नई दिल्ली : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Punjab Chief Minister Amarinder Singh ) पार्टी की प्रदेश इकाई में चल रही कलह को दूर करने के मकसद से गठित समिति के समक्ष आज (शुक्रवार) पेश हुए.सीएम के साथ कमेटी की बैठक करीब 3 घंटे तक चली.वह आलोचना के बारे में अपने रुख के बारे में एआईसीसी पैनल को जानकारी देने के लिए, सोमवार को सुबह 11 बजे 15 जीआरजी पहुंचे.
समिति से मिलकर निकले कैप्टन ने पत्रकारों को बैठक का ब्यौरा देने से इंकार कर दिया.
उन्होंने मीडिया से कहा, '6 महीने बाद, हमारे राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए हमने उनमें से कुछ मामलों पर चर्चा की. ये हमारी आंतरिक पार्टी की चर्चा है. मैं इसे आपके साथ साझा नहीं करने जा रहा हूं.'
पार्टी सूत्रों ने बताया कि समिति से मुलाकात के बाद अमरिंदर सिंह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ डिजिटल बैठक भी कर सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आग पर काबू पाने के लिए कदम उठाकर इस मामले में निजी दिलचस्पी ले रहे हैं. इससे पहले, उन्होंने एआईसीसी पैनल के साथ बैठक से पहले पार्टी विधायकों के साथ कुछ बातचीत की. इसके बाद वह गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक में भी शामिल हुए.
इस बीच गुरुवार दोपहर दिल्ली पहुंचे कैप्टन ने बाद में दिन में पार्टी सांसदों और कुछ विधायकों से भी विचार-विमर्श किया.
यह भी बताया जा रहा था कि राहुल और प्रियंका गांधी दोनों के साथ कांग्रेस के महासचिव प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए. हालांकि, समिति के सदस्यों ने मीडिया को संबोधित करते हुए ऐसी किसी भी बैठक से इनकार किया.
विचार-विमर्श सोमवार को शुरू हो रहा था और अब तीन सदस्यीय समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगले कुछ दिनों में सौंपेगी ताकि वह अंतिम निर्णय ले सकें. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस कमेटी के मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे 2-3 दिनों के लिए दिल्ली से बाहर जा रहे हैं.
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कांग्रेस के कई विधायकों ने पंजाब के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग की है. इसके अलावा इन बैठकों में उपमुख्यमंत्री पद की मांग भी उठाई जा रही थी.
हालांकि, समिति के सदस्य हरीश रावत और जे पी अग्रवाल ने मीडिया से कहा कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति तैयार करने को लेकर चर्चा हो रही है.
सिद्धू और कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा दोनों ही पंजाब के मुख्यमंत्री के खिलाफ बेअदबी मामले की जांच में ढिलाई बरतने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आक्रामक मोर्चा खोल रहे हैं. सिद्धू ने इस मामले को लेकर कैप्टन को 'असफल गृह मंत्री' तक कह दिया था.