रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राम के नाम को लेकर राजनीति तेज हो गई है. इसकी वजह मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राम वन गमन पर्यटन परिपथ का लोकार्पण करना है. एक ओर कांग्रेस ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर 15 साल के शासनकाल में भगवान राम और माता कौशल्या को लेकर कोई काम न किए जाने का आरोप लगाया है, तो वहीं भाजपा ने भी पलटवार करते हुए अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के लोकार्पण की तैयारी की वजह से कांग्रेस को भयभीत होना बताया. राजनीति के जानकारों का दावा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा से राम और हिंदुत्व के मुद्दे को छीनने में कांग्रेस कामयाब रही और इसका फायदा भी आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिल सकता है. आईये जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है राम वन गमन पर्यटन परिपथ. आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इससे कितना लाभ मिलेगा.
राम वन गमन पर्यटन परिपथ को जानिए: छत्तीसगढ़ में "श्री राम वन गमन पथ" की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अक्टूबर 2019 में की थी. इस पथ में 75 स्थल है, जहां श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में वनगमन के दौरान भ्रमण किया. इनमें से 51 स्थल ऐसे हैं, जहां प्रभु राम ने वनवास काल के दौरान कुछ समय भी बिताया. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के प्रथम चरण का शुभारंभ 7 अक्टूबर 2021 को सीएम बघेल ने माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी से आधिकारिक तौर पर की. चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य का भी लोकार्पण व भगवान श्रीराम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. इसके बाद इस पथ का लोकार्पण 10 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम नवमी के अवसर पर शिवरीनारायण में किया.
प्रथम चरण में 9 स्थलों का विकास: योजना के तहत प्रथम चरण में चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं. राम वन गमन पर्यटन परिपथ के चिन्हित 9 स्थलों में से 4 स्थल रामगढ़, तुरतुरिया, सिहावा-सत्पऋषि आश्रम और तीरथगढ़ वन क्षेत्र में स्थित हैं.
भगवान राम के नाम पर भाजपा मांगती है वोट-कांग्रेस: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद सांपला ने कहा कि, "भाजपा राम के नाम पर वोट मांगती है, आंदोलन करती है. भगवान राम का छत्तीसगढ़ से नाता उनके जन्म से पहले से रहा है. भगवान राम का यहां ननिहाल है. छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका है. छत्तीसगढ़ में भगवान राम ने अपने वनवास का अधिकतम समय बिताया है. भाजपा 15 साल सरकार में थी. उनके पास अवसर था अपने आप को राम भक्त साबित करने का, लेकिन उन्होंने कभी भगवान राम गमन पथ और माता कौशल्या मंदिर के लिए कुछ नहीं किया. अब हमारी सरकार ने इस ओर काम किया है, तो उसमें मीन मेख निकल रहे हैं. जनता बेहतर तरीके से समझती है कि भाजपा की राम भक्ति कालनेमि वाली भक्ति है और भूपेश बघेल की बजरंगबली वाली."
भाजपा छत्तीसगढ़ में अब लोगों को भ्रम में नहीं डाल पाएगी. यदि भाजपा राम की बात करेगी तो लोग पूछेंगे कि आपको प्रभु राम की भक्ति करनी थी तो अपने राम गमनपथ क्यों नहीं बनवाया. माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी हैं, यह भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद की बात थोड़ी ना है. इसका उल्लेख अनादि काल से है. यह दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था. माता कौशल्या का मायका था. आपने कुछ क्यों नहीं किया. जब भी बीजेपी हिंदुत्व की बात करेगी तो यह सवाल उठेंगे. -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस
भाजपा का आरोप-राम मंदिर के लोकार्पण की तैयारी से डरी कांग्रेस: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि, "कांग्रेस पार्टी का मूल एजेंडा ही राम विरोधी रहा है. 2007-08 में कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की तरफ से हालफनामा दिया था कि राम और रामसेतु काल्पनिक है." भाजपा ने कांग्रेस पर अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के लोकार्पण की तैयारी से डर जाने का दावा भी किया.
आज यह राम का नाम ले रहे हैं, उसका कारण है क्योंकि अयोध्या में श्री राम जी का मंदिर भाजपा के शासनकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूजन से प्रारंभ हुआ. अति शीघ्र मंदिर में दर्शन प्रारंभ होने वाला है. इससे भयभीत होकर कांग्रेस राजनीति के लिए राम का नाम ले रही है. इसका कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है. क्योंकि राम भाव के साथ जुड़ते हैं, न की राजनीति के साथ. -केदार गुप्ता, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
राम वन गमन पथ से कांग्रेस को चुनावी फायदा: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि, "भूपेश बघेल ने स्मार्ट राजनीति कर भाजपा के ही मुद्दे छीनकर अपना काम कर लोगों को कंफ्यूज कर दिया है. गाय, गोबर, गोमूत्र और राम, यह वही मुद्दे हैं जो कभी बीजेपी की फ्रेंचाइजी हुआ करती थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब उसे लेकर कन्फ्यूजन पैदा हो गया है. भूपेश बघेल ने ऐसा काम किया है कि इससे अब जनता भी कंफ्यूज है कि यह मुद्दा कांग्रेस का है या फिर भाजपा का. कांग्रेस ने काफी काम किया है. इसका फायदा कांग्रेस को चुनाव में जरूर मिलेगा."
यदि आरएसएस ने गाय और गोबर के काम को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सम्मान किया तो निश्चित तौर पर यह मुद्दा कांग्रेस बीजेपी से छीनने में कामयाब रही. यहां तक की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरएसएस प्रमुख को कौशल्या मंदिर जाने तक के लिए मजबूर कर दिया. यदि आप राम को चाहते हैं तो उनकी माता के मंदिर में जरूर दर्शन करने आइए. इस तरह से कौशल्या मंदिर को भी कांग्रेस ने पॉलिटिक्स से जोड़ दिया है. -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
चुनावों में भगवान राम के नाम को भुनाने की रही है कोशिश: राजनीति में भगवान राम के नाम को भुनाने की कोशिश लगातार होती रही है. चाहे फिर केंद्र की बात हो या राज्य की, सभी जगह भगवान राम के नाम को लेकर चुनाव में उतरा गया है. लोकसभा के पहले राम मंदिर का उद्घाटन होना है, यह चीज राजनीति से जुड़ी हुई है. चाहे फिर छत्तीसगढ़ का राम गमन पथ हो या फिर अयोध्या का राम मंदिर. अब देखने वाली है कि छ्त्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में इनका क्या प्रभाव रहता है.