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राहुल की भावुक अपील पर गहलोत-पायलट आए साथ, आगे का रास्ता खड़गे करेंगे तैयार

राहुल गांधी राजस्थान का राजनीतिक फैसला करके अमेरिका जाना चाहते थे. सूत्रों के मुताबिक, सचिन पायलट ने सब कुछ राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व पर छोड़ दिया था. राहुल गांधी ने बैठक में दोनों नेताओं को भरोसा दिया है कि पार्टी उनके मान-सम्मान का पूरा ख्याल रखेगी. उनकी भावुक अपील पर दोनों नेता एक साथ काम करने को तैयार हो गए. पढ़ें ईटीवी भारत के लिए अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

Rahuls emotional appeal brought Gehlot and Pilot close
बैठक के दौरान कांग्रेस नेता
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Published : May 30, 2023, 4:59 PM IST

नई दिल्ली : राहुल गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से एक भावनात्मक अपील की. उन्होंने राजस्थान के दोनों नेताओं से कहा कि वे लोगों के सामने कांग्रेस की एकता की तस्वीर पेश करें. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने दोनों नेताओं के बीच सुलह के फॉर्मूले की बारीकियां निकालने का कठिन काम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दिया है. राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुजिंदर सिंह रंधावा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि राज्य के मुद्दों को सुलझा लिया गया है. हम जल्द ही मुद्दों की गहराइयों में जा कर व्यापक हल निकालने पर काम करेंगे.
पहले खड़गे और वेणुगोपाल से हुई बातचीत : सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को खड़गे ने पहले दौर की बातचीत में गहलोत और पायलट दोनों से अलग-अलग बातचीत की. उन्होंने दोनों नेताओं को आपसी विवादों को बातचीत से हल करने की सलाह दी. कांग्रेस पार्टी के महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने भी राजस्थान के दोनों वरिष्ठ नेताओं के साथ करीब चार घंटे तक बातचीत की. दोनों नेताओं के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से घोषणा की कि दोनों नेता अपनी इच्छा से साथ में राजस्थान में राज्य और पार्टी के लिए काम करने को तैयार हो गये हैं.

  • अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हम राजस्थान जीतने जा रहे हैं।

    : महासचिव (संगठन), श्री @kcvenugopalmp pic.twitter.com/idRDQPEYyZ

    — Congress (@INCIndia) May 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
राहुल की अमेरिका यात्रा और कांग्रेस के नाराज नेताओं का संकट :
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी भी इस पूरी बातचीत के दौरान तमाम वरीष्ठ नेताओं के संपर्क में थे. वह अपनी अमेरिका यात्रा से पहले राजस्थान कांग्रेस के संकट को हल कर लेना चाहते थे. उन्होंने गहलोत और पायलट से एक भावनात्मक अपील की. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में दोनों नेता अपने-अपने पक्ष पर अड़े हुए थे. लेकिन जब राहुल गांधी ने उन्हें आश्वासन दिया कि पार्टी दोनों नेताओं के हितों की रक्षा करेगी.

राहुल का सशर्त वादा : राहुल ने गहलोत और पायलट दोनों से कहा कि उन्हें उनके राजनीतिक कद का पता है. राहुल ने कहा वह यह सुनिश्चित करेंगे कि नेताओं को उनके राजनीतिक कद के हिसाब से सम्मान मिले. लेकिन इससे पहले उन्हें एक साथ आकर राजस्थान का आगामी विधानसभा चुनाव जीतने में पार्टी की मदद करनी होगी. सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने दोनों नेताओं से कहा कि कर्नाटक जीतने के बाद जरूरी है कि हम राजस्थान जीतें. उन्होंने दोनों नेताओं से इस बात पर विचार करने को कहा.

राहुल ने कहा- सोचें राजस्थान का असर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्या पड़ेगा : उन्होंने कहा कि पार्टी के वरीष्ठ नेता इस तरह की तस्वीर पेश करेंगे जो राज्य के घटनाक्रम का मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर क्या असर पड़ेगा. बता दें कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक साथ चुनाव होने हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल की भावनात्मक अपील के बाद, वेणुगोपाल, गहलोत और पायलट मीडिया के सामने आए. हालांकि, मीडिया से सभी संगठन के प्रभारी और एआईसीसी महासचिव ने ही बात की. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सीएम के खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले सचिन पायलट चुप ही रहे.

विवाद अभी थमा है, खत्म नहीं हुआ ! : पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने पार्टी की जीत के लिए भले ही मिलकर काम करने पर सहमति जताई हो लेकिन पायलट अभी भी अपनी प्रमुख मांगों पर अड़े हुए हैं. जबकि गहलोत भी अपने पक्ष पर कायम हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में खड़गे दोनों नेताओं के साथ मिलकर उनके बीच सहमति के बिंदू तलाशने का प्रयास करेंगे. पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष लगातार स्थिति पर नजरें बनाये हुए हैं और शांति के कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

पायलट को मिल सकता है संगठन में प्रभावशाली पद, लेकिन क्या गहलोत होंगे राजी : एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शांति के पहल के तौर पर पायलट को राज्य इकाई प्रमुख या अभियान समिति प्रमुख बनकर संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है. जो आने वाले चुनावों के प्रबंधन और टिकट वितरण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा. सवाल यह भी उठेगा कि गहलोत के करीबी माने जाने वाले राज्य इकाई के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा का क्या होगा.

