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पंजाब विधानसभा केंद्र के कानूनों को रद्द नहीं कर सकती : वरिष्ठ अधिवक्ता - पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी

बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के अध्यक्षता में हुई ऑल पार्टी मीटिंग में फैसला लिया गया कि विधानसभा का सत्र बुलाकर इस अधिसूचना को रद्द किया जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की जाएगी. हालांकि सवाल यह उठता है कि आखिर पंजाब सरकार या फिर किसी भी राज्य सरकार के पास क्या ये अधिकार है कि वह केंद्र के आदेशों को चुनौती दे सके या फिर विधानसभा में उन्हें रद्द कर सके. ऐसे में इस मुद्दे को लेकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर वकील बलतेज सिंह सिद्धू से खास बातचीत की गई. जानिए उन्होंने क्या बताया.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
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Published : Oct 27, 2021, 6:40 AM IST

Updated : Oct 27, 2021, 12:07 PM IST

चंडीगढ़ : बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने को लेकर पंजाब समेत कई राज्य विरोध जता रहे हैं. हालांकि सवाल यह उठता है कि आखिर पंजाब सरकार या फिर किसी भी राज्य सरकार के पास क्या ये अधिकार होता है कि वह केंद्र के आदेशों को चुनौती दे सके या फिर विधानसभा में उन्हें रद्द कर सके.

बीएसएफ एक्ट 1968 के तहत केंद्र सरकार को यह पावर है कि वह किसी भी इलाके को चाहे वह सरहदी हो या कहीं और बीएसएफ लगा सकती है. वहीं सेक्शन 139 (1) एक्ट के तहत क्रिमिनल एक्ट जिसमें आईपीसी या केंद्रीय एक्ट है उनके खिलाफ कार्यवाही के अधिकार बीएसएफ को दिए जाएंगे. लेकिन यदि बीएसएफ को स्टेट पावर देनी है तो इसके लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी है. सेंट्रल एक्ट के तहत बीएसएफ को पावर है क्षेत्र बढ़ाने की और सेंट्रल एक्ट के तहत कार्रवाई करने की लेकिन इसमें तीसरी चीज यह भी जरूरी है कि सेंट्रल एक्ट को और तेज एक्ट को आने वाले संसद सत्र में पास करवाना होगा.

सीनियर वकील बलतेज सिंह सिद्धू का कहना है कि केंद्र सरकार यदि कोई ऑर्डर बात करती है चाहे वह कानून के तहत हो या फिर गैरकानूनी, कोई भी राज्य सरकार उसे रद्द नहीं कर सकती. कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन आती है लेकिन इसी के तहत यदि केंद्र सरकार कोई कानून या एक्ट लागू करती है तो उसे किसी भी राज्य की विधानसभा रद्द नहीं कर सकती, और ना ही विधानसभा को केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की शक्ति है.
हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का रुख अपना सकती है राज्य सरकार
बलतेज सिंह सिद्धू का कहना है कि सरकार आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती है क्योंकि हाईकोर्ट के पास काफी शक्तियां है. यदि चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में भी सेक्शन 32 के तहत जा सकते हैं. राज्य सरकार के पास दोनों ऑप्शन खुले हैं. कोई भी सरकार कोर्ट का रुख कभी भी कर सकती है चाहे कोड ऑफ कंडक्ट ही क्यों ना लगा हो. यह तो राजनीतिक फैसले हैं जो सरकारें अपने आप लेती हैं कि कब याचिका दाखिल करनी है.
कानून व्यवस्था और सुरक्षा दोनों में अंतर है
सिद्धू ने कहा कि पंजाब पुलिस आतंकवाद से निपटने में सक्षम है. आतंकवाद के दौर में पंजाब पुलिस ने पंजाब के लोगों की रक्षा भी की है और कानून व्यवस्था को बनाए भी रखा. इसके अलावा पंजाब की अपनी काफी एजेंसीज हैं जो बीएसएफ के बाद पंजाब में काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि बीएसएफ का काम सरहदों पर देश की रक्षा करना है. लेकिन सरहदों के अंदर कानून व्यवस्था को कायम करना पंजाब पुलिस का काम होता है. रही बात केंद्र की पोस्ट की तो चाहे वह सीआरपीएफ हो चाहे आइटीबीपी हो या फिर बीएसएफ इन सभी को सुरक्षा के तहत ट्रेनिंग दी जाती है कि बॉर्डर में किस तरह से सुरक्षा बनाए रखनी है. किसी तरह की गैर कानूनी वारदात ना हो इसका जिम्मा बीएसएफ के पास होता है. यदि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया गया है और इस पर राजनीति हो रही है उनका मनोबल टूट रहा है तो कहीं ना कहीं पंजाब पुलिस का भी मनोबल इससे टूट रहा है, क्योंकि वह भी इतनी ही सक्षम है.

