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Rajasthan Congress leadership controversy: पार्टी बोली- पायलट की रैलियां शक्ति प्रदर्शन नहीं, फरवरी में होगी नेतृत्व पर समीक्षा

राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच नेतृत्व को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. अब ऐसे में सचिन पायलट ने राज्य में कुछ रैलियों की घोषणा की है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सचिन अपना शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं. इसे लेकर हमारे वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री ने राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवा से बात की.

Sachin Pilot and Ashok Gehlot
सचिन पायलट और अशोक गहलोत
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Published : Jan 18, 2023, 6:27 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट द्वारा की जा रही रैलियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन नहीं हैं और 30 जनवरी को श्रीनगर की रैली के बाद नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 'उनकी रैलियां शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हैं. जहां तक नेतृत्व का सवाल है, मैं इस मामले को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ श्रीनगर रैली के बाद उठाऊंगा.'

उन्होंने कहा कि 'हमारे लिए संगठन सर्वोपरि है और इसे ध्यान में रखकर ही कोई समाधान निकाला जाएगा.' आपको बता दें कि राज्य में नेतृत्व का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है. गहलोत और पायलट दोनों ने चुनावी रुझान को तोड़ने और इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. पायलट खेमे ने हाल ही में गहलोत के साथ मिलकर काम किया था, जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से गुजरी थी और उम्मीद थी कि नेतृत्व का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान उस समापन कार्यक्रम पर चला गया, जिसे कांग्रेस 30 जनवरी को श्रीनगर में आयोजित करने की योजना बना रही है. नतीजतन, पायलट पिछले हफ्ते पंजाब में कुछ समय के लिए यात्रा में शामिल हुए और उन्होंने राहुल को सूचित किया कि वह एक जन संपर्क कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने 16 जनवरी को नागौर, 17 जनवरी को हनुमानगढ़, 18 जनवरी को झुंझुनू, 19 जनवरी को पाली और 20 जनवरी को जयपुर में रैलियों की श्रृंखला की घोषणा की.

रैलियां, जिन्हें मतदाताओं द्वारा अच्छी तरह से प्राप्त किया जा रहा है, उनको पार्टी के भीतर पूर्व राज्य इकाई प्रमुख द्वारा शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया और पायलट को एक किसान नेता के रूप में पेश किया गया, जिसकी अखिल राज्य अपील थी. पायलट राजस्थान विधानसभा में टोंक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने पहले लोकसभा में दौसा और अजमेर संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया था. जब कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश से पायलट की रैलियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि खड़गे और रंधवा दोनों ही मामले को देख रहे हैं और राजस्थान में समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

रमेश ने यह भी संकेत दिया था कि संगठन कांग्रेस के लिए सर्वोच्च था और लोगों के लिए नहीं, यह इंगित करते हुए कि गहलोत और पायलट दोनों ही पुरानी पार्टी के लिए संपत्ति थे. रंधावा ने कहा कि वह यात्रा के पंजाब चरण में व्यस्त हैं और यात्रा के 30 जनवरी तक समाप्त होने तक इसमें शामिल रहेंगे. उन्होंने कहा कि 'मैं जम्मू-कश्मीर में भी यात्रा में व्यस्त रहूंगा. फरवरी से मैं राजस्थान जोन के हिसाब से दौरा शुरू करूंगा और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राज्य की टीमों की तैयारियों की समीक्षा करूंगा.'

पढ़ें: Joshimath Crisis: गृह मंत्री अमित शाह से मिले सीएम धामी, जोशीमठ मामले में दिया फीडबैक

रंधावा के अनुसार, राज्य सरकार पिछले वर्षों में कल्याणकारी एजेंडे पर काम कर रही है और इससे निश्चित रूप से अगले चुनावों में पार्टी को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार ने अच्छा काम किया है. इससे हमें मदद मिलेगी.' गहलोत ने पिछले दो दिनों में अपने मंत्रियों द्वारा पिछले चार वर्षों में किए गए कार्यों की समीक्षा की और शेष कार्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट द्वारा की जा रही रैलियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन नहीं हैं और 30 जनवरी को श्रीनगर की रैली के बाद नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि 'उनकी रैलियां शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हैं. जहां तक नेतृत्व का सवाल है, मैं इस मामले को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ श्रीनगर रैली के बाद उठाऊंगा.'

उन्होंने कहा कि 'हमारे लिए संगठन सर्वोपरि है और इसे ध्यान में रखकर ही कोई समाधान निकाला जाएगा.' आपको बता दें कि राज्य में नेतृत्व का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है. गहलोत और पायलट दोनों ने चुनावी रुझान को तोड़ने और इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. पायलट खेमे ने हाल ही में गहलोत के साथ मिलकर काम किया था, जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से गुजरी थी और उम्मीद थी कि नेतृत्व का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान उस समापन कार्यक्रम पर चला गया, जिसे कांग्रेस 30 जनवरी को श्रीनगर में आयोजित करने की योजना बना रही है. नतीजतन, पायलट पिछले हफ्ते पंजाब में कुछ समय के लिए यात्रा में शामिल हुए और उन्होंने राहुल को सूचित किया कि वह एक जन संपर्क कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने 16 जनवरी को नागौर, 17 जनवरी को हनुमानगढ़, 18 जनवरी को झुंझुनू, 19 जनवरी को पाली और 20 जनवरी को जयपुर में रैलियों की श्रृंखला की घोषणा की.

रैलियां, जिन्हें मतदाताओं द्वारा अच्छी तरह से प्राप्त किया जा रहा है, उनको पार्टी के भीतर पूर्व राज्य इकाई प्रमुख द्वारा शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया और पायलट को एक किसान नेता के रूप में पेश किया गया, जिसकी अखिल राज्य अपील थी. पायलट राजस्थान विधानसभा में टोंक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने पहले लोकसभा में दौसा और अजमेर संसदीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया था. जब कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश से पायलट की रैलियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा था कि खड़गे और रंधवा दोनों ही मामले को देख रहे हैं और राजस्थान में समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

रमेश ने यह भी संकेत दिया था कि संगठन कांग्रेस के लिए सर्वोच्च था और लोगों के लिए नहीं, यह इंगित करते हुए कि गहलोत और पायलट दोनों ही पुरानी पार्टी के लिए संपत्ति थे. रंधावा ने कहा कि वह यात्रा के पंजाब चरण में व्यस्त हैं और यात्रा के 30 जनवरी तक समाप्त होने तक इसमें शामिल रहेंगे. उन्होंने कहा कि 'मैं जम्मू-कश्मीर में भी यात्रा में व्यस्त रहूंगा. फरवरी से मैं राजस्थान जोन के हिसाब से दौरा शुरू करूंगा और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राज्य की टीमों की तैयारियों की समीक्षा करूंगा.'

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रंधावा के अनुसार, राज्य सरकार पिछले वर्षों में कल्याणकारी एजेंडे पर काम कर रही है और इससे निश्चित रूप से अगले चुनावों में पार्टी को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार ने अच्छा काम किया है. इससे हमें मदद मिलेगी.' गहलोत ने पिछले दो दिनों में अपने मंत्रियों द्वारा पिछले चार वर्षों में किए गए कार्यों की समीक्षा की और शेष कार्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए.

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