नई दिल्ली : राज्यसभा में हंगामे पर जांच पैनल गठित करने के प्रस्ताव को विपक्ष पार्टी कांग्रेस ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि लगता है कि कमेटी का गठन सांसदों को 'डराकर' चुप कराने के लिए किया गया है. कमेटी गठन का यह प्रस्ताव उस मामले में है, जिसमें संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में हंगामा हुआ था.
इस संबंध में चेयरमैन वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर खड़गे ने कहा कि 11 अगस्त की घटना पर जांच समिति के गठन से प्रतीत होता है कि सांसदों को चुप करने के लिए 'डराया' जा रहा है.
कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर से ईटीवी भारत की संवाददाता नियामिका सिंह की खास बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री और सरकार के अन्य लोग संसद को गुजरात विधानसभा जैसा बनाना चाहते हैं.
वे उसी पद्धति का उपयोग कर रहे हैं जिसमें वे दबाव बनाने और भय पैदान करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन संसद एक ऐसी जगह है जहां विपक्ष की आवाज सुनी जाती है. आप मूक संसद नहीं चला सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि 11 अगस्त की वह घटना इसलिए हुई क्योंकि विपक्ष को बोलने की अनुमति नहीं दी गई. सरकार की मंशा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने नायडू को लिखे पत्र के बारे में बताया कि खड़गे जी ने चेयरमैन को स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की डराने-धमकाने की राजनीति चलने नहीं दी जाएगी.वे अध्यक्ष को राजनीतिक स्टैंड लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
खड़गे ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि यह न केवल जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाने का प्रयास है, बल्कि उन सभी को किनारे कर देगा जिससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसलिए, मैं जांच समिति के गठन के खिलाफ हूं और हमारी पार्टी से इस समिति के लिए सदस्य का नाम प्रस्तावित करने का यहां सवाल ही नहीं उठता है.