जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर शहर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने व स्लीपर सैल बनाने के दो आरोपी मोहम्मद अमार यासीर व मोहम्मद मारूफ की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. जस्टिस कुलदीप माथुर की एकलपीठ ने दोनों आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए याचिकाएं खारिज कर दी.
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने जमानत का विरोध करते हुए बताया कि जोधपुर के प्रतापनगर थाने में 23 मार्च, 2014 को एक एफआईआर दर्ज हुई. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज करवाकर एक-एक कर सभी 12 आरोपियों को एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया था.
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इस मुकदमें में 12 आरोपी बनाए गए थे. जिनमें से 10 आतंकी बरकत, साकिब, अशरफ, जहीर हक, मोहम्मद जावेद, मशरफ इकबाल, आबिद अंसारी, मोहम्मद वकार अजहर, मोहम्मद मारूफ और मोहम्मद अमार यासीर के खिलाफ 18 सितम्बर, 2014 को एटीएस ने चार्जशीट पेश कर दी थी. लेकिन आईएम के सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और पाकिस्तानी जिया उर रहमान उर्फ वकास उस वक्त दिल्ली जेल में थे. इसीलिए चार्जशीट पेश नहीं की गई थी.
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इन आंतकियों ने जोधपुर में विदेशी पर्यटकों को निशाना बनाने की साजिश की बात कबूली थी और ये बम बनाते हुए पकड़े गए थे. पुलिस ने 10 आरोपियों के खिलाफ 18 सितम्बर, 2014 को और आईएम के सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और पाकिस्तानी जिया उर रहमान उर्फ वकास के खिलाफ 9 जनवरी, 2015 को विधि विरूद्ध गतिविधि निवारण अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धारा-120 बी, 121, 121 ए, 122, 465, 468, 471, 212 सहित कई धाराओं में चार्जशीट पेश की थी.
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आरोपियों के विरूद्ध जोधपुर में लोगों को इंडियन मुजाहिद्दीन के सदस्य बनाकर भारत के विरूद्ध जेहाद की शपथ दिलाने का आरोप है. मारूफ का आतंकवादी इकबाल भटकल व रियाज भटकल पाकिस्तान से सीधा संपर्क में है. इस मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई हो रही है एवं अभी तक 68 गवाहों के बयान हो चुके हैं. जल्द ही ट्रायल पूरा हो जाएगा एवं इन पर गवाहों को धमकाने का भी आरोप है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद दोनों की याचिकाएं खारिज कर दी.