वकील बलतेज सिंह सिद्धू ने केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर पंजाब सरकार द्वारा लाए गए संशोधन बिल का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि वह भी अभी तक पास नहीं हुआ है.

पढ़ें- बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि पर सर्वदलीय बैठक, सीएम चन्नी बोले- हम करेंगे विरोध

चंडीगढ़ : बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने को लेकर पंजाब समेत कई राज्य विरोध जता रहे हैं. हालांकि सवाल यह उठता है कि आखिर पंजाब सरकार या फिर किसी भी राज्य सरकार के पास क्या ये अधिकार होता है कि वह केंद्र के आदेशों को चुनौती दे सके या फिर विधानसभा में उन्हें रद्द कर सके.

बीएसएफ एक्ट 1968 के तहत केंद्र सरकार को यह पावर है कि वह किसी भी इलाके को चाहे वह सरहदी हो या कहीं और बीएसएफ लगा सकती है. वहीं सेक्शन 139 (1) एक्ट के तहत क्रिमिनल एक्ट जिसमें आईपीसी या केंद्रीय एक्ट है उनके खिलाफ कार्यवाही के अधिकार बीएसएफ को दिए जाएंगे. लेकिन यदि बीएसएफ को स्टेट पावर देनी है तो इसके लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी है. सेंट्रल एक्ट के तहत बीएसएफ को पावर है क्षेत्र बढ़ाने की और सेंट्रल एक्ट के तहत कार्रवाई करने की लेकिन इसमें तीसरी चीज यह भी जरूरी है कि सेंट्रल एक्ट को और तेज एक्ट को आने वाले संसद सत्र में पास करवाना होगा.

सीनियर वकील बलतेज सिंह सिद्धू का कहना है कि केंद्र सरकार यदि कोई ऑर्डर बात करती है चाहे वह कानून के तहत हो या फिर गैरकानूनी, कोई भी राज्य सरकार उसे रद्द नहीं कर सकती. कानून व्यवस्था राज्य सरकार के अधीन आती है लेकिन इसी के तहत यदि केंद्र सरकार कोई कानून या एक्ट लागू करती है तो उसे किसी भी राज्य की विधानसभा रद्द नहीं कर सकती, और ना ही विधानसभा को केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की शक्ति है.
हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का रुख अपना सकती है राज्य सरकार
बलतेज सिंह सिद्धू का कहना है कि सरकार आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती है क्योंकि हाईकोर्ट के पास काफी शक्तियां है. यदि चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में भी सेक्शन 32 के तहत जा सकते हैं. राज्य सरकार के पास दोनों ऑप्शन खुले हैं. कोई भी सरकार कोर्ट का रुख कभी भी कर सकती है चाहे कोड ऑफ कंडक्ट ही क्यों ना लगा हो. यह तो राजनीतिक फैसले हैं जो सरकारें अपने आप लेती हैं कि कब याचिका दाखिल करनी है.
कानून व्यवस्था और सुरक्षा दोनों में अंतर है
सिद्धू ने कहा कि पंजाब पुलिस आतंकवाद से निपटने में सक्षम है. आतंकवाद के दौर में पंजाब पुलिस ने पंजाब के लोगों की रक्षा भी की है और कानून व्यवस्था को बनाए भी रखा. इसके अलावा पंजाब की अपनी काफी एजेंसीज हैं जो बीएसएफ के बाद पंजाब में काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि बीएसएफ का काम सरहदों पर देश की रक्षा करना है. लेकिन सरहदों के अंदर कानून व्यवस्था को कायम करना पंजाब पुलिस का काम होता है. रही बात केंद्र की पोस्ट की तो चाहे वह सीआरपीएफ हो चाहे आइटीबीपी हो या फिर बीएसएफ इन सभी को सुरक्षा के तहत ट्रेनिंग दी जाती है कि बॉर्डर में किस तरह से सुरक्षा बनाए रखनी है. किसी तरह की गैर कानूनी वारदात ना हो इसका जिम्मा बीएसएफ के पास होता है. यदि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया गया है और इस पर राजनीति हो रही है उनका मनोबल टूट रहा है तो कहीं ना कहीं पंजाब पुलिस का भी मनोबल इससे टूट रहा है, क्योंकि वह भी इतनी ही सक्षम है.

वकील बलतेज सिंह सिद्धू ने केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर पंजाब सरकार द्वारा लाए गए संशोधन बिल का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि वह भी अभी तक पास नहीं हुआ है.

पढ़ें- बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि पर सर्वदलीय बैठक, सीएम चन्नी बोले- हम करेंगे विरोध

Last Updated : Oct 27, 2021, 12:07 PM IST
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