नई दिल्ली : भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कहा कि मानसून के उत्तरार्द्ध में अगस्त-सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है.आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने अगस्त के लिए जारी अनुमान में बताया कि इस महीने में भी मानसून के सामान्य रहने की संभावना है.
महापात्र ने कहा कि पश्चिम मध्य प्रदेश और उससे लगे राजस्थान के हिस्से, महाराष्ट्र के अंदरूनी हिस्सों, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब के कुछ हिस्से और हिमाचल प्रदेश में अगस्त में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र, कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण गुजरात, पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार में इस महीने के दौरान सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है.
महापात्र ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में बताया, अगस्त से सितंबर 2021 के दौरान समूचे देश में वर्षा के सामान्य (दीर्घावधि औसत के 95 से 105 प्रतिशत) होने की संभावना है.वर्ष 1961-2010 की अवधि के लिए पूरे देश में अगस्त से सितंबर की अवधि की वर्षा दीर्घावधि (एलपीए) 428.3 मिमी है.
हर साल आईएमडी दक्षिण पश्चिम मानसून के अगस्त-सितंबर के महीनों के लिए पूर्वानुमान जारी करता है जो बरसात की चार महीने की ऋतु के आखिरी दो महीने होते हैं. आईएमडी ने कहा कि स्थानिक वितरण से पता चलता है कि देश के उत्तर, पूर्व और पूर्वी हिस्से के कई क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. उसने बताया कि प्रायद्वीपीय भारत और उससे सटे मध्य भारत के अधिकतर हिस्सों मे सामान्य से लेकर सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है.
महापात्र ने कहा, पूरे देश में अगस्त में औसत वर्षा सामान्य से (एलपीए का 94 से 106 फीसद) होने की संभावना है. 1961 -2010 की अवधि के लिए पूरे देश में अगस्त की वर्षा एलपीए का 258.1 मिमी है.
कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश
आईएमडी के मुताबिक, स्थानिक वितरण से पता चलता है कि मध्य भारत के कई क्षेत्रों और उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से नीचे से लेकर सामान्य बारिश होने की संभावना है. उन्होंने कहा, प्रायद्वीप भारत और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर भागों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है.
महापात्र ने कहा कि वर्तमान में समुद्र सतह तापमान (एसएसटी) और भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर पर वायुमंडीलय स्थितियां तटस्थ ईएनएसओ (अल नीनो) की स्थितियों का संकेत देती हैं. भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक एसएसटी है. मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र सतह का तापमान ठंडा होने की प्रवृत्ति दिखा रहा है.
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आईएमडी के मुताबिक, नवीनतम पूर्वानुमानों से पता चलता है कि ईएनएससो की तटस्थ स्थिति मानसून ऋतु के शेष भाग के दौरान जारी रहने की संभावना है और मानसून ऋतु के अंत में या उसके बाद ला नीना स्थिति के फिर से उभरने की संभावना है. ला नीना प्रशांत महासागर के पानी के ठंडा होने से जुड़ा है, जबकि अल नीनो का संबंध पानी के गर्म होने से है.
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(पीटीआई-भाषा)