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वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनेगा आयोग, संसद से विधेयक को मिली मंजूरी

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Published : Aug 5, 2021, 3:23 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 3:38 PM IST

राज्य सभा ने गुरुवार को विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग विधेयक, 2021' को मंजूरी दी.

वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनेगा आयोग
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनेगा आयोग

नई दिल्ली : 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग विधेयक, 2021' को बृहस्पतिवार को संसद की मंजूरी मिल गई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं को लेकर बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग गठित करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दी गई.

लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है.

उच्च सदन में वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.

विधेयक पर विपक्ष के हंगामे के बीच संक्षिप्त चर्चा हुई जिसमें राकांपा की वंदना चव्हाण ने कहा कि यह अत्यंत दुख की बात है कि उच्चतम न्यायालय के कहने के बाद सरकार ने वायु गुणवत्ता के लिए यह कदम उठाया है.

बीजद के प्रसन्न आचार्य ने आयोग में किसानों के प्रतिनिधित्व की मांग की. कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, द्रमुक के आर एस भारती, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी, माकपा की झरनादास वैद्य, टीआरएस सदस्य के आर सुरेश रेड्डी, राजद के मनोज झा, टीएमसी (एम) के जी के वासन, आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी विधेयक पर हुयी चर्चा में अपनी बात रखी.

चर्चा के जवाब में भूपेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली में पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारणों में यातायात, औद्योगिक प्रदूषण और जैविक कचरे को जलाना आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए एक समेकित संस्था जरूरी थी. इसी उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों के साथ ही एनसीआर के समीपवर्ती क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार देश के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का पता लगाने के लिए वायु क्षेत्र की पहचान करना जरूरी है. इसके लिए हम ऐसी व्यवस्था चाहते थे जिसमें नवाचार, समाधान, समन्वय हो.

यादव ने कहा कि आयोग में किसानों का प्रतिनिधित्व होगा. उन्होंने कहा विधेयक के माध्यम से हम पूरी तरह संसद के प्रति जवाबदेह होंगे और आयोग की रिपोर्ट हर साल संसद के पटल पर पेश की जाएगी.

पढ़ें :- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक लोकसभा में पारित

उन्होंने कहा कि सभी शहरों में वायु प्रदूषण के मापन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में संयंत्र लगाए गए हैं. वैकल्पिक ऊर्जा के लक्ष्य भी प्राप्त किए गए हैं.

यह विधेयक इससे संबंधित 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश, 2021' का स्थान लेगा.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता चिंता का मुख्य कारण है. वायु प्रदूषण के कारणों की निगरानी करने, उनका समाधान, उन्मूलन तथा वायु प्रदूषण को कम करने संबंधी उपायों की पहचान के लिये समेकित दृष्टिकोण विकसित एवं कार्यान्वित करने की जरूरत है.

इसमें खेतों में फसल कट जाने के बाद ठूंठ या पराली जलाने, यातायात प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन, सड़क की धूल, जैव सामग्री जलाना जैसे विषय शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सहयोगी एवं भागीदारीपूर्ण स्थायी और समर्पित तंत्र की कमी है.

विधेयक में कहा गया है कि ऐसे में वायु प्रदूषण से निपटने एवं स्थायी समाधान के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग स्थापित करना जरूरी समझा गया.

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं था और ऐसे विधान की तत्काल जरूरत थी, ऐसे में 28 अक्तूबर 2020 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये अध्यादेश लाया गया. लेकिन उक्त अध्यादेश को प्रतिस्थापित करने के लिये संसद में विधेयक पेश नहीं किया जा सका. परिणामस्वरूप इसकी मियाद 12 मार्च 2021 को समाप्त हो गई.

इसके बाद भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 123 खंड 1 के तहत 13 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश को मंजूरी दी थी.

नई दिल्ली : 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग विधेयक, 2021' को बृहस्पतिवार को संसद की मंजूरी मिल गई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं को लेकर बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग गठित करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दी गई.

लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है.

उच्च सदन में वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.

विधेयक पर विपक्ष के हंगामे के बीच संक्षिप्त चर्चा हुई जिसमें राकांपा की वंदना चव्हाण ने कहा कि यह अत्यंत दुख की बात है कि उच्चतम न्यायालय के कहने के बाद सरकार ने वायु गुणवत्ता के लिए यह कदम उठाया है.

बीजद के प्रसन्न आचार्य ने आयोग में किसानों के प्रतिनिधित्व की मांग की. कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा, द्रमुक के आर एस भारती, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी, माकपा की झरनादास वैद्य, टीआरएस सदस्य के आर सुरेश रेड्डी, राजद के मनोज झा, टीएमसी (एम) के जी के वासन, आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी विधेयक पर हुयी चर्चा में अपनी बात रखी.

चर्चा के जवाब में भूपेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली में पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारणों में यातायात, औद्योगिक प्रदूषण और जैविक कचरे को जलाना आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए एक समेकित संस्था जरूरी थी. इसी उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें पर्यावरण क्षेत्र के विशेषज्ञ लोगों के साथ ही एनसीआर के समीपवर्ती क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार देश के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का पता लगाने के लिए वायु क्षेत्र की पहचान करना जरूरी है. इसके लिए हम ऐसी व्यवस्था चाहते थे जिसमें नवाचार, समाधान, समन्वय हो.

यादव ने कहा कि आयोग में किसानों का प्रतिनिधित्व होगा. उन्होंने कहा विधेयक के माध्यम से हम पूरी तरह संसद के प्रति जवाबदेह होंगे और आयोग की रिपोर्ट हर साल संसद के पटल पर पेश की जाएगी.

पढ़ें :- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक लोकसभा में पारित

उन्होंने कहा कि सभी शहरों में वायु प्रदूषण के मापन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में संयंत्र लगाए गए हैं. वैकल्पिक ऊर्जा के लक्ष्य भी प्राप्त किए गए हैं.

यह विधेयक इससे संबंधित 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश, 2021' का स्थान लेगा.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता चिंता का मुख्य कारण है. वायु प्रदूषण के कारणों की निगरानी करने, उनका समाधान, उन्मूलन तथा वायु प्रदूषण को कम करने संबंधी उपायों की पहचान के लिये समेकित दृष्टिकोण विकसित एवं कार्यान्वित करने की जरूरत है.

इसमें खेतों में फसल कट जाने के बाद ठूंठ या पराली जलाने, यातायात प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन, सड़क की धूल, जैव सामग्री जलाना जैसे विषय शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सहयोगी एवं भागीदारीपूर्ण स्थायी और समर्पित तंत्र की कमी है.

विधेयक में कहा गया है कि ऐसे में वायु प्रदूषण से निपटने एवं स्थायी समाधान के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग स्थापित करना जरूरी समझा गया.

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चूंकि संसद सत्र नहीं था और ऐसे विधान की तत्काल जरूरत थी, ऐसे में 28 अक्तूबर 2020 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये अध्यादेश लाया गया. लेकिन उक्त अध्यादेश को प्रतिस्थापित करने के लिये संसद में विधेयक पेश नहीं किया जा सका. परिणामस्वरूप इसकी मियाद 12 मार्च 2021 को समाप्त हो गई.

इसके बाद भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 123 खंड 1 के तहत 13 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं संलग्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये आयोग अध्यादेश को मंजूरी दी थी.

Last Updated : Aug 5, 2021, 3:38 PM IST
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