सिरोही. जिले के आबू-पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 4921 फीट की ऊंचाई पर स्थित शेरगांव के मतदाता इस वर्ष पहली बार अपने ही गांव में मतदान कर रहे हैं. शनिवार सुबह 7 बजे से ही मतदान का दौर जारी है. मतदान को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है. मतदान को लेकर शुक्रवार शाम को मतदान दल फॉरेस्ट गार्ड की मदद से घने जंगल में करीब 18 किलोमीटर तक पगडंडियों पर पैदल चल कर इस मतदान केंद्र तक पहुंचा.
दरअसल, हम राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू के सबसे ऊंचे गांव शेरगांव व उतरज की बात कर रहे हैं. यह शेरगांव गुमनामी व अंधेरे के उन पन्नों में शामिल है जहां तक पहुंचने के लिए दिन में रोशनी की आवश्यकता है तो वहीं रात के अंधेरे में इस गांव में पहुंचाना नामुमकिन सा लगता है. पैंथर, भालू और अन्य जंगली जानवरों के डर से यहां के लोग डरे-सहमे रहते हैं. शेरगांव में पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर का लंबा सफर गुरु शिखर से पैदल ही तय करना पड़ता है. इस रास्ते में न तो कोई सड़क है और न जाने के लिए कोई साधन.
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चट्टानों पर रेंगते हुए पहाड़ों को पार करते हुए और नदी-नालों को पार करते हुए इस गांव में पहुंचना पड़ता है. गुरु शिखर से इन गांव में पहुंचने की पैदल यात्रा शुरू होती है. करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर पहला गांव उतरज आता है और उसके बाद दूसरा गांव शेरगांव. उतरज और शेरगांव के बीच की दूरी करीब 12 किलोमीटर है. कई सरकारें आईं और कई गईं, लेकिन इस गांव की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
पहले शेरगांव के लोगों को मतदान करने के लिए 12 किलोमीटर दूर उतरज गांव आना पड़ता था, जिसके लिए लोग पैदल चलकर कई घंटे के सफर के बाद उतरज गांव मतदान करने के लिए आते थे, लेकिन निर्वाचन विभाग ने उनको हो रही इस असुविधा और शत-प्रतिशत मतदान करवाने के संकल्प को लेकर शेरगांव में मतदान करवाने का निश्चय किया. जिस पर निर्वाचन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने जाकर वहां की स्थिति देखी और एक मतदान केंद्र शेरगांव में बनाया. इस मतदान केंद्र पर 117 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.