रोहतक: राजस्थान विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद बीजेपी के सामने प्रदेश की कमान किसे सौंपी जाए इसको लेकर बड़ी चुनौती है. केसरिया लिबास और जुबान पर हिंदुत्व होने की वजह से महंत बालकनाथ को आज राजस्थान और हरियाणा ही नहीं, बल्कि देश में भी लोग जानते हैं. महंत बालकनाथ के बेबाक बयानों ने उन्हें बीजेपी का एक फायरब्रांड नेता बना दिया है. आखिर महंत बालक नाथ का नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री की दौड़ में क्यों शामिल हो गया है. साथ ही आखिर अस्थल बोहर मठ रोहतक के महंत बाबा बालकनाथ योगी ने राजस्थान की तिजारा सीट से जीत हासिल कर सियासत में नया अध्याय कैसे जोड़ दिया है आइए जानते हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री की दौड़ में महंत बालकनाथ का नाम: 16 अप्रैल 1984 को राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में जन्मे महंत बालकनाथ 6 साल की उम्र में ही साधु बन गए थे. किसान पिता सुभाष चंद्र यादव ने इन्हें अस्थल बोहर मठ की गद्दी पर सौंप दिया था. शिक्षा दीक्षा पूरी होने के बाद महंत बालकनाथ योगी राजस्थान के हनुमानगढ़ डेरे का संचालन करने लगे थे. महंत बालकनाथ तत्कालीन अस्थल बोहर मठ गद्दीनशीन अलवर से बीजेपी के सांसद महंत चांदनाथ योगी के शिष्य रहे हैं. उनके ब्रह्मलीन होने के बाद ही महंत बालकनाथ योगी को 2016 में अस्थल बोहर बाबा मस्तनाथ की गद्दी पर बैठाया गया था.
2019 में सांसद चुने गए थे महंत बालकनाथ: इसके अलावा 2019 में महंत बालकनाथ ने तत्कालीन गुरु महंत चांद नाथ के संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वह बीजेपी के सांसद बन कर संसद में पहुंचे. वर्तमान में वह अलवर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद थे और पार्टी के निर्णय के अनुसार उन्हें राजस्थान की तिजारा विधानसभा सीट से बीजेपी ने मैदान में उतारा था. इस सीट पर महंत बालकनाथ ने कांग्रेस प्रत्याशी इमरान खान को लगभग 10,707 मतों से हराकर जीत हासिल की है.
राजनीति में उतरने वाले मठ की तीसरे महंत बालकनाथ: महंत बालकनाथ राजनीति में उतरने वाले मठ के तीसरे महंत हैं. सियासत के अंदर उनको राजस्थान के मुख्यमंत्री की दौड़ में भी माना जा रहा है. मस्तनाथ मठ का राजनीति से पुराना नाता रहा है. मठ के महंत श्रयोनाथ ने तीन बार किलोई हलके से विधानसभा चुनाव लड़ा. 1966 में प्रदेश का गठन होने के बाद पहला विधानसभा चुनाव 1967 में हुआ, जिसमें किलोई हलके से मस्तनाथ मठ के महंत श्रयोनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा के बीच मुकाबला था, जिसमें महंत निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विजयी रहे. हालांकि एक साल बाद मध्यावधि चुनाव में रणबीर सिंह हुड्डा ने महंत श्रयोनाथ को हरा दिया. 1972 में महंत श्रयोनाथ ने पिछली हार का बदला लेते हुए रणबीर सिंह हुड्डा के बेटे कैप्टन प्रताप सिंह को हरा दिया था.
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2004 में विधायक तो 2014 में सांसद बने महंत चांदनाथ: बता दें कि बाबा बालकनाथ के गुरु महंत चांदनाथ ने 2004 के उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में राजस्थान की बहरोड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. चुनाव में चांदनाथ ने पार्टी के बागी जसवंत सिंह यादव को 13 हजार वोटों से हरा दिया. इसके बाद 2014 के बीजेपी ने उन्हें अलवर से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र सिंह को हराकर जीत हासिल की थी. 2017 में महंत चांदनाथ का देहांत हो गया. उनके शिष्य एवं मठ के गद्दीनशीन महंत बालकनाथ ने अलवर से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी रहे. बीजेपी ने नया प्रयोग करते हुए राजस्थान में कई सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ाया, जिसमें महंत बालकनाथ को अलवर जिले की तिजारा सीट से उतारा, जहां वे जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं.
अस्थल बोहर मठ में हठयोग की साधना: अस्थल बोहर मठ के मुताबिक आठवीं शताब्दी में सिद्ध योगी चौरंगीनाथ ने इसकी स्थापना की थी. आठवीं सदी में यह स्थल सिद्ध बाबा चौरंगीनाथ की तपस्थली रहा. उन्होंने यहां पर हठयोग की साधना की, जबकि अठारहवीं शताब्दी में सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ ने इसका जीर्णोद्धार किया. तब से यह पवित्र स्थल अस्थल बोहर मठ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. मठ के पदाधिकारियों के मुताबिक अस्थल बोहर मठ हरियाणा ही नहीं बल्कि उत्तर भारत में आध्यात्मिक एवं शैक्षणिक उन्नति कर रहा है. अलवर से सांसद एवं वर्तमान में मठ के गद्दीनशीन महंत बाबा बालकनाथ योगी की देखरेख में इसका विकास हो रहा है.
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