नई दिल्ली : भारतीय अधिकारियों को पूर्व सूचना के बिना बुधवार को अमेरिकी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक यूएसएस जॉन पॉल जोन्स, अरब सागर में लक्षद्वीप द्वीपसमूह से 130 समुद्री मील दूर पश्चिम में भारतीय जल क्षेत्र के अंदर आ गया. जिससे यह अटकलें तेज हो गईं कि क्या भारत-अमेरिका के संबंधों में सब कुछ ठीक है ?
दरअसल, उस दिन उसी जहाज ने मालदीव के कानूनों का भी उल्लंघन किया था. भारत को अमेरिका का रणनीतिक साझेदार माना जाता है. लक्षद्वीप समूह के पास के इस क्षेत्र को भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) का हिस्सा माना जाता है, जो भारत के तट से 200 समुद्री मील तक फैला हुआ है.
क्या कहती है अमेरिकी नौसेना
अमेरिकी नौसेना के 7 वें बेड़े द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में अमेरिकी नौसेना के जहाज ने भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अंदर अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप बिना भारत की पूर्व सहमति या बिना अनुरोध के पहुंचने का दावा किया है. उसने कहा कि उसे सहमति लेने की जरूरत नहीं थी. उसने जो कुछ भी किया वह अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में आता है. नेविगेशन ऑपरेशन (FONOP) की इस स्वतंत्रता ने भारत के समुद्री दावों को चुनौती देकर अंतरराष्ट्रीय कानून में मान्यता प्राप्त अधिकारों, स्वतंत्रता और वैध उपयोगों को बरकरार रखा है. बयान में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि घटना न तो एक गलती थी और न ही किसी गलतफहमी का परिणाम थी. बयान में कहा गया कि भारत को अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र या महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास के लिए पूर्व सहमति की आवश्यकता का दावा अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ असंगत है.
क्या है यह पहेली
जल क्षेत्र में प्रवेश करना अपराध तो है ही, उससे भी बड़ी बात ये रही कि अमेरिका ने इसे सार्वजनिक किया. यह पहली बार नहीं है कि अमेरिकी नौसेना ने ऐसा किया हो. अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार अमेरिकी नौसेना ने अधिकारों, स्वतंत्रता और समुद्र व हवाई क्षेत्र के उपयोग की गारंटी के लिए सभी देशों के अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा 1 अक्टूबर 2018 से 30 अक्टूबर 2019 की अवधि के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र में एक ऑपरेशन किया था.
क्या कहते हैं सीडीएस
दिलचस्प बात यह है कि उसी दिन राष्ट्रीय राजधानी में प्रमुख थिंकटैंक विवेकानंद इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के एक बयान ने भी भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर सवाल उठाए थे. जनरल रावत ने इस धारणा को खारिज करने की मांग की थी कि भारत क्वाड प्लेटफॉर्म की पृष्ठभूमि में अमेरिकी शिविर में शामिल हो गया है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि एक स्पष्ट दस्तावेज से आगे बढ़कर, भारत के रणनीतिक स्पेक्ट्रम में संलग्न होने से 'रणनीतिक स्वायत्तता' की नीति को मजबूत करने से किसी भी तरह के सैन्य गठबंधन में प्रवेश करना प्रतिबिंबित नहीं होता है.
क्या है भारत का रणनीतिक भूगोल
सीडीएस ने कहा कि हमने समान रूप से रणनीतिक साझेदारी को प्राथमिकता दी है. दिलचस्प बात यह है कि सीडीएस जनरल रावत ने पहली बार भारत के रणनीतिक भूगोल को भी चिह्नित किया. उन्होंने कहा कि हमारा रणनीतिक स्थान पश्चिम में फारस की खाड़ी से लेकर पूर्व में मलक्का के जलडमरूमध्य तक फैला हुआ है. उत्तर में मध्य एशियाई क्षेत्र से लेकर दक्षिण में भूमध्य रेखा के पास दुनिया के भू-राजनीति और भूवैज्ञानिक मामलों का केंद्र रहा है. दशकों बाद रणनीतिक लाभ को बनाए रखने के लिए कुछ शक्तियों द्वारा जबरदस्ती और हाइब्रिड रणनीति का उपयोग किया गया.
क्या है क्वाड प्लेटफॉर्म
हालिया घटनाक्रम में राष्ट्रपति जो बाइडेन के अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों को व्यवस्थित रूप से पूर्ववत करने की कोशिश का हिस्सा माना जा सकता है. जिसमें 'क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग' या 'क्वाड' का गठन शामिल है. यह एक अनौपचारिक समूह है जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. ट्रम्प ने भारत व ताइवान के साथ पूर्वी चीन और दक्षिण चीन के समुद्रों में ताइवान की चुनौतीपूर्ण सैन्य चालों को खड़ा करने के लिए ’क्वाड’ की स्थिति डिजाइन की थी. राष्ट्रपति बाइडेन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह चीन को अन्य मोर्चों पर एक प्रतियोगी के रूप में शामिल करना चाहते हैं लेकिन क्वाड के माध्यम से नहीं.
क्या दी गई क्वाड की परिभाषा
12 मार्च को ’क्वाड’ शिखर सम्मेलन आयोजित होने के ठीक बाद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन ने व्हाइट हाउस की ब्रीफिंग में इस मामले पर सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि क्वाड सैन्य गठबंधन नहीं है. यह कुछ नया नहीं है. यह चार लोकतंत्रिक देशों के लिए एक समूह के रूप में काम करने का अवसर है. यह अन्य देशों के साथ, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों पर काम करने का संकल्प लेने वाला संगठन है. उन्होंने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि व्यापक समुद्री सुरक्षा पहले से ही क्वाड एजेंडे के लिए महत्वपूर्ण है.
भारत की सामरिक स्वायत्तता
मानवीय सहायता और आपदा प्रतिक्रिया और उस स्थान पर हमारी महाशक्तियों का काम पहले से ही एजेंडे पर है. जहां हम नेविगेशन की आजादी से लेकर व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा सवालों तक हर चीज पर काम करते हैं. वहां सिर्फ नेताओं के स्तर पर ही नहीं बल्कि काम के स्तर पर भी काम करना पड़ता है.
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स्पष्ट रूप से भारतीय जल में अमेरिकी युद्धपोत के पारगमन की घटना एक बार की घटना नहीं है. यह रेखांकित करती है कि भारत-अमेरिका के संबंधों में कई बाधाएं हैं. यह भारत के 'सामरिक स्वायत्तता' के सिद्धांत का भी गंभीर परीक्षण है.