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हरिद्वार में परिवार से बिछड़ा हाथी का बच्चा, मां को खोज रहा, वीडियो देख हो जाएंगे भावुक

अपने झुंड से बिछड़े शिशु गजराज को वन विभाग ने राजाजी पार्क प्रशासन को सौंप दिया है. पार्क प्रशासन ने इस शिशु गजराज का नाम नसीब रख दिया है. साथ ही देखभाल में जुट गया है.

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हरिद्वार में परिवार से बिछड़ा हाथी का बच्चा
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Published : Aug 22, 2022, 7:58 PM IST

हरिद्वारः मूसलाधार बारिश से नदी के तेज बहाव में बहकर अपने झुंड से बिछड़े शिशु गजराज को राजाजी पार्क प्रशासन ने अपने पास रख लिया है. इसे चीला स्थित हाथी कैंप में रखा गया है. इतना ही नहीं पार्क प्रशासन ने इसका नामकरण भी कर दिया है. जिसकी अच्छे से देखभाल की जा रही है.

दरअसल, बीते दिनों भारी बारिश के चलते गजराजों का एक झुंड रवासन नदी के तेज बहाव में फंस गया. पानी का वेग इतना तेज था कि झुंड में शामिल डेढ़ माह का शिशु गजराज इसमें बह गया. जो बहते-बहते काफी दूर हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज तक पहुंच गया. जिसका वनकर्मियों ने कड़ी मेहनत के बाद रेस्क्यू तो कर लिया, लेकिन इसे वापस इसके झुंड से नहीं मिला सके.

हरिद्वार वन प्रभाग (Haridwar Forest Division) की कई टीमों ने फुट सर्च एवं ड्रोन के जरिए झुंड को काफी तलाशा, लेकिन नाकामी हाथ लगी. जिसके बाद बीती देर शाम सारे प्रयास विफल हो जाने के बाद इस शिशु गजराज को राजाजी पार्क प्रशासन को सौंप दिया गया है. चीला स्थित हाथी कैंप में इसके आने से खुशी का माहौल है. यहां पहले से ही राधा, रंगीली, रानी, सुल्तान, जॉनी व राजा का पालन पोषण किया जा रहा है.

हरिद्वार में परिवार से बिछड़ा हाथी का बच्चा.

ये भी पढ़ेंः केरल के संग्रहालय में लगाया गया एशिया के सबसे बड़े हाथी का स्केलेटन

वहीं, अब इस शिशु गजराज के आने से यहां हाथियों की संख्या भी बढ़ गई है. इतना ही नहीं इसका नामकरण भी कर दिया गया है. चीला रेंज अधिकारी अनिल पैन्यूली (Chilla Range Officer Anil Painuly) के अनुसार, अपने नसीब से ही ये इस आपदा में बच पाया है, इसलिए इसका नाम नसीब रखा गया है. उम्मीद है कि भविष्य में नसीब भी अन्य गजराजों की तरह राजाजी टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.

हरिद्वारः मूसलाधार बारिश से नदी के तेज बहाव में बहकर अपने झुंड से बिछड़े शिशु गजराज को राजाजी पार्क प्रशासन ने अपने पास रख लिया है. इसे चीला स्थित हाथी कैंप में रखा गया है. इतना ही नहीं पार्क प्रशासन ने इसका नामकरण भी कर दिया है. जिसकी अच्छे से देखभाल की जा रही है.

दरअसल, बीते दिनों भारी बारिश के चलते गजराजों का एक झुंड रवासन नदी के तेज बहाव में फंस गया. पानी का वेग इतना तेज था कि झुंड में शामिल डेढ़ माह का शिशु गजराज इसमें बह गया. जो बहते-बहते काफी दूर हरिद्वार वन प्रभाग की रसियाबड़ रेंज तक पहुंच गया. जिसका वनकर्मियों ने कड़ी मेहनत के बाद रेस्क्यू तो कर लिया, लेकिन इसे वापस इसके झुंड से नहीं मिला सके.

हरिद्वार वन प्रभाग (Haridwar Forest Division) की कई टीमों ने फुट सर्च एवं ड्रोन के जरिए झुंड को काफी तलाशा, लेकिन नाकामी हाथ लगी. जिसके बाद बीती देर शाम सारे प्रयास विफल हो जाने के बाद इस शिशु गजराज को राजाजी पार्क प्रशासन को सौंप दिया गया है. चीला स्थित हाथी कैंप में इसके आने से खुशी का माहौल है. यहां पहले से ही राधा, रंगीली, रानी, सुल्तान, जॉनी व राजा का पालन पोषण किया जा रहा है.

हरिद्वार में परिवार से बिछड़ा हाथी का बच्चा.

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वहीं, अब इस शिशु गजराज के आने से यहां हाथियों की संख्या भी बढ़ गई है. इतना ही नहीं इसका नामकरण भी कर दिया गया है. चीला रेंज अधिकारी अनिल पैन्यूली (Chilla Range Officer Anil Painuly) के अनुसार, अपने नसीब से ही ये इस आपदा में बच पाया है, इसलिए इसका नाम नसीब रखा गया है. उम्मीद है कि भविष्य में नसीब भी अन्य गजराजों की तरह राजाजी टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.

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