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कोरोना टीके की दोनों खुराक कब तक मिलेगी, सरकार ने संसद में दी जानकारी - स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि देश के सभी नागरिकों को जल्द से जल्द कोरोना टीके के दोनों खुराक लगा दी जाएगी. उन्होंने तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन के सवाल के जवाब में यह बात कही.

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Published : Jul 20, 2021, 6:27 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 7:51 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने आज राज्य सभा में कोरोना प्रबंधन और कोविड वैक्सीन को लेकर सरकार की नीति बयान दिया. इससे पहले लगभग चार घंटे तक राज्य सभा में देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीतियों और चुनौतियों पर अल्पकालिक चर्चा की गई.

मंडाविया ने कहा कि भारत बायोटेक की ओर से नाक में डाली जाने वाली दवा का ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले तक देशभर के लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा, इस बात पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें देश के वैज्ञानिकों की योग्यता पर पूरा यकीन है. उन्होंने कहा कि बच्चों के टीकाकरण के लिए भी कोरोना टीका बना रहीं कंपनियों ने ट्रायल शुरू कर दिया है.

स्वास्थ्य मंत्री बोले- सभी लोगों को कोरोना टीके की दोनों खुराक देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मंडाविया ने कहा 'चरणबद्ध तरीके से शुरू हुआ टीकाकरण कार्यक्रम अच्छी तरह चल रहा है. राज्यों को 15 दिन पहले, उन्हें दिए जाने वाले टीकों के बारे में सूचना दे दी जाती है जिसके अनुसार वह टीकाकरण केंद्र खोलने की योजना बना सकते हैं. अभी हर दिन 50 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है और टीकों की उपलब्धता बढने के साथ साथ यह संख्या भी बढ़ती जाएगी.'

उन्होंने बताया 'पिछले 24 दिन में दस करोड़ लोगों को टीका लगाया गया है. देश में सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है और भारत दुनिया में सर्वाधिक टीके लगाने वाला देश बन गया है. भारत में आज सुबह तक 41 करोड़ 35 लाख लोगों को टीका लग चुका है. इतने टीके उन देशों में भी नहीं लगे जहां संसाधन अधिक हैं और आबादी कम है.'

मंडाविया ने बताया कि देश की दो वैक्सीन निर्माता कंपनियां बच्चों के लिए कोविड रोधी टीकों का परीक्षण कर रही हैं और उम्मीद जतायी कि इन परीक्षणों के सफल होने पर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा. उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हुए बच्चों को लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, फिर भी सरकार इस मामले में पूरी तैयारियां कर रही है.

राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया

मंडाविया ने कहा 'लोग कह रहे हैं कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए. भारत की दो कंपनियां इस दिशा में काम कर रही है. जायडस कैडिला ने इसे लेकर परीक्षण शुरू कर दिया है. भारत बायोटेक कंपनी ने भी यह परीक्षण शुरू कर दिया है.'उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्हें यह अनौपचारिक रूप से सूचना मिली है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह इन कंपनियों के साथ संपर्क में हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इन कंपनियों के टीकों के परीक्षण सफल रहें ताकि देश के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए खुराक उपलब्ध हो सके.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर में शून्य से दस वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इसके संक्रमण की दर 3.28 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा कि दूसरी में लहर में यह दर 3.05 प्रतिशत थी.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोगों में महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों को लेकर विशेष चिंता है. उन्होंने कहा कि यह चिंता होनी भी चाहिए और सरकार ऐसी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी भी कर रही है.

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यदि पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखा जाए तो अगली लहर में बच्चों को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है. फिर भी सरकार सारी तैयारी कर रही है.

मंडाविया ने कहा कि महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया 'रेमडेसिवर दवा बनाने वाले संयंत्रों की संख्या बढ़ाई गई है. पहले इसके 20 संयंत्र थे जो रेमडेसिवर दवा बनाते थे और आज ऐसे 62 संयंत्र हैं. उनकी उत्पादन क्षमता साढ़े तीन से चार लाख तक पहुंच चुकी है. ब्लैक फंगस की समस्या से निपटने के लिए आज देश में दस संयंत्र एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन का उत्पादन किया जा रहा है और विदेशों से एम्फोटेरेसिन 13 लाख शीशियां हमने आयात की.'

