होशियारपुर : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने होशियारपुर में जनसभा के दौरान कहा कि किसान दबाव बनाना जारी रखें ताकि केंद्र को ये कानून रद्द करना पड़े.
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि मैं पंजाब के किसानों को बताना चाहता हूं कि यह उनकी जमीन है. यहां उनका चल रहा विरोध राज्य हित में नहीं है. राज्य में विरोध-प्रदर्शन करने के बजाय किसानों को केंद्र पर कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए दबाव बनाना चाहिए.
क्या हैं तीनों कृषि कानून
1- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 : इसके तहत किसान कृषि उपज को सरकारी मंडियों के बाहर भी बेच सकते हैं. सरकार के मुताबिक किसान किसी निजी खरीददार को भी ऊंचे दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं. सरकार के मुताबिक इससे किसानों की उपज बेचने के विकल्प बढ़ेंगे.
2- कृषि (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 : ये कानून अनुबंध खेती या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देता है. इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है.
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 : इसके तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया. इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी को सीमित करने और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने जैसे प्रतिबंध हटा दिए गए हैं.
किसानों की यह है मांग
किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक इससे किसान बंधुआ मजदूर हो जाएगा और कृषि पूंजीपतियों के हाथ चली जाएगी. किसानों के मुताबिक ये उनका हित नहीं है बल्कि निजीकरण को प्रोत्साहन देने वाले हैं. एमएसपी को लेकर भी सरकार से लिखित आश्वासन चाहते हैं.
सरकार का यह है पक्ष
सरकार के मुताबिक ये कृषि कानून किसानों के लिए हितकारी है और इससे किसानों की आय बढ़ेगी. सरकार ने साफ कर दिया है कि वो कृषि कानून वापस नहीं लेगी. हालांकि सरकार साफ कर चुकी है कि एमएसपी खत्म नहीं होगी लेकिन इस पर कानून या लिखित में देने की किसानों की मांग अब भी वहीं खड़ी है. कुल मिलाकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है.