जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आज राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक को शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं. उसमें कहा है कि हाईवे पर आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?. वहां की गई कार्रवाई से आवारा पशुओं के आवागमन पर क्या प्रभाव पड़ा है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश ताराचंद शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वे हाईवे पर पशुओं के आवागमन को लेकर एनएचएआई की जिम्मेदारी तय करने के संबंध में अन्य तथ्य पेश करना चाहते हैं. ऐसे में मामले की सुनवाई टाली जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 4 अक्टूबर को तय करते हुए एनएचएआई के परियोजना निदेशक से इस संबंध में शपथ पत्र पेश करने को कहा है. जनहित याचिका में कहा गया कि जयपुर से कोटा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है. जिसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
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हाईवे पर पशुओं को बचाने के चक्कर में कई बार हुई दुर्घटनाओं में लोगों की मौत भी हुई है. हाईवे दोनों तरफ से खुला होने के चलते यहां आवारा पशु आसानी से आ जाते हैं. इसी तरह जयपुर-अजमेर, जयपुर-सीकर और जयपुर- दौसा हाईवे पर भी आवारा पशुओं के चलते आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. एनएचएआई की जिम्मेदारी है कि वह हाईवे पर यात्रियों की सुरक्षित और सुचारू यात्रा सुनिश्चित करे. इसके बावजूद भी एनएचएआई अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में सफल नहीं हुई हैं. इसलिए प्राधिकरण को निर्देश दिए जाएं कि वह राजमार्गों पर आवारा पशुओं की आवाजाही को रोके. जिससे यात्री सुरक्षित तरीके से अपनी यात्रा पूरी कर सके. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में की गई कार्रवाई के लिए एनएचएआई के परियोजना निदेशक से शपथ पत्र पेश करने को कहा है.