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Rajasthan High Court : गैर RAS से IAS के पदों पर की जा रही पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर की जा रही पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. अदालत ने राज्य सरकार से स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से गैर आरएएस अधिकारियों के नाम चयन का ब्योरा मांगा है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jul 7, 2023, 6:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर की जा रही पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. अदालत ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह राज्य सरकार की ओर पदोन्नति के लिए भेजे अफसरों के नामों पर आगे कार्रवाई नहीं करें. वहीं, अदालत ने राज्य सरकार से स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से गैर आरएएस अधिकारियों के नाम चयन का ब्योरा मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि सरकार गैर आरएएस का आईएएस पद पर प्रमोशन तो कर सकती है, लेकिन इसके लिए कोटा कैसे तय किया गया है?

राज्य सरकार की मनमानी : सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट और उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है. अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों को आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है.

पढ़ें. RAS Promoted As IAS : राजस्थान के 16 RAS अफसर बने IAS, देखें सूची

अपवाद, नियमित भर्ती का तरीका नहीं : याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 17 फरवरी को सभी विभागों में पत्र भेजकर अन्य सेवाओं से आईएएस सेवा में पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे और स्क्रीनिंग कमेटी ने अन्य सेवा के अफसरों का चयन कर पदोन्नति के लिए यूपीएससी को अपनी सिफारिश भेज दी है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हर बार अन्य सेवा के अधिकारियों को आईएएस पद पर पदोन्नति देना नियमानुसार सही नहीं है, क्योंकि अपवादिक परिस्थितियों में ही ऐसा कर सकते हैं. अपवाद कभी भी नियमित भर्ती का तरीका नहीं हो सकता.

केवल सेवा नियमों का उल्लंघन : राजस्थान सरकार ने खुद ही यह मान लिया है कि आईएएस पदोन्नति में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का भी एक कोटा है, जबकि यह सिर्फ अपवादिक परिस्थितियों में ही हो सकता है. राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती. ऐसा करना न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए गए पदोन्नति पदों पर भी अतिक्रमण है.

12 जुलाई को मामले की सुनवाई : राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने बताया कि राज्य सरकार आईएएस प्रमोशन नियम, 1954 के तहत इस तरह से प्रमोशन करती आ रही है. इस नियम के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार की राय से अन्य सेवाओं के विशेषज्ञ अधिकारियों की आईएएस पद पर नियुक्ति कर सकती है. इस पर अदालत ने कहा कि सरकार भले ही इस तरह पदोन्नति कर सकती है, लेकिन इसके लिए कोटा तय नहीं किया जा सकता. स्क्रीनिंग कमेटी ने किस आधार पर अन्य सेवा के अधिकारियों का नाम तय कर केन्द्र सरकार को भेजा है? इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जुलाई को तय की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर की जा रही पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. अदालत ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह राज्य सरकार की ओर पदोन्नति के लिए भेजे अफसरों के नामों पर आगे कार्रवाई नहीं करें. वहीं, अदालत ने राज्य सरकार से स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से गैर आरएएस अधिकारियों के नाम चयन का ब्योरा मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि सरकार गैर आरएएस का आईएएस पद पर प्रमोशन तो कर सकती है, लेकिन इसके लिए कोटा कैसे तय किया गया है?

राज्य सरकार की मनमानी : सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट और उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है. अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों को आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है.

पढ़ें. RAS Promoted As IAS : राजस्थान के 16 RAS अफसर बने IAS, देखें सूची

अपवाद, नियमित भर्ती का तरीका नहीं : याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 17 फरवरी को सभी विभागों में पत्र भेजकर अन्य सेवाओं से आईएएस सेवा में पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे और स्क्रीनिंग कमेटी ने अन्य सेवा के अफसरों का चयन कर पदोन्नति के लिए यूपीएससी को अपनी सिफारिश भेज दी है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हर बार अन्य सेवा के अधिकारियों को आईएएस पद पर पदोन्नति देना नियमानुसार सही नहीं है, क्योंकि अपवादिक परिस्थितियों में ही ऐसा कर सकते हैं. अपवाद कभी भी नियमित भर्ती का तरीका नहीं हो सकता.

केवल सेवा नियमों का उल्लंघन : राजस्थान सरकार ने खुद ही यह मान लिया है कि आईएएस पदोन्नति में गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का भी एक कोटा है, जबकि यह सिर्फ अपवादिक परिस्थितियों में ही हो सकता है. राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती. ऐसा करना न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए गए पदोन्नति पदों पर भी अतिक्रमण है.

12 जुलाई को मामले की सुनवाई : राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने बताया कि राज्य सरकार आईएएस प्रमोशन नियम, 1954 के तहत इस तरह से प्रमोशन करती आ रही है. इस नियम के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार की राय से अन्य सेवाओं के विशेषज्ञ अधिकारियों की आईएएस पद पर नियुक्ति कर सकती है. इस पर अदालत ने कहा कि सरकार भले ही इस तरह पदोन्नति कर सकती है, लेकिन इसके लिए कोटा तय नहीं किया जा सकता. स्क्रीनिंग कमेटी ने किस आधार पर अन्य सेवा के अधिकारियों का नाम तय कर केन्द्र सरकार को भेजा है? इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जुलाई को तय की है.

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