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राजस्थान मदरसा कानून: HC ने केंद्र और राज्य सरकार को जारी किया नोटिस - केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी

राजस्थान में मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2020 को रद्द करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : Aug 13, 2021, 9:04 PM IST

जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य मदरसा बोर्ड, अधिनियम, 2020 को रद्द करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में उनसे जवाब मांगा है.

केंद्र एवं राज्य शिक्षा बोर्डों के अलावा राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग को भी नोटिस जारी किया गया है. इस कानून को देश की संघीय भावना के विपरीत करार देते हुए याचिकाकर्ता मुकेश जैन ने उसे खत्म करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया.

अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है, क्योंकि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बताता है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून किसी खास धर्म को बढ़ावा देता है और किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी सरकार किसी एक धर्म को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं कर सकती है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कानून बनाने का राज्य का कोई विशेषाधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस कानून को रद्द किया जाना चाहिये क्योंकि इसमें किसी अन्य अल्पसंख्यक समुदाय का ख्याल नहीं रखा गया है.

पढ़ें- हाईकोर्ट सुनवाई : सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा कैसे चलाई जा सकती है, उच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस

इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों, राज्य मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, सीबीएसई, आरबीएसई को नोटिस जारी किया और उनसे चार सप्ताह में जवाब मांगा.
(पीटीआई-भाषा)

जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य मदरसा बोर्ड, अधिनियम, 2020 को रद्द करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में उनसे जवाब मांगा है.

केंद्र एवं राज्य शिक्षा बोर्डों के अलावा राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग को भी नोटिस जारी किया गया है. इस कानून को देश की संघीय भावना के विपरीत करार देते हुए याचिकाकर्ता मुकेश जैन ने उसे खत्म करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया.

अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है, क्योंकि संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बताता है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून किसी खास धर्म को बढ़ावा देता है और किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी सरकार किसी एक धर्म को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं कर सकती है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा कानून बनाने का राज्य का कोई विशेषाधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस कानून को रद्द किया जाना चाहिये क्योंकि इसमें किसी अन्य अल्पसंख्यक समुदाय का ख्याल नहीं रखा गया है.

पढ़ें- हाईकोर्ट सुनवाई : सरकारी पैसे से धार्मिक शिक्षा कैसे चलाई जा सकती है, उच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस

इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों, राज्य मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, सीबीएसई, आरबीएसई को नोटिस जारी किया और उनसे चार सप्ताह में जवाब मांगा.
(पीटीआई-भाषा)

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