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SCO Defence Meeting : राजनाथ करेंगे SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता, ये देश होंगे सम्मिलित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 28 अप्रैल को नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. बैठक में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री भाग लेंगे. भारत ने बेलारूस और ईरान को एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, जो वर्तमान में एससीओ में पर्यवेक्षक हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री इसमें ऑनलाइन हिस्सा लेंगे.

SCO Defence Meeting
राजनाथ सिंह
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Published : Apr 27, 2023, 10:16 AM IST

नई दिल्ली : भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के रूप में नई दिल्ली में 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है. शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.

पढ़ें : SCO Members Meeting: भारत, रूस ने सुरक्षा के क्षेत्र में अधिक सहयोग के तरीकों की रूपरेखा की तैयार

रक्षा मंत्री अन्य मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, शंघाई सहयोग संगठन के भीतर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एक प्रभावी बहुपक्षवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे. वर्ष 2023 में भारत की शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता का विषय 'शंघाई सहयोग संगठन को सुरक्षित करना' है. भारत इस क्षेत्र में बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहन देने में शंघाई सहयोग संगठन को विशेष महत्व देता है.

पढ़ें : NSA meeting Of SCO : एसीओ की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक आज, डोभाल करेंगे संबोधित

शंघाई सहयोग संगठन के साथ चल रहे संपर्क ने भारत को उस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंधों को प्रोत्साहन देने में सहायता की है जिसके साथ भारत ने सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं, और इसे भारत का विस्तारित पड़ोस माना जाता है. शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है. रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भाग लेने वाले देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे.

पढ़ें : SCO Conference On Shared Buddhist Heritage: भारत साझा बौद्ध विरासत पर एससीओ सम्मेलन की कर रहा मेजबानी, कल से होगी शुरुआत

नई दिल्ली : भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के रूप में नई दिल्ली में 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है. शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.

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रक्षा मंत्री अन्य मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, शंघाई सहयोग संगठन के भीतर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एक प्रभावी बहुपक्षवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे. वर्ष 2023 में भारत की शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता का विषय 'शंघाई सहयोग संगठन को सुरक्षित करना' है. भारत इस क्षेत्र में बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहन देने में शंघाई सहयोग संगठन को विशेष महत्व देता है.

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शंघाई सहयोग संगठन के साथ चल रहे संपर्क ने भारत को उस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंधों को प्रोत्साहन देने में सहायता की है जिसके साथ भारत ने सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं, और इसे भारत का विस्तारित पड़ोस माना जाता है. शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है. रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भाग लेने वाले देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे.

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