संगठन के इतर भी हैं राजनीति के कई गहरे सवाल : यदि पायलट राज्य इकाई प्रमुख बनते हैं, तो डोटासरा को कौन सा पद मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल पायलट महज एक विधायक हैं और संगठन में उनकी कोई दखल नहीं है. यह देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत उन्हें कितनी जगह देने को तैयार हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, खड़गे को भाजपा नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कथित भ्रष्टाचार की जांच की घोषणा करने की पायलट की मांग का भी जवाब ढूंढ़ना है.

नई दिल्ली : राहुल गांधी ने मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से एक भावनात्मक अपील की. उन्होंने राजस्थान के दोनों नेताओं से कहा कि वे लोगों के सामने कांग्रेस की एकता की तस्वीर पेश करें. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने दोनों नेताओं के बीच सुलह के फॉर्मूले की बारीकियां निकालने का कठिन काम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दिया है. राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुजिंदर सिंह रंधावा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि राज्य के मुद्दों को सुलझा लिया गया है. हम जल्द ही मुद्दों की गहराइयों में जा कर व्यापक हल निकालने पर काम करेंगे.
पहले खड़गे और वेणुगोपाल से हुई बातचीत : सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को खड़गे ने पहले दौर की बातचीत में गहलोत और पायलट दोनों से अलग-अलग बातचीत की. उन्होंने दोनों नेताओं को आपसी विवादों को बातचीत से हल करने की सलाह दी. कांग्रेस पार्टी के महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने भी राजस्थान के दोनों वरिष्ठ नेताओं के साथ करीब चार घंटे तक बातचीत की. दोनों नेताओं के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से घोषणा की कि दोनों नेता अपनी इच्छा से साथ में राजस्थान में राज्य और पार्टी के लिए काम करने को तैयार हो गये हैं.

  • अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हम राजस्थान जीतने जा रहे हैं।

    : महासचिव (संगठन), श्री @kcvenugopalmp pic.twitter.com/idRDQPEYyZ

    — Congress (@INCIndia) May 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
राहुल की अमेरिका यात्रा और कांग्रेस के नाराज नेताओं का संकट : पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी भी इस पूरी बातचीत के दौरान तमाम वरीष्ठ नेताओं के संपर्क में थे. वह अपनी अमेरिका यात्रा से पहले राजस्थान कांग्रेस के संकट को हल कर लेना चाहते थे. उन्होंने गहलोत और पायलट से एक भावनात्मक अपील की. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में दोनों नेता अपने-अपने पक्ष पर अड़े हुए थे. लेकिन जब राहुल गांधी ने उन्हें आश्वासन दिया कि पार्टी दोनों नेताओं के हितों की रक्षा करेगी.

राहुल का सशर्त वादा : राहुल ने गहलोत और पायलट दोनों से कहा कि उन्हें उनके राजनीतिक कद का पता है. राहुल ने कहा वह यह सुनिश्चित करेंगे कि नेताओं को उनके राजनीतिक कद के हिसाब से सम्मान मिले. लेकिन इससे पहले उन्हें एक साथ आकर राजस्थान का आगामी विधानसभा चुनाव जीतने में पार्टी की मदद करनी होगी. सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने दोनों नेताओं से कहा कि कर्नाटक जीतने के बाद जरूरी है कि हम राजस्थान जीतें. उन्होंने दोनों नेताओं से इस बात पर विचार करने को कहा.

राहुल ने कहा- सोचें राजस्थान का असर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्या पड़ेगा : उन्होंने कहा कि पार्टी के वरीष्ठ नेता इस तरह की तस्वीर पेश करेंगे जो राज्य के घटनाक्रम का मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर क्या असर पड़ेगा. बता दें कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक साथ चुनाव होने हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल की भावनात्मक अपील के बाद, वेणुगोपाल, गहलोत और पायलट मीडिया के सामने आए. हालांकि, मीडिया से सभी संगठन के प्रभारी और एआईसीसी महासचिव ने ही बात की. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सीएम के खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले सचिन पायलट चुप ही रहे.

विवाद अभी थमा है, खत्म नहीं हुआ ! : पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने पार्टी की जीत के लिए भले ही मिलकर काम करने पर सहमति जताई हो लेकिन पायलट अभी भी अपनी प्रमुख मांगों पर अड़े हुए हैं. जबकि गहलोत भी अपने पक्ष पर कायम हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में खड़गे दोनों नेताओं के साथ मिलकर उनके बीच सहमति के बिंदू तलाशने का प्रयास करेंगे. पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष लगातार स्थिति पर नजरें बनाये हुए हैं और शांति के कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.

पायलट को मिल सकता है संगठन में प्रभावशाली पद, लेकिन क्या गहलोत होंगे राजी : एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शांति के पहल के तौर पर पायलट को राज्य इकाई प्रमुख या अभियान समिति प्रमुख बनकर संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है. जो आने वाले चुनावों के प्रबंधन और टिकट वितरण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा. सवाल यह भी उठेगा कि गहलोत के करीबी माने जाने वाले राज्य इकाई के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा का क्या होगा.

संगठन के इतर भी हैं राजनीति के कई गहरे सवाल : यदि पायलट राज्य इकाई प्रमुख बनते हैं, तो डोटासरा को कौन सा पद मिलेगा. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल पायलट महज एक विधायक हैं और संगठन में उनकी कोई दखल नहीं है. यह देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत उन्हें कितनी जगह देने को तैयार हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, खड़गे को भाजपा नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कथित भ्रष्टाचार की जांच की घोषणा करने की पायलट की मांग का भी जवाब ढूंढ़ना है.

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