोलन की भविष्य की गतिविधि बताने के सवाल पर राकेश टिकैत ने जवाब दिया कि बता दिया सब लोग साथ में है पूरे देश का किसान साथ में है. पूरे देश का किसान साथ में है समय आता रहेगा बताते रहेंगे. आने दो समय.

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