जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान (Rajasthan political Crisis) के बीच ग्रेटर निगम की मुखिया डॉ सौम्या गुर्जर को बर्खास्त (gehlot government dismissed somya gurjar) कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद राज्य सरकार ने सौम्या गुर्जर पर बड़ा एक्शन लेते हुए पार्षद और मेयर दोनों पद की सदस्यता से हटा दिया है.
सौम्या गुर्जर को प्राथमिक जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 के अन्तर्गत प्रकरण की न्यायिक जांच करवाई गई. न्यायिक जांच अधिकारी की ओर से न्यायिक जांच प्रकरण संख्या 244/2021 में सौम्या गुर्जर को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 (1) (घ) (ii) (ii) (vi) के अन्तर्गत दोषी पाया गया है. ऐसे में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 (4), 41 एवं 43 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने सौम्या गुर्जर को महापौर और वार्ड 87 पार्षद पद से हटाते हुए आगामी 6 वर्ष की कालावधि तक पुर्ननिवार्चन के लिए निर्योग्य घोषित किया है.
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जानकारों की माने तो बर्खास्ती को लेकर मेयर के पास अब हाईकोर्ट का ही विकल्प बचा है. जिसके लिए वो आज हाईकोर्ट जाकर न्यायिक जांच को चुनौती दे सकती हैं. वहीं, विधि विशेषज्ञों की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किए है, उसके तहत मेयर सौम्या गुर्जर न्यायिक जांच की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज कर सकती है. आपको बता दें कि, 23 सितंबर को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में राज्य सरकार को 2 दिन तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा था। जिसका समय 25 सितंबर को पूरा हो गया था.
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यूं चला घटनाक्रम : 4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ. कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हुई, जिसमें कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया. 5 जून 2021 को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक को सौंप दी. 6 जून 2021 को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवाई.
इसके बाद 7 जून 2021 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया. सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या ने उसी दिन हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को 2021 निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया. इसके बाद जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की. 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को 2022 सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली.
वहीं, 11 अगस्त को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया. 22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया. इसी दिन राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच की रिपोर्ट भी पेश की. जिस पर 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को सौम्या गुर्जर पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र कर दिया. आज 27 सितंबर को सौम्या गुर्जर को भी महापौर और पार्षद के पद से बर्खास्त कर दिया गया है.