देश की 130 करोड़ आबादी के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने कहा कि पहले देश में ऑक्सीजन का उत्पादन 4000 से 5000 मीट्रिक टन होता था जिसमे से चिकित्सकीय ऑक्सीजन का उत्पादन करीब 1200 मीट्रिक टन था. उन्होंने कहा 'दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ी. ट्रेन के जरिये दूरदराज तक ऑक्सीजन भेजी गई, हवाई जहाज के जरिये, समुद्र मार्ग के जरिये दूसरे देशों से भी ऑक्सीजन मंगाई गई और देश में भी इसका उत्पादन बढ़ाया गया.'

मंडाविया ने कहा 'देश के सभी बड़े अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं. सरकार, एनजीओ, विभिन्न कंपनियां, राज्य सरकारों की भी इनमें भागीदारी है. बहरहाल, केंद्र सरकार ने 1,573 लगाने की योजना बनाई, इनमें से 316 संयंत्र चालू हो चुके हैं और अगस्त तक शेष संयंत्र भी काम शुरू कर देंगे. चार करोड़ चार लाख से अधिक ऑक्सीजन सिलिंडरों की व्यवस्था की जा रही है. इसी तरह वेंटीलेटर ओर अन्य उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं.'

उन्होंने कहा '23 हजार करोड़ रुपये का एक पैकेज घोषित किया गया है ताकि इस महामारी से निपटने के लिए अवसंरचना एवं आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकें. राज्यों से योजनाएं इस संबंध में योजनाएं मांगी गई हैं.'

समय रहते महामारी से बचाव के लिए कदम न उठाने के विपक्ष के आरोप को गलत बताते हुए मंडाविया ने कहा 'देश में 13 जनवरी 2020 को कोरोना का पहला मामला देश में आया. लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री आगाह कर चुके थे कि हमारे देश की आबादी को देखते हुए हमें ऐहतियाती कदम उठाने हैं. तब से महामारी से बचाव के प्रयास शुरु हो गए थे. तीन फरवरी 2020 को इस संकट से निपटने के लिए एक मंत्री समूह बनाया गया था. विशेषज्ञ समूह भी बनाए गए.'

मंडाविया ने कहा 'जब सामूहिक प्रयासों से काम करने की बात आती है तो सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि इस राज्य ने यह नहीं किया. जिस राज्य का कोविड प्रबंधन अच्छा रहा, उसकी हमने दिल खोल कर सराहना की. जो राज्य टीके की कमी का दावा कर रहे हैं उनमें से कुछ के पास पर्याप्त टीके रखे हुए हैं. '

उन्होंने कहा 'जब दुनिया में यह महामारी फैल रही थी, उस वक्त जांच के लिए हमारे पास केवल एक प्रयोगशाला थी, हमारे पास पीपीई किट नहीं थे. तब महामारी से निपटने की तैयारी करने के लिए और वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया था. तब दूसरे देशों से हमारे पास दवाओं के लिए मांग आई और हमारे यहां से 64 देशों को दवाएं भेजी गईं और हमने देश पर गौरव किया था.'

मंडाविया ने कहा 'खुद अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा था कि हिंदुस्तान ने संकट के समय हमारी मदद की जिसे हम नहीं भूल सकते. भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम’ और 'शुभ लाभ’ की संस्कृति को मानने वाला देश है. हमारे साथ साथ दूसरों का भी भला होना चाहिए. यह सोच कर दूसरे देशों को भी टीका दिया गया. इतना ही नहीं, एक साल तक देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न सरकार की ओर से दिया गया. इसमें गैर सरकारी संगठनों, विभिन्न संस्थाओं और लोगों ने भी मदद की.'

