नई दिल्ली : राज्य सभा सांसदों के निलंबन पर पीयूष गोयल ने कहा है कि कि सांसदों का निलंबन सदन की ओर से किया गया है. उन्होंने कहा कि 12 सांसदों को निलंबित करने का फैसला 20-21 दिनों की घटनाओं को देखने के बाद लिया गया.
गोयल ने निलंबन पर मल्लिकार्जुन खड़गे की आपत्ति को लेकर कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने सांसदों के अशोभनीय आचरण पर कोई खेद प्रकट नहीं किया. उन्होंने कहा कि सभापति को लेकर सदन के बाहर बेबुनियाद आरोप भी लगाए जा रहे हैं.
विपक्ष के सांसदों का संख्याबल कम होने के आरोप पर गोयल ने कहा कि वे सभी सदस्यों को चर्चा और मतविभाजन के लिए आमंत्रित करते हैं. उन्होंने कहा कि बिल पर मतविभाजन के बाद पूरा देश देख लेगा कि किसके पास संख्याबल है.
उन्होंने सांसदों के अशोभनीय आचरण पर कहा कि विगत 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान कुछ सांसदों ने खराब बर्ताव किया. शारीरिक रूप से कुछ मार्शल पर हमले की कोशिश की गई. उन्होंने कहा कि उस समय जिस प्रकार का माहौल था, वैसे में सभापति की कुर्सी पर भी घातक हमले की आशंका थी.
बकौल गोयल, सांसदों के साथ ऐसा बर्ताव हुआ जिसे देखने के बाद डर लगता था. इससे सदन की गरिमा तार-तार हुई है. उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी के साथ जब वे जा रहे थे तो उन्हें भी रोकने की कोशिश की गई थी.
सांसदों के निलंबन पर राज्य सभा में दूसरे दिन की कार्यवाही
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बता दें कि राहुल गांधी ने सांसदों के निलंबन पर आज एक ट्वीट कर सवाल खड़े किए. माफी मांगने या संसद में अपने बर्ताव पर सांसदों की ओर से खेद जताने की बात पर राहुल गांधी ने कहा कि किस बात पर माफी मांगी जाए ? उन्होंने कहा कि माफी बिल्कुल नहीं मांगनी चाहिए.
गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा से 12 सांसदों को निलंबित (rajya sabha members suspended) कर दिया गया. सांसदों को शीतकालीन सत्र (parliament winter session) की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उन पर संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में अशोभनीय आचरण और सभापति के निर्देशों का उल्लंघन के आरोपों के अलावा संसदीय नियमों की अनदेखी का आरोप है.