नई दिल्ली : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होंगे. इस बारे में शुक्रवार को क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मॉस्को मीडिया से कहा कि रूसी राष्ट्रपति जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा की योजना नहीं बना रहे हैं. पेसकोव ने कहा कि अब मुख्य जोर यूक्रेन में एक विशेष सैन्य अभियान पर है.
जी20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भाग लेने की पुष्टि की है. बता दें कि जोहानिसबर्ग में अभी हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हुए थे. उनके स्थान पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने देश का प्रतिनिधित्व किया था.
राष्ट्रपति पुतिन ने कोविड-19 के बाद हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इसलिए नहीं भाग लिया क्योंकि उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने मार्च में यूक्रेन के बच्चों को निर्वासित करने की एक कथित योजना को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. ऐसी स्थिति में पुतिन के दक्षिण अफ्रीका में जाने पर उनको गिरफ्तार किया जा सकता था.
जी-20 आर्थिक संगठन, भू-राजनीतिक मुद्दों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र बेहतर: कांत
भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक मुद्दों से जी-20 के मुकाबले संयुक्त राष्ट्र ज्यादा बेहतर ढंग से निपट सकता है. उन्होंने साथ ही कहा कि जी-20 वैश्विक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक आर्थिक निकाय है. कांत ने उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित 'बी20 शिखर सम्मेलन' में उम्मीद जताई कि भारत जी-20 देशों को सौहार्दपूर्ण रास्ता निकालने के लिए मनाने में सफल होगा. वह युद्ध से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जी-20 के कई समूह संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं कर पाए हैं. कांत की टिप्पणी अगले महीने की शुरुआत में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से कुछ दिन पहले आई है, जिसकी अध्यक्षता भारत करेगा. उन्होंने कहा, 'जी20 वास्तव में एक आर्थिक निकाय है. यह संगठन वृद्धि के लिए है. राजनीतिक निकाय संयुक्त राष्ट्र है. हालांकि, युद्ध के चलते भोजन, ईंधन और उर्वरक से जुड़ी चुनौतियां सामने आती हैं, और इसलिए अर्थशास्त्र के संदर्भ में इसका बड़ा असर होता है. यही बात अन्य देश कह रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'युद्ध हमारा विषय नहीं है और चुनौती वृद्धि से जुड़े मुद्दों को सबसे आगे रखने की है.' कांत ने कहा, 'युद्ध के मुद्दे पर, पिछले साल बाली में हमने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को अपनाया था... हमें पूरी उम्मीद है कि हम भू-राजनीतिक मुद्दों पर एक सौहार्दपूर्ण रास्ता खोजने के लिए सभी को मना लेंगे.' भारत की जी-20 अध्यक्षता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब देश अपनी वृद्धि की रफ्तार को तेज करने में कामयाब रहा है.
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(एजेंसी)