उन्होंने कहा 'कोरोना योद्धाओं, पुलिस कर्मियों, पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी जान पर खेल कर जिस तरह अपने कर्तव्य का पालन किया, उनकी सराहना के लिए और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए हमने ताली, थाली बजाई. '

मौत के आंकड़े छिपाने के आरोप को सिरे से नकारते हुए मंडाविया ने कहा 'ये आंकड़े छिपाने का कोई कारण नहीं है. मृत्यु के मामलों का पंजीकरण राज्यों में होता है. राज्य से आंकड़े आने के बाद उन्हें कम्पाइल (संकलित)कर केंद्र प्रकाशित करता है. केंद्र ने किसी भी राज्य को आंकड़े कम बताने के लिए नहीं कहा. '

टीके के बारे में मंडाविया ने कहा 'जिस देश में टीका तैयार होगा, रिसर्च होगी, जाहिर है कि वह देश पहले टीका लेगा. भारत बायोटेक और सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने टीका तैयार कर दिखाया. जब देश में टीका तैयार हो रहा है तो अब इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. मैंने इस बारे में स्वयं कंपनियों से बात की. प्रधानमंत्री ने खुद टीका निर्माता कंपनियों, अनुसंधान कंपनियों से बात की. दुनिया के टीकों की तुलना में भारत के टीकों की कीमत कम है. सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके की 11 से 12 करोड़ खुराक मिलने लगी है. भारत बायोटेक का उत्पादन भी बढ़ रहा है.'

उन्होंने कहा कि टीका उत्पादन के लिए आवश्यक अवसंरचना उपलब्ध होनी चाहिए. 'भारत बायोटेक से हमने उत्पादन की इच्छुक कपंनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करने के लिए कहा. यह प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही इसके अच्छे नतीजे भी मिलेंगे.' मंडाविया ने कहा कि दूसरे देशों की अन्य कंपनियों के टीके भारत में उपलब्ध हो सकें, इसलिए नियमों में ढील भी दी गई है.

यह भी पढ़ें- राज्य सभा में कोरोना पर हुई विस्तृत चर्चा

इससे पहले चर्चा की शुरुआत में राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संकट के समय में ताली, थाली जैसे विकल्प चुने. खड़गे ने कहा कि इन चीजों को देख कर लगता है कि आप चिंतित नहीं थे और लोगों को झूठी तस्वीर दिखा रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री समस्या सुलझाने में विफल रहे. खड़गे ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम ने स्वास्थ्य मंत्री को बलि का बकरा बनाया है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने आज राज्य सभा में कोरोना प्रबंधन और कोविड वैक्सीन को लेकर सरकार की नीति बयान दिया. इससे पहले लगभग चार घंटे तक राज्य सभा में देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीतियों और चुनौतियों पर अल्पकालिक चर्चा की गई.

मंडाविया ने कहा कि भारत बायोटेक की ओर से नाक में डाली जाने वाली दवा का ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले तक देशभर के लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा, इस बात पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें देश के वैज्ञानिकों की योग्यता पर पूरा यकीन है. उन्होंने कहा कि बच्चों के टीकाकरण के लिए भी कोरोना टीका बना रहीं कंपनियों ने ट्रायल शुरू कर दिया है.

स्वास्थ्य मंत्री बोले- सभी लोगों को कोरोना टीके की दोनों खुराक देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मंडाविया ने कहा 'चरणबद्ध तरीके से शुरू हुआ टीकाकरण कार्यक्रम अच्छी तरह चल रहा है. राज्यों को 15 दिन पहले, उन्हें दिए जाने वाले टीकों के बारे में सूचना दे दी जाती है जिसके अनुसार वह टीकाकरण केंद्र खोलने की योजना बना सकते हैं. अभी हर दिन 50 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है और टीकों की उपलब्धता बढने के साथ साथ यह संख्या भी बढ़ती जाएगी.'

उन्होंने बताया 'पिछले 24 दिन में दस करोड़ लोगों को टीका लगाया गया है. देश में सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है और भारत दुनिया में सर्वाधिक टीके लगाने वाला देश बन गया है. भारत में आज सुबह तक 41 करोड़ 35 लाख लोगों को टीका लग चुका है. इतने टीके उन देशों में भी नहीं लगे जहां संसाधन अधिक हैं और आबादी कम है.'

मंडाविया ने बताया कि देश की दो वैक्सीन निर्माता कंपनियां बच्चों के लिए कोविड रोधी टीकों का परीक्षण कर रही हैं और उम्मीद जतायी कि इन परीक्षणों के सफल होने पर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा. उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हुए बच्चों को लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, फिर भी सरकार इस मामले में पूरी तैयारियां कर रही है.

राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया

मंडाविया ने कहा 'लोग कह रहे हैं कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए. भारत की दो कंपनियां इस दिशा में काम कर रही है. जायडस कैडिला ने इसे लेकर परीक्षण शुरू कर दिया है. भारत बायोटेक कंपनी ने भी यह परीक्षण शुरू कर दिया है.'उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्हें यह अनौपचारिक रूप से सूचना मिली है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह इन कंपनियों के साथ संपर्क में हैं. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इन कंपनियों के टीकों के परीक्षण सफल रहें ताकि देश के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए खुराक उपलब्ध हो सके.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर में शून्य से दस वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इसके संक्रमण की दर 3.28 प्रतिशत थी. उन्होंने कहा कि दूसरी में लहर में यह दर 3.05 प्रतिशत थी.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोगों में महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों को लेकर विशेष चिंता है. उन्होंने कहा कि यह चिंता होनी भी चाहिए और सरकार ऐसी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी भी कर रही है.

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि यदि पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखा जाए तो अगली लहर में बच्चों को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है. फिर भी सरकार सारी तैयारी कर रही है.

मंडाविया ने कहा कि महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया 'रेमडेसिवर दवा बनाने वाले संयंत्रों की संख्या बढ़ाई गई है. पहले इसके 20 संयंत्र थे जो रेमडेसिवर दवा बनाते थे और आज ऐसे 62 संयंत्र हैं. उनकी उत्पादन क्षमता साढ़े तीन से चार लाख तक पहुंच चुकी है. ब्लैक फंगस की समस्या से निपटने के लिए आज देश में दस संयंत्र एम्फोटेरेसिन इंजेक्शन का उत्पादन किया जा रहा है और विदेशों से एम्फोटेरेसिन 13 लाख शीशियां हमने आयात की.'

देश की 130 करोड़ आबादी के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने कहा कि पहले देश में ऑक्सीजन का उत्पादन 4000 से 5000 मीट्रिक टन होता था जिसमे से चिकित्सकीय ऑक्सीजन का उत्पादन करीब 1200 मीट्रिक टन था. उन्होंने कहा 'दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ी. ट्रेन के जरिये दूरदराज तक ऑक्सीजन भेजी गई, हवाई जहाज के जरिये, समुद्र मार्ग के जरिये दूसरे देशों से भी ऑक्सीजन मंगाई गई और देश में भी इसका उत्पादन बढ़ाया गया.'

मंडाविया ने कहा 'देश के सभी बड़े अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं. सरकार, एनजीओ, विभिन्न कंपनियां, राज्य सरकारों की भी इनमें भागीदारी है. बहरहाल, केंद्र सरकार ने 1,573 लगाने की योजना बनाई, इनमें से 316 संयंत्र चालू हो चुके हैं और अगस्त तक शेष संयंत्र भी काम शुरू कर देंगे. चार करोड़ चार लाख से अधिक ऑक्सीजन सिलिंडरों की व्यवस्था की जा रही है. इसी तरह वेंटीलेटर ओर अन्य उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं.'

उन्होंने कहा '23 हजार करोड़ रुपये का एक पैकेज घोषित किया गया है ताकि इस महामारी से निपटने के लिए अवसंरचना एवं आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकें. राज्यों से योजनाएं इस संबंध में योजनाएं मांगी गई हैं.'

समय रहते महामारी से बचाव के लिए कदम न उठाने के विपक्ष के आरोप को गलत बताते हुए मंडाविया ने कहा 'देश में 13 जनवरी 2020 को कोरोना का पहला मामला देश में आया. लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री आगाह कर चुके थे कि हमारे देश की आबादी को देखते हुए हमें ऐहतियाती कदम उठाने हैं. तब से महामारी से बचाव के प्रयास शुरु हो गए थे. तीन फरवरी 2020 को इस संकट से निपटने के लिए एक मंत्री समूह बनाया गया था. विशेषज्ञ समूह भी बनाए गए.'

