जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में युवाओं की भूमिका किसी से छिपी हुई नहीं है. इस बार विधानसभा चुनाव में 22.04 लाख वोटर ऐसे हैं, जो पहली मर्तबा अपने मत का प्रयोग करेंगे. इन पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हुईं हैं. इन नए वोटर की संख्या पिछली बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहे हार-जीत के अंतर की भी 12 गुना है. ऐसे में यह आंकड़ा सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएगा. ये युवा वोटर पढ़े-लिखे और जागरूक भी हैं. वो अपने प्रत्याशी और उस प्रत्याशी से जुड़े राजनीतिक दल की पूरी नब्ज को टटोलने के बाद ही अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे.
दोनों राजनीतिक दलों का फोकस युवाओं पर: 2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्ता पर काबिज हुई थी. उस वक्त कुल वोटिंग परसेंटेज का 39.3 फीसदी मतदान कांग्रेस के खाते में हुआ था, जबकि चुनाव में दूसरी बड़ी पार्टी रही भाजपा के खाते में 38.8 फीसदी वोट आए थे. यानी की दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच जीत का अंतर महल 0.5 फीसदी यानी 189899 वोटों का था, जिसने सत्तारूढ़ बीजेपी पार्टी को विपक्ष में लाकर खड़ा कर दिया था. यही वजह है कि इस बार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों का फोकस युवाओं पर है, कांग्रेस ने अपना आखिरी बजट युवाओं को समर्पित करके इस बात को सिद्ध कर दिया था. बीजेपी युवाओं से जुड़े हुए पेपर लीक और बेरोजगारी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर क्षेत्र में प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है.
पेपर लीक मुक्त और रोजगार युक्त राजस्थान : इस बार चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 22.04 लाख फर्स्ट टाइम वोटर हैं. ये वोटर इन चुनाव में अहम भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे. ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रदेश के फर्स्ट टाइम वोटर्स ने अपने मुद्दों को साझा किया. उन्होंने बताया कि अपने पहले वोट को लेकर उनमें खासा उत्साह है, क्योंकि उन्हें अपने राज्य की सरकार चुनने का मौका मिल रहा है. उन्होंने बताया कि बीते दिनों राज्य में हुई प्रतियोगिता परीक्षाओं के पेपर लीक होने से निराशा हाथ लगी है. इस बार पेपर लीक मुक्त और रोजगार युक्त राजस्थान बनाने वाली सरकार बनाना चाहते हैं.
इस आधार पर दिया जाएगा वोट : इस बार चुनाव आयोग ने प्रत्याशी की क्रिमिनल हिस्ट्री को सार्वजनिक किए जाने के निर्देश दिए हैं, ऐसे में अपने क्षेत्र के प्रत्याशी का बैकग्राउंड जानने, समझने के बाद ही उसे वोट देंगे. आज का युवा पढ़ा-लिखा है, ऐसे में राजनीतिक दलों की ओर से जारी घोषणा पत्र को पढ़ा जाएगा और घोषणा पत्र में युवाओं से जुड़ी क्या-क्या नई योजनाएं लाने का वादा किया जा रहा है, नई भर्तियों का वादा किया जा रहा है, उसी आधार पर वोट दिया जाएगा.