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ड्राई स्वैब से मिलेगा कोरोना टेस्ट का तेज परिणाम, NEERI ने किया शोध - NEERI ने किया शोध

नागपुर के नेशनल इन्वाइरन्मेन्टल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट ( NEERI) ने एक शोध शुरू किया. इस शोध के तहत संभावित कोरोना रोगी का ड्राई स्वैब ली जाती है और केवल 3 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंप दी जाती है.

NEERI के ड्राई स्वैब टेस्ट से मिल रहा कोरोना का तेज परिणाम
NEERI के ड्राई स्वैब टेस्ट से मिल रहा कोरोना का तेज परिणाम
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Published : May 6, 2021, 8:23 PM IST

नागपुर : कोरोना की RTPCR रिपोर्ट के परिणाम प्राप्त करने के लिए लोगों को 48 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है. इस कारण इस समस्या का हल खोजने के लिए, नागपुर के नेशनल इन्वाइरन्मेन्टल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट ( NEERI) ने एक शोध शुरू किया. इस शोध के तहत संभावित कोरोना रोगी का ड्राई स्वैब ली जाती है और केवल 3 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंप दी जाती है.

CSIR- सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने इस बारे में एक शोध पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने ड्राई स्वैब विधि को शामिल किया था. इस पत्र के आधार पर NEERI के शोधकर्ताओं ने शोध शुरू किया और इसके अनुप्रयोगों का उपयोग करना शुरू किया.

नागपुर में सुपर-स्प्रेडर कोरोना रोगियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसके कारण वायरस तेजी से फैल रहा है. नागपुर में सक्रिय रोगियों की संख्या 75 हजार से अधिक हो गई है. इस कारण नैदानिक केंद्रों पर व्यापक तनाव पड़ रहा है. यह ही वजह कि अब कोरोना परीक्षण के परिणाम मिलने में दो से तीन दिन लग रही हैं, लेकिन अब NEERI के ड्राई स्वैब विधि की मदद से परिणाम 3 घंटे के भीतर प्राप्त किए जा सकेंगे.

ड्राई स्वैब से मिलेगा कोरोना टेस्ट का तेज परिणाम

बता दें कि अब तक NEERI के अनुसंधानकर्ताओं ने लगभग 54 हजार परीक्षणों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है.

ड्राई स्वैब टेस्ट कैसे काम करता है?

कोरोना की संभावना के मद्देनजर देश भर में RTPCR परीक्षण का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन परीक्षण प्रयोगशालाओं पर काम के अधिक बोझ के कारण परिणाम प्राप्त करने में देरी हो रही है.

परिणामों को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए नागपुर में ड्राई स्वैब परीक्षण विधि को सफलतापूर्वक अपना जा रहा है.

RTPCR परीक्षण में स्वाब में लेकर एक विशेष प्रकार के तरल का उपयोग किया जाता है, लेकिन, ड्राई स्वैब विधि में ऐसे किसी भी तरल की आवश्यकता नहीं है.

पढ़ें - ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बीएमसी द्वारा उठाए गए उपाय देशभर में हों लागू : सुप्रीम कोर्ट

इस विधि में 4 डिग्री सेल्सियस पर एक खाली ट्यूब का उपयोग किया जाता है, जिसे संभालना आसान है. ट्यूब के माध्यम से कोविड को अनुबंधित करने की संभावना शून्य हो जाती है. इस विधि का उपयोग केवल NEERI लैब में किया जा रहा है.

यह विधि तुलनात्मक रूप से आसान है और इसको लगभग 40 अनुसंधान केंद्रों के प्रयोगशाला तकनीशियन को सिखाया गया है. ड्राई स्वैब परीक्षण की मदद से संभावित रोगी के समय और धन की बचत होती है.

नागपुर : कोरोना की RTPCR रिपोर्ट के परिणाम प्राप्त करने के लिए लोगों को 48 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है. इस कारण इस समस्या का हल खोजने के लिए, नागपुर के नेशनल इन्वाइरन्मेन्टल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट ( NEERI) ने एक शोध शुरू किया. इस शोध के तहत संभावित कोरोना रोगी का ड्राई स्वैब ली जाती है और केवल 3 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंप दी जाती है.

CSIR- सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने इस बारे में एक शोध पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने ड्राई स्वैब विधि को शामिल किया था. इस पत्र के आधार पर NEERI के शोधकर्ताओं ने शोध शुरू किया और इसके अनुप्रयोगों का उपयोग करना शुरू किया.

नागपुर में सुपर-स्प्रेडर कोरोना रोगियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसके कारण वायरस तेजी से फैल रहा है. नागपुर में सक्रिय रोगियों की संख्या 75 हजार से अधिक हो गई है. इस कारण नैदानिक केंद्रों पर व्यापक तनाव पड़ रहा है. यह ही वजह कि अब कोरोना परीक्षण के परिणाम मिलने में दो से तीन दिन लग रही हैं, लेकिन अब NEERI के ड्राई स्वैब विधि की मदद से परिणाम 3 घंटे के भीतर प्राप्त किए जा सकेंगे.

ड्राई स्वैब से मिलेगा कोरोना टेस्ट का तेज परिणाम

बता दें कि अब तक NEERI के अनुसंधानकर्ताओं ने लगभग 54 हजार परीक्षणों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है.

ड्राई स्वैब टेस्ट कैसे काम करता है?

कोरोना की संभावना के मद्देनजर देश भर में RTPCR परीक्षण का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन परीक्षण प्रयोगशालाओं पर काम के अधिक बोझ के कारण परिणाम प्राप्त करने में देरी हो रही है.

परिणामों को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए नागपुर में ड्राई स्वैब परीक्षण विधि को सफलतापूर्वक अपना जा रहा है.

RTPCR परीक्षण में स्वाब में लेकर एक विशेष प्रकार के तरल का उपयोग किया जाता है, लेकिन, ड्राई स्वैब विधि में ऐसे किसी भी तरल की आवश्यकता नहीं है.

पढ़ें - ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बीएमसी द्वारा उठाए गए उपाय देशभर में हों लागू : सुप्रीम कोर्ट

इस विधि में 4 डिग्री सेल्सियस पर एक खाली ट्यूब का उपयोग किया जाता है, जिसे संभालना आसान है. ट्यूब के माध्यम से कोविड को अनुबंधित करने की संभावना शून्य हो जाती है. इस विधि का उपयोग केवल NEERI लैब में किया जा रहा है.

यह विधि तुलनात्मक रूप से आसान है और इसको लगभग 40 अनुसंधान केंद्रों के प्रयोगशाला तकनीशियन को सिखाया गया है. ड्राई स्वैब परीक्षण की मदद से संभावित रोगी के समय और धन की बचत होती है.

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