मंडाविया ने कहा 'जब सामूहिक प्रयासों से काम करने की बात आती है तो सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि इस राज्य ने यह नहीं किया. जिस राज्य का कोविड प्रबंधन अच्छा रहा, उसकी हमने दिल खोल कर सराहना की. जो राज्य टीके की कमी का दावा कर रहे हैं उनमें से कुछ के पास पर्याप्त टीके रखे हुए हैं. '

उन्होंने कहा 'जब दुनिया में यह महामारी फैल रही थी, उस वक्त जांच के लिए हमारे पास केवल एक प्रयोगशाला थी, हमारे पास पीपीई किट नहीं थे. तब महामारी से निपटने की तैयारी करने के लिए और वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया था. तब दूसरे देशों से हमारे पास दवाओं के लिए मांग आई और हमारे यहां से 64 देशों को दवाएं भेजी गईं और हमने देश पर गौरव किया था.'

मंडाविया ने कहा 'खुद अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा था कि हिंदुस्तान ने संकट के समय हमारी मदद की जिसे हम नहीं भूल सकते. भारत 'वसुधैव कुटुम्बकम’ और 'शुभ लाभ’ की संस्कृति को मानने वाला देश है. हमारे साथ साथ दूसरों का भी भला होना चाहिए. यह सोच कर दूसरे देशों को भी टीका दिया गया. इतना ही नहीं, एक साल तक देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न सरकार की ओर से दिया गया. इसमें गैर सरकारी संगठनों, विभिन्न संस्थाओं और लोगों ने भी मदद की.'

उन्होंने कहा 'कोरोना योद्धाओं, पुलिस कर्मियों, पैरामेडिकल स्टाफ ने अपनी जान पर खेल कर जिस तरह अपने कर्तव्य का पालन किया, उनकी सराहना के लिए और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए हमने ताली, थाली बजाई. '

मौत के आंकड़े छिपाने के आरोप को सिरे से नकारते हुए मंडाविया ने कहा 'ये आंकड़े छिपाने का कोई कारण नहीं है. मृत्यु के मामलों का पंजीकरण राज्यों में होता है. राज्य से आंकड़े आने के बाद उन्हें कम्पाइल (संकलित)कर केंद्र प्रकाशित करता है. केंद्र ने किसी भी राज्य को आंकड़े कम बताने के लिए नहीं कहा. '

टीके के बारे में मंडाविया ने कहा 'जिस देश में टीका तैयार होगा, रिसर्च होगी, जाहिर है कि वह देश पहले टीका लेगा. भारत बायोटेक और सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने टीका तैयार कर दिखाया. जब देश में टीका तैयार हो रहा है तो अब इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है. मैंने इस बारे में स्वयं कंपनियों से बात की. प्रधानमंत्री ने खुद टीका निर्माता कंपनियों, अनुसंधान कंपनियों से बात की. दुनिया के टीकों की तुलना में भारत के टीकों की कीमत कम है. सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके की 11 से 12 करोड़ खुराक मिलने लगी है. भारत बायोटेक का उत्पादन भी बढ़ रहा है.'

उन्होंने कहा कि टीका उत्पादन के लिए आवश्यक अवसंरचना उपलब्ध होनी चाहिए. 'भारत बायोटेक से हमने उत्पादन की इच्छुक कपंनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करने के लिए कहा. यह प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही इसके अच्छे नतीजे भी मिलेंगे.' मंडाविया ने कहा कि दूसरे देशों की अन्य कंपनियों के टीके भारत में उपलब्ध हो सकें, इसलिए नियमों में ढील भी दी गई है.

यह भी पढ़ें- राज्य सभा में कोरोना पर हुई विस्तृत चर्चा

इससे पहले चर्चा की शुरुआत में राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संकट के समय में ताली, थाली जैसे विकल्प चुने. खड़गे ने कहा कि इन चीजों को देख कर लगता है कि आप चिंतित नहीं थे और लोगों को झूठी तस्वीर दिखा रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री समस्या सुलझाने में विफल रहे. खड़गे ने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम ने स्वास्थ्य मंत्री को बलि का बकरा बनाया है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Last Updated : Jul 20, 2021, 7:51 PM IST
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