भरतपुर : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगर ने एक वाइल्ड बोर यानी जंगली सूअर को अपना शिकार बनाया. सूअर पर अजगर तेजी से झपटा और 5 मिनट में चट कर गया. ये पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया. उद्यान का जाटौली वन चौकी क्षेत्र पाइथन पॉइंट के रूप में पहचाना जाता है. इस क्षेत्र में लगभग 600 अजगर हैं.
जाटौली चौकी क्षेत्र में एक जंगली सूअर झाड़ियों के पास से गुजरा. वहीं घात लगाए बैठे एक विशाल अजगर ने बिजली की फुर्ती से झपट्टा मारकर जंगली सूअर को अपनी गिरफ्त में ले लिया. देखते ही देखते अजगर ने जंगली सूअर को लपेट लिया और उस पर पकड़ मजबूत करता गया. जंगली सूअर पूरी तरह से असहाय हो गया. इसके बाद अजगर ने जंगली सूअर को निगलना शुरू किया और सिर्फ 5 मिनट में भारी-भरकम जंगली सूअर को अपना भोजन बना लिया.
हर साल यहां औसतन 200 अजगर रेस्क्यू कर लाये जाते हैं. एक अजगर की लंबाई 18 से 21 फीट तक होती है. अजगर 16 साल तक जीवित रहता है. केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में देश के सर्वाधिक पाइथन पाए जाने की मुख्य वजह यहां की पारिस्थितिकी अनुकूलता है. पाइथन के लिए यहां सुरक्षित माहौल और भरपूर भोजन मिलता है. साथ ही यहां की भौगोलिक परिस्थितियां (geographical conditions) भी अजगर के अनुकूल हैं, जिसकी वजह से यहां बड़ी संख्या में अजगरों की मौजूदगी है.
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी अनुकूलता (eco-friendly atmosphere) के कारण यहां सैकड़ों की तादाद में अजगर पाये जाते हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों की मौजूदगी पर वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife expert) सुब्रमण्यम भूपति ने रिसर्च की थी.
इस रिसर्च में सामने आया कि घना में पूरे भारत के लिहाज से सर्वाधिक संख्या में अजगर मौजूद हैं. शोध के दौरान यहां पर 135 अजगरों की मौजूदगी पाई गई थी. लेकिन घना में अजगरों की संख्या इससे कहीं अधिक है. विशेषज्ञों के मुताबिक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा पाइथन पॉइंट (Biggest Python Point) है.