जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी को दुष्कर्म मामले में मिली अग्रिम जमानत को रद्द कराने के लिए पीड़िता की ओर से दायर याचिका में कई महीनों से सुनवाई नहीं होने पर दिल्ली पुलिस और आरोपी से जवाब मांगा है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
एसएलपी में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें अदालत ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई 30 जनवरी, 2024 को तय करते हुए उसे आरोपी की ओर से पेश एफआईआर दर्ज करने की याचिका के साथ सूचीबद्ध करने के आदेश दिए थे. पीड़िता की ओर से अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने अदालत को बताया कि दुष्कर्म मामले में आरोपी रोहित जोशी को अग्रिम जमानत दी गई थी. इसके बाद पीड़िता पर केमिकल अटैक किया गया और उसके पैतृक शहर में पिता और भाई पर भी हमला किया गया.
ऐसे में उसकी ओर से अग्रिम जमानत रद्द करने की गुहार करते हुए जुलाई 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने उसकी याचिका पर त्वरित सुनवाई करने के बजाए मामले की सुनवाई 30 जनवरी 2024 को तय कर दी. वहीं, याचिका को मामले में रोहित जोशी की ओर से दुष्कर्म की एफआईआर रद्द करने वाली याचिका के सूचीबद्ध करने के आदेश दे दिए. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट दुष्कर्म मामले में अग्रिम जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर त्वरित सुनवाई नहीं कर रहा है. जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस व रोहित जोशी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.