जयपुर : राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ. इतिहास में पहली बार विधानसभा में किसी राज्यपाल ने अभिभाषण से पहले संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. इस अभिभाषण में पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों का भी वक्तव्य दिया. राज्यपाल ने राजस्थान विधानसभा से पास हुए कृषि बिलों का जिक्र जरूर किया, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं कहा. उन्होंने अपने अभिभाषण में क्रूड ऑयल की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल भी खड़े किए. कलराज मिश्र ने कहा, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल डीजल की कीमतों में गिरावट नहीं आई.
केंद्र सरकार लगातार एक्साइज ड्यूटी लगा रही है, इससे आम जनता पर पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमतों का भार पड़ रहा है. राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा भी हुआ, जब माकपा के निलंबित विधायक बलवान पूनिया ने की बात रखने की कोशिश. पूनिया ने इस दौरान किसान आंदोलन और आन्दोलनजीवी जिंदाबाद के नारे भी लगाये.
काले कानून वापस लेने होंगे
सदन में पूनिया ने कृषि कानूनों को लेकर जमकर हंगामा किया. उन्होंने बीजेपी के सदस्यों को दिखाते हुए पोस्टर लहराए. बलवान पूनिया के विरोध को देखते हुए सीएम अशोक गहलोत ने महेश जोशी से बात की और बलवान पूनिया को समझाने के लिए भेजा. इस पर पूनिया को वापस लाने महेश जोशी पहुंचे. लेकिन, वह नहीं माने और वेल में धरने पर बैठ गए, जिसके बाद फिर से पूनिया से समझाइश की गई. इस बार संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी पहुंचे. आखिरकार बलवान पूनिया वापस अपनी सीट पर लौट आए. हालांकि, इसके बाद भी नारेबाजी जारी रही. वहीं, सदन में सचिन पायलट और प्रताप सिंह खाचरियावास अगली पंक्ति में एक टेबल पर बैठे.
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एक साल की उपलब्धियां गिनाई
राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में सरकार के गत एक साल की उपलब्धियां भी गिनाई. इस दौरान उन्होंने कोरोना से जंग को महत्वपूर्ण बताते हुए नो मास्क-नो एंट्री जैसे अभियान का जिक्र किया. साथ ही, कोई व्यक्ति भूखा ना सोए अभियान को भी उपलब्धि के तौर पर गिनाया.
भाजपा विधायकों ने लगाए जय श्री राम के नारे
सदन का आज की कार्यवाही में राज्यपाल ने जैसे ही अपना अभिभाषण खत्म किया. दूसरी ओर से जय श्री राम के नारे गूंज उठे. यह नारे भाजपा विधायकों की ओर से लगाए गए.
सरकार ने कहलवाई झूठी बातें- भाजपा विधायक
राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर भाजपा के नेताओं का कहना है कि उनसे झूठी बातें कहलवाई गईं, क्योंकि राज्यपाल तो संवैधानिक मर्यादाओं में बंधे हैं. इसलिए उन्होंने वही पढ़ा, जो सरकार ने उन्हें लिखकर दिया.