रायपुर/हैदराबाद: महाधिवेशन से लिए रायपुर पहुंचे राहुल और प्रियंका दोपहर बाद महासमुंद के लिए रवाना हो गए. दोनों ने सिरपुर के 1700 साल पुराने लक्ष्मण मंदिर को देखा. राहुल और प्रियंका ने यहां 45 मिनट का समय बिताया. उन्हें बताया गया कि इस मंदिर का निर्माण सन 525 से 540 के बीच कराया गया था. 14वीं- 15वीं शताब्दी के बीच महानदी में भयंकर बाढ़ के चलते पूरा क्षेत्र ही तबाह हो गया, लेकिन मंदिर बचा रहा. राहुल गांधी ने मंदिर के बारीकी से चारों ओर से देखा. मूर्तियां और मंदिर के दीवारों पर बनी कलाकृति देख वे हैरान रह गए. उन्होंने सुरंग टीला और तिवरदेव बिहार देखा. राहुल गांधी ने तिवर देव बिहार के पास पटेल परिवार से भेंट भी की. इस दौरान सीएम भूपेश बघेल भी साथ थे.
लाल ईंटों से बना भारत का पहला स्ट्रक्चर माना जाता है
2 हजार साल पहले विकसित शहर था सिरपुर: रायपुर से सिरपुर की दूरी 85 किलोमीटर है. महानदी के किनारे पर बसी यह नगरी एक जमाने में यह बहुत ही विकसित हुआ करती थी. पांचवीं से आठवीं शताब्दी के बीच यह दक्षिण कोसल की राजधानी थी और इसे 'श्रीपुर' के नाम से जाना जाता था. तत्कालीन सोमवंशी राजाओं ने यहां पर भगवान राम और लक्ष्मण का मंदिर बनवाया. ईंटों से बना यह मंदिर आज भी दर्शनीय है. पुरातात्विक खोदाई में यहां मिले सोने चांदी के गहने बनाने के सांचे, अस्पताल और बंदरगाह के अवशेष इस बात के प्रमाण हैं कि यहां से देश ही नहीं विदेश में भी पानी के रास्ते व्यापार किया जाता था. उस जमाने में यह अपनी धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक नजरिए के लिए मशहूर था.
यहां 10 बौद्ध विहार के मिल चुके हैं प्रमाण: सिरपुर में अब तक 10 बौद्ध विहार और तकरीबन 10 हजार बौद्ध भिक्षुओं के अध्ययन के प्रमाण मिल चुके हैं. यहां भगवान गौतम बुद्ध के साथ ही बौद्ध विद्वान नागार्जुन के आने के भी प्रमाण हैं. पूरा क्षेत्र बिहार के गया बौद्ध स्थल से भी बड़ा है. यहां कई बौद्ध स्तूप भी हैं. यह स्थान वैष्णव, शैव, जैन और बौद्ध संस्कृतियों का बड़ा केंद्र भी रहा है.
छठवीं शताब्दीं में आए थे चीनी यात्री व्हेनसांग: सिरपुर में चीनी यात्री व्हेनसांग छठवी शताब्दी में आए थे. उनकी यात्रा वृतांत में सिरपुर का भी उल्लेख है. इसके आधार पर जब सिरपुर में खोदाई की गई तो वो सभी चीजें पाई गईं जिनका जिक्र व्हेनसांग के यात्रा वृतांत में किया गया है.