ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत में शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस अर्जी पर बहस हुई जिसमें उन्होंने मानहानि के एक मामले में पेशी से स्थायी छूट देने का अनुरोध किया है. अदालत ने बहस के बाद मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी और उम्मीद की जा रही है कि उस दिन मामले में फैसला आएगा.
शिकायतकर्ता और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएसएस) कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने राहुल गांधी का एक भाषण सुनने के बाद वर्ष 2014 में भिवंडी की मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष निजी शिकायत दर्ज कराई थी. कुंटे के मुताबिक राहुल गांधी ने महात्मा गांधी की हत्या का आरोप कथित तौर पर आरएसएस पर लगाया है.
राहुल गांधी जून 2018 में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में पेश हुए थे और कहा था कि वह दोषी नहीं हैं. इसके बाद राहुल गांधी ने अदालत में अर्जी देकर सुनवाई के दौरान पेश होने से स्थायी छूट देने का अनुरोध किया था और तर्क दिया था कि संसद सदस्य होने के नाते उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाना होता है, पार्टी के कार्यों को करना पड़ता है और यात्रा करनी होती है.
कुंटे ने गांधी की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता को सूरत की अदालत द्वारा मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया है.
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट एल सी वाडिकर की अदालत में शनिवार को राहुल गांधी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता नारायण अय्यर ने कांग्रेस नेता को संसद सदस्यता से अयोग्य करार देने का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी मानहानि के मामले में सूरत की अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को भी चुनौती देने के इच्छुक हैं.
उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता द्वारा मामले में जताई गई आपत्ति 'आरोपी की स्थायी पेशी से छूट की मांग को नुकसान नहीं पहुंचा सकती या उपेक्षा नहीं कर सकती.' कुंटे का पक्ष रख रहे अधिवक्ता प्रबोध जयंत ने अदालत से अनुरोध किया कि वह उनसे लिखित में टिप्पणी या जानकारी लें और उसके अनुसार आदेश पारित करें.
पढ़ें- Rahul Gandhi Defamation Case : राहुल पर चल रहा है मानहानि का एक और मामला, विस्तार से पढ़िए
(पीटीआई-भाषा)